प्रदेश में जल निगम द्वारा छह जिलों के ग्रामीण इलाकों में पानी के लिए योजना बनाई गई है। इसमें शिप्रा-नर्मदा लिंक परियोजना के तहत इंदौर, देवास और उज्जैन के ग्रामीण इलाकों में पानी मिलेगा। इसी प्रकार रायसेन जिले के लिए भी योजना है। जबकि धार जिले के राजोद और खरगोन के निमरानी के लिए यह योजना लाई गई है। यह स्थानीय स्रोतों पर निर्भर है। राजोद का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि वहां से माही नदी और बांध दोनों ही नजदीक हैं, जहां से पानी लाया जा सकेगा। धार। जन-निजी भागीदारी के तहत मप्र में पहली बार जल प्रदाय योजना संचालित करने की तैयारी की जा रही है। दरअसल इसे जल निगम क्रियान्वित करने जा रहा है। माही नदी के किनारे के ग्राम राजोद में इस योजना का क्रियान्वयन शुरू होगा। हालांकि इसमें वक्त लगेगा किंतु जल निगम ने इस मामले में धार के राजोद और खरगोन के निमरानी के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है। साथ ही निविदा प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। जिले में ही नहीं पूरे प्रदेश में पानी के निजीकरण यानी पीपीपी मोड का यह पहला उदाहरण होगा।
अब तक नल-जल योजनाओं को संचालित करने की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पास हुआ करती थी। अब जल निगम के माध्यम से भी गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं। भले ही इस योजना को जन-निजी भागीदारी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टिसिपेशन नाम दिया जा रहा हो किंतु ग्रामीण क्षेत्र में जल के निजीकरण का यह पहला उदाहरण होगा। जिले में सरदारपुर तहसील के ग्राम राजोद का चयन किया गया है।
प्रदेश में जल निगम द्वारा छह जिलों के ग्रामीण इलाकों में पानी के लिए योजना बनाई गई है। इसमें शिप्रा-नर्मदा लिंक परियोजना के तहत इंदौर, देवास और उज्जैन के ग्रामीण इलाकों में पानी मिलेगा। इसी प्रकार रायसेन जिले के लिए भी योजना है। जबकि धार जिले के राजोद और खरगोन के निमरानी के लिए यह योजना लाई गई है। यह स्थानीय स्रोतों पर निर्भर है। राजोद का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि वहां से माही नदी और बांध दोनों ही नजदीक हैं, जहां से पानी लाया जा सकेगा।
राजोद की आबादी करीब 12 हजार है और वर्तमान में नल-जल योजना की स्थिति दयनीय है। अधिकांश वार्डों में पानी नहीं पहुंच पाता है। अब राजोद में इस योजना को लागू करने का मतलब है कि ग्रामीणों को हर हाल में पानी का पैसा देना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि जिस एजेंसी द्वारा राजोद में योजना के लिए ठेका लिया जाएगा उसको पानी का पैसा देना होगा।
ऐसे में आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि राजोद के हर घर में पानी का कनेक्शन देने के साथ-साथ मीटर लगा दिया जाएगा। जितना पानी खर्च होगा, उतना बिल उसे थमा दिया जाएगा। लेकिन सूत्रों का यह भी कहना है कि योजना घाटे वाली हो सकती है। ऐसे में जो घाटा होगा उसे एजेंसी को अनुदान के रूप में सरकार पूरा करेगी। इधर आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस मामले में टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डीपीआर बनकर तैयार भी हो चुकी है। नवंबर माह में निविदा खोली जा सकती है।
इधर संबंधित अधिकारी ने अपना नाम प्रकाशित न करने के आग्रह पर बताया कि इसके पीछे मकसद यह है कि ग्रामीणों को स्वच्छ पानी उपलब्ध हो। वजह यह है कि यहां पर पानी के लिए बकायदा फिल्टर प्लांट लगेगा। साथ ही इसकी जांच होगी और गुणवत्तायुक्त पानी पूरे प्रेशर के साथ दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि यह योजना प्रयोग के तौर पर रहेगी। यदि सफलता मिलती है तो भविष्य में इस तरह की योजना को सभी दूर लागू किया जा सकता है।
अब तक नल-जल योजनाओं को संचालित करने की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पास हुआ करती थी। अब जल निगम के माध्यम से भी गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं। भले ही इस योजना को जन-निजी भागीदारी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टिसिपेशन नाम दिया जा रहा हो किंतु ग्रामीण क्षेत्र में जल के निजीकरण का यह पहला उदाहरण होगा। जिले में सरदारपुर तहसील के ग्राम राजोद का चयन किया गया है।
क्यों हुआ चयन
प्रदेश में जल निगम द्वारा छह जिलों के ग्रामीण इलाकों में पानी के लिए योजना बनाई गई है। इसमें शिप्रा-नर्मदा लिंक परियोजना के तहत इंदौर, देवास और उज्जैन के ग्रामीण इलाकों में पानी मिलेगा। इसी प्रकार रायसेन जिले के लिए भी योजना है। जबकि धार जिले के राजोद और खरगोन के निमरानी के लिए यह योजना लाई गई है। यह स्थानीय स्रोतों पर निर्भर है। राजोद का चयन इसलिए किया गया है क्योंकि वहां से माही नदी और बांध दोनों ही नजदीक हैं, जहां से पानी लाया जा सकेगा।
जितना पानी उतना बिल
राजोद की आबादी करीब 12 हजार है और वर्तमान में नल-जल योजना की स्थिति दयनीय है। अधिकांश वार्डों में पानी नहीं पहुंच पाता है। अब राजोद में इस योजना को लागू करने का मतलब है कि ग्रामीणों को हर हाल में पानी का पैसा देना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि जिस एजेंसी द्वारा राजोद में योजना के लिए ठेका लिया जाएगा उसको पानी का पैसा देना होगा।
ऐसे में आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि राजोद के हर घर में पानी का कनेक्शन देने के साथ-साथ मीटर लगा दिया जाएगा। जितना पानी खर्च होगा, उतना बिल उसे थमा दिया जाएगा। लेकिन सूत्रों का यह भी कहना है कि योजना घाटे वाली हो सकती है। ऐसे में जो घाटा होगा उसे एजेंसी को अनुदान के रूप में सरकार पूरा करेगी। इधर आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि इस मामले में टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डीपीआर बनकर तैयार भी हो चुकी है। नवंबर माह में निविदा खोली जा सकती है।
स्वच्छ पानी का संकल्प
इधर संबंधित अधिकारी ने अपना नाम प्रकाशित न करने के आग्रह पर बताया कि इसके पीछे मकसद यह है कि ग्रामीणों को स्वच्छ पानी उपलब्ध हो। वजह यह है कि यहां पर पानी के लिए बकायदा फिल्टर प्लांट लगेगा। साथ ही इसकी जांच होगी और गुणवत्तायुक्त पानी पूरे प्रेशर के साथ दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि यह योजना प्रयोग के तौर पर रहेगी। यदि सफलता मिलती है तो भविष्य में इस तरह की योजना को सभी दूर लागू किया जा सकता है।
Path Alias
/articles/dhaara-jailae-kae-raajaoda-maen-haogaa-paanai-kaa-naijaikarana
Post By: Shivendra