गंगा की अविरलता और निर्मलता की माँग को लेकर मातृसदन के दो संतों ब्रम्हचारी आत्मबोधानंद और स्वामी पुण्यानंद का अनशन बृहस्पतिवार को भी जारी रहा। ये दोनों 24 अक्टूबर से अनशन पर हैं।
इस अनशन की खास बात यह है कि 22 वर्षीय आत्मबोधानंद स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के नक्शे कदम पर चलते हुए पिछले 16 दिनों से केवल निम्बू, पानी के साथ शहद का सेवन कर रहे हैं। स्वामी पुण्यानंद ने अन्न का त्याग कर दिया है और केवल फल का सेवन कर रहे हैं।
पिछले महीने 11 अक्टूबर को स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के हुए अचानक निधन के बाद ब्रम्हचारी आत्मबोधानंद ने उनकी माँगों को आगे बढ़ाते हुए अपने प्राणाहुति तक अनशन करने का फैसला किया है। वहीं, स्वामी पुण्यानंद ने आत्मबोधानंद की स्थिति बिगड़ने पर स्वामी सानंद की माँगों को आगे बढ़ाने का प्रण लिया है।
स्वामी सानंद के निधन के बाद गंगा के संरक्षण की माँग को लेकर संतों ने अपने तेवर और भी तीखे कर दिये हैं। इसी कड़ी में 24 जून से अनशनरत स्वामी गोपाल दास ने भी स्वामी सानंद की माँगों के समर्थन में अपना अनशन जारी रखा है। हालांकि, इस दरम्यान उन्हें कई बार जबरन अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका है। मिली जानकारी के अनुसार दो दिन पूर्व ही उन्हें ऋषिकेश के त्रिवेणीघाट से उठाकर जॉलीग्रांट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। फिर उन्हें वहाँ से दिल्ली रेफर कर दिया गया है।
इधर, स्वामी सानंद के शरीर को अन्तिम दर्शन के लिये तीन दिनों तक मातृसदन में रखे जाने के उत्तराखण्ड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थगन आदेश लगा दिये जाने के बाद इस मामले में याचिकाकर्ता डॉक्टर विजय वर्मा द्वारा इस मामले में फिर से न्यायालय के समक्ष गुहार लगाई गई थी। इस पर अपना निर्णय देते हुए कोर्ट ने एक दिन में 50 लोगों को ऋषिकेश एम्स में ही अन्तिम दर्शन की अनुमति दी है।
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