दिल्लीवासियों को पाइप लाइन से जल आपूर्ति उपलब्ध किए जाने के क्रम में तथा गैर राजस्व जल हानि को कम करने के उद्देश्य से बोर्ड ने अनधिकृत पानी के कनेक्शनों को नियमित करने की योजना को प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है। इससे पूर्व अनधिकृत कनेक्शन को नियमित कराने के लिए आवेदनकर्ता को 20,000 का भुगतान करना पड़ता था। उपभोक्ता के लिए अधिकृत पानी के कनेक्शन से पानी प्राप्त करने के लिए इन प्रभारों को अब 3,310 कर दिया गया है। इसके द्वारा दिल्ली जल बोर्ड को गैर-राजस्व पानी में कमी लाने और पानी का लेखा लागू करने में सहायता मिलेगी।
नई दिल्ली, 19 मार्च (ब्यूरो) : द्वारकावासियों के लिए खुशखबरी है। द्वारका में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से पानी सप्लाई करने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार ने वापस लेकर दिल्ली जल बोर्ड को दे दी है। इससे अब उपनगरी द्वारका में जल एवं अवजल सेवाओं में निश्चित तौर पर सुधार आएगा। वीरवार को उपमुख्यमंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में हुई बोर्ड की 121वीं बैठक में बोर्ड ने कई भावी परियोजनाओं पर विचार-विमर्श किया और कई परियोजनाओं को मंजूरी दे दी। इसमें द्वारका में जल आपूर्ति में सुधार लाने से जुड़ी योजनाएं और अनधिकृत पानी के कनेक्शनों का नियमितिकरण करना भी शामिल है।
साथ ही अब द्वारकावासियों को डीडीए को जो बूस्टिंग चार्जिस (दोहन प्रभार) देना पड़ता था, अब वो भी नहीं देना पड़ेगा। उधर बोर्ड ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए विलम्ब शुल्क प्रभार में 100 प्रतिशत छूट की स्वीकृति प्रदान की है। इस सुविधा का लाभ केवल उन्हीं उपभोक्ताओं को मिलेगा जो 31 मार्च तक अपने पानी के बिल का पूरा भुगतान करेंगे।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 13 जनवरी के आदेश के सम्बन्ध में बोर्ड को यमुना नदी में प्रदूषण रोकने तथा अवजल सेवाएं प्रदान करने और पर्यावरण की साफ-सफाई के सुधार के लिए बनाई गयी योजनाओं के बारे में अवगत कराया गया।
बोर्ड को यह भी सूचित किया गया कि दिल्ली जल बोर्ड का कार्य सिर्फ घरेलू सीवेज के उपचार तक सीमित है और इस योजना का पूर्ण लक्ष्य तब ही सम्भव है जबकि सभी भागीदारी, दिल्ली विकास प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, दिल्ली नगर निगम, डी.एस.आई.आई.डी.सी., सिंचाई एवं बाढ़ नियन्त्रण विभाग और नागरिक भी यमुना नदी के किनारे हो रहे अवैध अतिक्रमण, नदी में ठोस कचरा न डाले और अनुपचारित कचरे को प्रवाह में जाने से रोकने के लिए समान्तर कार्य करें।
ट्यूबवेलों व रैनीवैलों का पुनःसंचालन
बोर्ड ने पल्ला क्षेत्र में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा परिचालित रैनीवैलों और ट्यूबवेलों के पुर्न:स्थापन और स्वचालन के लिए रूपए 17.36 करोड़ लागत की तकनीकी परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस परियोजना का लक्ष्य दिल्ली जल बोर्ड के जल संसाधनों में 15 मिलियन गैलन दैनिक की वृद्धि कर मौजूदा जल संसाधनों द्वारा अधिक जनसंख्या को लाभान्वित करना है।
सीवेज मास्टर प्लान 2031
