तपती धरती, कटते दरख्त, सूखते जलस्रोत, बढ़ता दोहन, तड़पते लोग, उदासीन समाज व सरकार - वर्तमान का यह परिदृश्य आज अनेक को बेचैन करता है। सब-कुछ जानते-समझते हुए भी कुछ न कर पाने की छटपटाहट भी अनेक मन में होती है। व्यक्तिगत तौर पर अनेक यह सोचते हैं कि पृथ्वी को नष्ट करने की कवायद इतनी संगठित और व्यापक है कि मैं अकेला कर भी क्या सकता हूँ? “जदि तोर डाक सुने ने केउ ना आरने तबे एकला चलो रे.........’’ - गुरु रबीन्द्र नाथ टैगोर का यह गीत अनेक मन में उत्साह भी भरता है, लेकिन कुछ विरले मन होते हैं, जो तय करते हैं कि मैं जो कर सकता हूँ, वह तो करूँ और करने में जुट जाते हैं।
एक ध्येय : एक विरला मन
ऐसा ही एक विरला मन है ज्ञानप्रकाश पाण्डेय का। उन्होंने तय किया कि वह कुछ और कर सकें या न कर सकें, लेकिन अभी चिन्ता तो साझा कर ही सकते हैं। लोगों को जगा सकते हैं। अनुरोध कर सकते हैं कि संकट सिर पर है; जागो भाई। शायद इस जन-जागरण से ही कुछ मन चेतें; शायद इसी से धरती बचाने में मेरा कुछ योगदान हो जाये। इस उम्मीद ने ज्ञानप्रकाश के कदम आगे बढ़ा दिये हैं। सिर पर संकल्प का साफा, हैंडल में तिरंगा और सामने तख्ती बाँधकर यह नौजवान निकल पड़ा है ‘धरती बचाओ साइकिल यात्रा’ पर।
यात्रा परिचय
तिथि : विश्व पर्यावरण दिवस - पाँच जून, 2016,
समय : 11 बजे
स्थान : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का प्रवेश द्वार।
संकल्प पक्का था, सो समाज की ताकतों ने भी हाथ बढ़ा दिये। संयुक्त व्यापार मण्डल के अध्यक्ष सीताराम जायसवाल ने झंडी दिखाई और यात्रा आगे बढ़ चली धरती जगाने। एक उमंग, एक संकल्प, एक हौसलाअफजाई।
यात्रा अवधि : पाँच जून, 2016 से पाँच जुलाई, 2016
यात्रा मार्ग : गोरखपुर, संत कबीर नगर, बस्ती, फैजाबाद, बाराबंकी, सीतापुर, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, रामपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा/दिल्ली, बुलन्दशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, अकबरपुर, कानपुर, फतेहपुर, इलाहाबाद, भदोही, वाराणसी, सुल्तानपुर और लखनऊ।
तय मुद्दे
जल संरक्षण, वृक्षारोपण, स्वच्छता, खुले में शौच से मुक्ति, जैविक व परम्परागत खेती, कार्बन उत्सर्जन में कटौती तथा नवीकरणीय ऊर्जा प्रयोग।
तय माँग
माँग है कि सरकारें 73वें-74वें संविधान संशोधन का मान रखें; पर्यावरण, जल संरक्षण और स्वच्छता जैसे विषयों के अधिकार व दायित्व तीसरी सरकार यानी अपनी सरकार यानी पंचायतों और नगरपालिकाओं को सौंपे।
तय गतिविधि
1. यात्रा मार्ग पर स्थानीय सहयोग से आयोजित कार्यक्रमों में अपनी बात कहना।
2. जिलाधिकारियों, सांसदों, विधायकों को ज्ञापन देकर समस्या के समाधान में सहयोग की अपील करना।
3. 17 जून को दिल्ली के मुख्यमंत्री तथा भारत के प्रधानमंत्री से मिलकर ज्ञापन व अनुरोध पत्र सौंपना।
4. पाँच जुलाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से वार्ता करना।
विशेष योगदान
सोशल इम्पावरमेंट सोसाइटी, राप्ती संस्कृति संरक्षण न्यास और तीसरी सरकार अभियान।
यात्री संपर्क :
ज्ञान प्रकाश पाण्डेय
मोबाइल - 09956631376
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