इलाहाबाद (सं)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गंगा प्रदूषण मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद विकास प्राधिकरण एवं जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि गंगा किनारे अधिकृत बाढ़ बिंदु से 500 मीटर क्षेत्र का तीन सप्ताह के भीतर चिह्नांकन कार्य पूरा करे और यह सुनिश्चित करे कि अधिकतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर के भीतर कोई भी निर्माण न होने पाए यदि निर्माण जारी हो तो उसे सील कर दिया जाए याचिका की अगली सुनवाई 18 मई को होगी।
न्यायालय के इस आदेश को संगम किनारे बन रहे ओमेक्स सिटी को राहत नहीं मिली है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति अरुण टंडन की खंडपीठ ने दिया है। ओमेक्स कंपनी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएमए काजमी ने बहस की कि 500 मीटर से बाहर उन्हें निर्माण करने दिया जाता। एडीए ने पूरी परियोजना पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने कहा है कि चिह्नांकन होने के बाद इस बारे में विचार किया जाएगा।
ओमेक्स के अधिवक्ता का कहना है कि एक वर्ष बीत चुके हैं और जिला प्रशासन चिह्नांकन नहीं कर सका है। जबकि अधिकतम बाढ़ सीमा का नंबर दाखिल किया जा चुका है। एडीए ने कहा कि इसके लिए डिजिटल मैप चाहिए। जिसके लिए विशेषज्ञों से संपर्क किया गया है।
न्यायालय ने एडीए को जिला प्रशासन की मदद से फाफामऊ, झूंसी, नैनी क्षेत्र कार्य चिह्नांकन किए जाने का आदेश दिया है।
न्यायालय के इस आदेश को संगम किनारे बन रहे ओमेक्स सिटी को राहत नहीं मिली है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति अरुण टंडन की खंडपीठ ने दिया है। ओमेक्स कंपनी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएमए काजमी ने बहस की कि 500 मीटर से बाहर उन्हें निर्माण करने दिया जाता। एडीए ने पूरी परियोजना पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने कहा है कि चिह्नांकन होने के बाद इस बारे में विचार किया जाएगा।
ओमेक्स के अधिवक्ता का कहना है कि एक वर्ष बीत चुके हैं और जिला प्रशासन चिह्नांकन नहीं कर सका है। जबकि अधिकतम बाढ़ सीमा का नंबर दाखिल किया जा चुका है। एडीए ने कहा कि इसके लिए डिजिटल मैप चाहिए। जिसके लिए विशेषज्ञों से संपर्क किया गया है।
न्यायालय ने एडीए को जिला प्रशासन की मदद से फाफामऊ, झूंसी, नैनी क्षेत्र कार्य चिह्नांकन किए जाने का आदेश दिया है।
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