“ऊँचाई पर पेड़ रहेंगे, नदी ग्लेशियर टिके रहेंगे।” “चाहे जो मजबूरी होगी, सड़क सुक्की, जसपुर, झाला ही रहेगी” के नारों के साथ 18 जुलाई, 2018 को भागीरथी के उद्गम में बसे सुक्की, जसपुर, पुराली, झाला के लोगों ने रैली निकालकर प्रसिद्ध गाँधीवादी और इन्दिरा गाँधी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित राधा बहन, जसपुर की प्रधान मीना रौतेला, समाज सेविका हिमला डंगवाल के नेतृत्व में पेड़ों पर रक्षा-सूत्र बाँधे गए। इसकी अध्यक्षता सुक्की गाँव की मीना राणा ने की।
राधा बहन ने कहा कि हिमालय क्षेत्र की जलवायु और मौसम में हो रहे परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिये सघन वनों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सीमान्त क्षेत्रों में रह रहे लोगों की खुशहाली, आजीविका संवर्धन और पलायन रोकने के लिये पर्यावरण और विकास के बीच में सामंजस्य जरूरी है।
इस दौरान सुक्की और जसपुर दो स्थानों पर हुई बैठक में जिला पंचायत के सदस्य जितेन्द्र सिंह राणा ,क्षेत्र पंचायत सदस्य धर्मेन्द्र सिंह राणा, झाला गाँव के पूर्व प्रधान विजय सिंह रौतैला, पूर्व प्रधान किशन सिंह, पूर्व प्रधान शुलोचना देवी, मोहन सिंह राणा, पूर्व प्रधान गोविन्द सिंह राणा आदि ने सुक्की-बैंड से जसपुर, झाला राष्ट्रीय राजमार्ग को यथावत रखने की माँग की है। इन्होंने सुक्की-बैंड से झाला तक प्रस्तावित ऑलवेदर रोड के निर्माण का विरोध करते हुए कहा कि यहाँ से हजारों देवदार जैसी दुर्लभ प्रजातियों पर खतरा है। इसके साथ ही यह क्षेत्र कस्तूरी मृग जैसे वन्य जीवों की अनेकों प्रजातियों का एक सुरक्षित स्थान है।
यहाँ बहुत गहरे में बह रही भागीरथी नदी के आर- पार खड़ी चट्टानें और बड़े भूस्खलन का क्षेत्र बनता जा रहा है। इसलिये यह प्रस्तावित मार्ग जैव विविधता और पर्यावरण को भारी क्षति पहुँचाएगा। यहाँ लोगों का कहना है कि उन्होंने आजादी के बाद सीमान्त क्षेत्र तक सड़क पहुँचाने के लिये अपनी पुस्तैनी जमीन, चारागाह और जंगल निःशुल्क सरकार को दिये हैं। इस सम्बन्ध में लोगो ने केन्द्र सरकार से लेकर जिलाधिकारी उत्तरकाशी तक पत्र भेजा है।
लोग यहाँ बहुत चिन्तित हैं कि उन्होंने वर्षों से अपनी पसीने की कमाई तथा बैंकों से कर्ज लेकर होटल, ढाबे, सेब के बगीचे तैयार किये हैं। यहाँ पर वे आलू, रामदाना राजमा सब्जियाँ उगाकर कमाई करते हैं। इसके कारण लोग यहाँ से पलायन नहीं करते हैं। ऑलवेदर रोड के नाम पर राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा करने से सुक्की, जसपुर, पुराली, झाला के लोग विकास की मुख्य धारा से अलग-थलग पड़ जाएँगे और उनके कृषि उत्पादों की ब्रिकी पर प्रभाव पड़ेगा। होटल पर्यटकों और तीर्थ-यात्रियों के बिना सुनसान हो जाएँगे।
नैनीताल से सामाजिक कार्यकर्ता इस्लाम हुसैन ने कहा कि पर्यावरण की दृष्टि से सेब आदि पेड़ों के विकास व संरक्षण के लिये देवदार जैसे पेड़ सामने होने चाहिये। उन्होंने कहा कि पेड़-पौधों को जीवित प्राणियों की तरह जीने का अधिकार है। यह बात केवल हम नहीं बल्कि पिछले दिनों नैनीताल के उच्च न्यायालय ने भी कही है। इसलिये देवदार के पेड़ों की रक्षा के साथ वन्य जीवों की सुरक्षा का दायित्व भी राज्य सरकार का है। रक्षा सूत्र आन्दोलन के प्रेरक सुरेश भाई ने कहा कि स्थानीय लोग अपनी आजीविका की चिन्ता के साथ यहाँ सुक्की बैंड से जांगला तक हजारों देवदार के पेड़ों के कटान का विरोध करने लगे हैं। यहाँ ऑलवेदर रोड के नाम पर 6-7 हजार से अधिक पेड़ों को काटने के लिये चिन्हित किया गया है। यदि इनको काटा गया तो एक पेड़ दस छोटे-बड़े पेड़ों को नुकसान पहुँचाएगा इसका सीधा अर्थ है लगभग एक लाख वनस्पतियाँ प्रभावित होंगी। इसके अलावा वन्य जीवों का नुकसान है। इसका जायजा वन्य जीव संस्थान को भी लेना चाहिये। जिसकी रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है।
इन हरे देवदार के पेड़ों को बचाने के लिये लोग जसपुर से पुराली बगोरी, हर्षिल, मुखवा से जांगला तक नई ऑलवेदर रोड बनाने की माँग कर रहे हैं। यहाँ बहुत ही न्यूनतम पेड़ और ढालदार चट्टान है। इसके साथ ही इस नये स्थान पर कोई बर्फीले तूफान का भय नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जसपुर से झाला, धराली, जांगला तक बने गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग को भी अधिकतम 7 मीटर तक चौड़ा करने से ही हजारों देवदार के पेड़ बचाये जा सकते हैं। इसके नजदीक गोमुख ग्लेशियर है। इस सम्बन्ध में हर्षिल की ग्राम प्रधान बसंती नेगी ने भी प्रधानमंत्री जी को पत्र भेजा है।
यहाँ लोगों ने भविष्य में प्रसिद्ध पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, वन्य जीव संस्थान, कॉमन कॉज के प्रतिनिधियों को बुलाने की पेशकश की है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों की माँग के अनुसार एक जन सुनवाई आयोजित करने की पहल भी की जा रही है। इस अवसर पर गाँव के लोग भारी संख्या में उपस्थित रहे, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता बी.वी. मार्थण्ड, महेन्द्र सिंह, नत्थी सिंह, विजय सिंह, सुन्दरा देवी, बिमला देवी, हेमा देवी, कमला देवी, रीता बहन, युद्धवीर सिंह आदि दर्जनों लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये।
TAGS |
all weather road in Hindi, felling of trees in Hindi, forest conservation in Hindi, landslide in hills of uttarakhand in Hindi, raksha-sutra movement in Hindi |
/articles/gangaa-kae-udagama-maen-harae-paedaon-kao-bacaanae-kai-mauhaima