उप्र स्थित मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) ने भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने की दिशा में सफल प्रयोग किया है। ‘रिचार्ज वेल विद एयर वेंट्स’ नामक इस युक्ति से रेन वाटर हार्वेस्टिंग की पुरानी पद्धति के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक वाटर रिचार्ज होता है।
संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर हेमंत कुमार पांडेय कहते हैं, भूगर्भ जलस्तर को सुधारने के लिए सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक स्थलों, बहुमंजिला इमारतों और रिहायशी सोसाइटी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे हुए हैं। इसके कुएं (वेल) में जो पानी इकट्ठा होता है, वह धीरे-धीरे रिस कर जमीन में जाता है। अधिक बारिश होने पर पानी नालियों में बह जाता है। लेकिन हमारी तकनीक में इस समस्या का समाधन है।
दरअसल, एमएनएनआइटी के हॉस्टल में भी जो वेल बना था, उसका पानी भी बह जाता था। इसके लिए वहां पर दूसरे वेल को बनाने की जरूरत महसूस की गई। वेल बनाने के खर्च को बचाने के लिए सिविल विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर हेमंत कुमार पांडेय ने यह तकनीक तैयार की। उन्होंने वेल में चार एयर वेंट्स लगाए। इसको लगाने के बाद देखा गया कि वाटर रिचार्ज डेढ़ गुना अधिक हो गया। 40 मीटर गहरे वेल में पहले 150 लीटर पानी प्रति मिनट रिचार्ज होता था। वह बढ़कर 225 लीटर प्रति मिनट हो गया। पांडेय ने बताया, यहां पर एयर वेंट्स का सफल ट्रायल होने के बाद अन्य स्थानों पर इसका प्रयोग करने की तैयारी चल रही है।
वेल में लगाए जाते हैं चार पाइप
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जहां पर बना होता है, उस वेल या गड्ढे में एक इंच डाया वाले चार पाइप 40 फीट तक डाले जाते हैं। इससे जमीन की पहली परत तक सीधे हवा पहुंचती है, जिसके कारण ज्यादा तेजी से पानी रिचार्ज होता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में एयर वेंट्स लगाने में पांच हजार से लेकर 10 हजार तक का खर्च आता है।
पांडेय कहते हैं
भूगर्भ जलस्तर का सबसे ज्यादा दोहन सिंचाई में होता है। उत्तर भारत में ट्यूबवेल के माध्यम से ज्यादा सिंचाई होती है। अगर किसी भी जगह एक मीटर जलस्तर गिर जाता है, तो वहां पर चलने वाला एक ट्यूबवेल 0.4 किलोवाट ज्यादा बिजली खर्च करता है। लिहाजा, अन्य बुनियादी कारकों के साथ-साथ किसानों को घाटे से उबारने के लिए भी भूगर्भ जल स्तर का बढ़ाया जाना बेहद आवश्यक है और इसमें किसानों को भी भूमिका निभाना चाहिए।
एयर वेंट्स तकनीक पर प्रयोग सफल रहा है। इस तकनीक के माध्यम से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को पहले के मुकाबले डेढ़ गुना तक अधिक वाटर रिचार्ज करने लायक बनाया जा सकता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को इस तकनीक पर अपडेट करने में खर्च भी अधिक नहीं आता है। अब लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की जरूरत है।- हेमंत कुमार पांडेय, एसोसिएट प्रोफेसर, एमएनएनआइ, प्रयागराज
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