धीरे-धीरे दिमाग में माइक्रोप्लास्टिक भर रहा है, इमरजेंसी लागू हो: वैज्ञानिक

माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण  (courtesy - needpix.com)
माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण (courtesy - needpix.com)

मानें या न मानें एक क्रेडिट कार्ड जितना माइक्रोप्लास्टिक हर सप्ताह इंसान के शरीर में जा रहा है। यह बात हालिया अध्ययनों से सामने आ चुकी है। अब एक नए अध्ययन का दावा है कि शरीर के अन्य अंगों की तुलना में इंसानी दिमाग में सबसे अधिक माइक्रोप्लास्टिक है। हालात को चिंताजनक बताते हुए वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में आपातकाल लागू करने की सलाह तक दे दी है।

अध्ययन का तरीका

हिन्दुस्तान में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अध्ययन में 91 दिमाग के सैंपल लिए गए। इसमें पता चला कि मानव शरीर के सभी अंगों में माइक्रोप्लास्टिक है, लेकिन इसकी तुलना में दिमाग के भीतर 10-20 गुना अधिक नैनोप्लास्टिक के कण हैं। तुर्किये की काकुरोवा यूनिवर्सिटी में माइक्रोप्लास्टिक पर अध्ययन करने वांले सेदात गंडोडू ने कहा, 'इस मामले में दुनिया भर के देशों में आपातकाल घोषित किया जाना चाहिए।' 

शोधकर्ताओं ने वर्ष 2016 में अध्ययन के तहत लिए गए दिमाग के सैंपल की तुलना 2024 में लिए सैंपल से की। नतीजा चौंकाने वाला था क्योंकि इस आठ वर्ष की अवधि में दिमाग के भीतर माइक्रोप्लास्टिक 50% अधिक मिला। शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया के मरीजों के दिमाग से 12 सैंपल लिए थे। इनमें स्वस्थ सैंपल की तुलना में 10 गुना अधिक माइक्रोप्लास्टिक मिला। बता दें कि माइक्रोप्लास्टिक से कैंसर, दिल का दौरा और दिमागी बीमारियों जैसे डिमेशिया और अल्जाइमर का जोखिम बढ़ जाएगा।

प्लास्टिक के चम्मच जितने वजन का माइक्रोप्लास्टिक

इस साल की शुरुआत में न्यू मेक्सिको यूनिवर्सिटी के प्रो. मैथ्यू कैंपेन ने कहा था कि, 'इंसान के दिमाग में पांच से 10 ग्राम प्लास्टिक के कण हैं जो एक प्लास्टिक के चम्मच के आकार के बराबर है।' इससे बचाव के लिए शोधकर्ताओं ने सलाह दी कि लोगों को प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद करना होगा, विशेषकर सिंगल यूज वाले प्लास्टिक।

नैनोप्लास्टिक्स मस्तिष्क में

अल्बुकर्क में न्यू मेक्सिको यूनिवर्सिटी में फार्मास्युटिकल विज्ञान के प्रो. मैथ्यू कैंपेन बताया कि "हमने सामान्य व्यक्तियों के मस्तिष्क के ऊतकों में जो सांद्रता देखी, जिनकी औसत आयु लगभग 45 या 50 वर्ष थी, वह 4,800 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम या वजन के हिसाब से 0.5% थी,"  2024 की शुरुआत में शव परीक्षण में एकत्र किए गए मानव मस्तिष्क के नमूनों में आठ साल पहले एकत्र किए गए नमूनों की तुलना में नैनोप्लास्टिक के अधिक टुकड़े थे। हालांकि यह अध्ययन अभी प्रीप्रिंट है, यानी एक ऐसा अध्ययन है जिसकी अभी तक समीक्षा नहीं की गई है और किसी जर्नल में प्रकाशित नहीं किया गया है।

अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने 92 लोगों के मस्तिष्क, गुर्दे और यकृत के ऊतकों की जांच की, जिनकी 2016 और 2024 दोनों में मृत्यु के कारण को सत्यापित करने के लिए फोरेंसिक शव परीक्षण किया गया था। मस्तिष्क के ऊतकों के नमूने फ्रंटल कॉर्टेक्स से एकत्र किए गए थे, जो मस्तिष्क का वह क्षेत्र है जो सोचने से जुड़ा है। इससे तर्क, और जो फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया (एफटीडी) और अल्जाइमर रोग के बाद के चरणों से सबसे अधिक प्रभावित होता है।

और अंत में 

हाल ही में प्रकाशित इनवायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव जर्नल में एक स्टडी के मुताबिक प्लास्टिक के छोटे कण, जिन्हें हम माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं, ये हमारी दिमागी सेहत को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह स्टडी दरअसल बेहद महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है कि प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण अब हमारे शरीर में भी पहुंच रहे हैं। इन माइक्रोप्लास्टिक कणों का आकार बेहद छोटा होता है, जो शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंच जाते हैं। इसमें शामिल हैं दिल, दिमाग, लिवर, किडनी, प्लेसेंटा (नाल) और मां के दूध में भी ये कण पाए जाते हैं. ये ऐसे नुकसान करते हैं कि  लंबे समय तक इसके प्रभाव का असर शरीर पर होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, लोगों के ब्रेन में करीब 0.5 प्रतिशत माइक्रोप्लास्टिक जमा हो चुकी है।

यह सत्य है कि प्लास्टिक के छोटे टुकड़े, जिन्हें हम माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं, हमारे शरीर में पहुंच रहे हैं। ये टुकड़े खाने-पीने के जरिए हमारे ब्रेन, लंग, कोशिकाओं, हड्डियों, खून, मूत्र, शुक्राणु, और मांसपेशियों में पाए जा चुके हैं। वैज्ञानिक अभी भी माइक्रोप्लास्टिक के संभावित प्रभाव की जांच कर रहे हैं, क्योंकि ये मानव कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए हमें अपने उपयोग के प्लास्टिक को समझने और कम करने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।

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Post By: Kesar Singh
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