दिल्ली जल बोर्ड ने बैठक में दिल्ली के सीवेज सुविधा रहित क्षेत्रों में सीवेज सुविधा क्रमबद्ध तरीके से उपलब्ध कराने वाले सीवेज मास्टर प्लान 2031 के विषय में सूचित किया है। सीवेज मास्टर प्लान के अधीन की जा रही परियोजनाओं में ऐसे निवासियों को सीवेज सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएगी जो वर्तमान में सीवेज सुविधा रहित क्षेत्रों में रह रहे हैं। इसके द्वारा नगर पर्यावरणीय स्थिति में सुधार होगा और नालियों में जा रहे सीवेज को रोकने में सहायता मिलेगी। सीवेज मास्टर प्लान 2031 की कॉपी दिल्ली जल बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड की गई है और भागीदारों से इस बारे में सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। बोर्ड द्वारा यह सुझाव दिया गया है कि सीवेज मास्टर प्लान के क्रियान्वयन के समय विकेन्द्रीकृत अवजल शोधन संयंत्रों को लगाने की सम्भावना पर भी ध्यान दिया जाए जिससे कि गैर पीने योग्य कार्यों के लिए उच्च गुणवत्ता के एफ्ल्युऐंट का उपयोग क्षेत्रीय आधार पर किया जाए। इससे उपलब्ध जल संसाधनों पर दबाव में कमी आएगी।
अवैध पानी कनेक्शन किए जाएंगे वैध
नई दिल्ली, 19 मार्च (ब्यूरो) : द्वारकावासियों के लिए खुशखबरी है। द्वारका में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से पानी सप्लाई करने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार ने वापस लेकर दिल्ली जल बोर्ड को दे दी है। इससे अब उपनगरी द्वारका में जल एवं अवजल सेवाओं में निश्चित तौर पर सुधार आएगा। वीरवार को उपमुख्यमंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष मनीष सिसोदिया की अध्यक्षता में हुई बोर्ड की 121वीं बैठक में बोर्ड ने कई भावी परियोजनाओं पर विचार-विमर्श किया और कई परियोजनाओं को मंजूरी दे दी। इसमें द्वारका में जल आपूर्ति में सुधार लाने से जुड़ी योजनाएं और अनधिकृत पानी के कनेक्शनों का नियमितिकरण करना भी शामिल है।
साथ ही अब द्वारकावासियों को डीडीए को जो बूस्टिंग चार्जिस (दोहन प्रभार) देना पड़ता था, अब वो भी नहीं देना पड़ेगा। उधर बोर्ड ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए विलम्ब शुल्क प्रभार में 100 प्रतिशत छूट की स्वीकृति प्रदान की है। इस सुविधा का लाभ केवल उन्हीं उपभोक्ताओं को मिलेगा जो 31 मार्च तक अपने पानी के बिल का पूरा भुगतान करेंगे।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 13 जनवरी के आदेश के सम्बन्ध में बोर्ड को यमुना नदी में प्रदूषण रोकने तथा अवजल सेवाएं प्रदान करने और पर्यावरण की साफ-सफाई के सुधार के लिए बनाई गयी योजनाओं के बारे में अवगत कराया गया।
बोर्ड को यह भी सूचित किया गया कि दिल्ली जल बोर्ड का कार्य सिर्फ घरेलू सीवेज के उपचार तक सीमित है और इस योजना का पूर्ण लक्ष्य तब ही सम्भव है जबकि सभी भागीदारी, दिल्ली विकास प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, दिल्ली नगर निगम, डी.एस.आई.आई.डी.सी., सिंचाई एवं बाढ़ नियन्त्रण विभाग और नागरिक भी यमुना नदी के किनारे हो रहे अवैध अतिक्रमण, नदी में ठोस कचरा न डाले और अनुपचारित कचरे को प्रवाह में जाने से रोकने के लिए समान्तर कार्य करें।
ट्यूबवेलों व रैनीवैलों का पुनःसंचालन
बोर्ड ने पल्ला क्षेत्र में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा परिचालित रैनीवैलों और ट्यूबवेलों के पुर्न:स्थापन और स्वचालन के लिए रूपए 17.36 करोड़ लागत की तकनीकी परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस परियोजना का लक्ष्य दिल्ली जल बोर्ड के जल संसाधनों में 15 मिलियन गैलन दैनिक की वृद्धि कर मौजूदा जल संसाधनों द्वारा अधिक जनसंख्या को लाभान्वित करना है।
सीवेज मास्टर प्लान 2031
दिल्ली जल बोर्ड ने बैठक में दिल्ली के सीवेज सुविधा रहित क्षेत्रों में सीवेज सुविधा क्रमबद्ध तरीके से उपलब्ध कराने वाले सीवेज मास्टर प्लान 2031 के विषय में सूचित किया है। सीवेज मास्टर प्लान के अधीन की जा रही परियोजनाओं में ऐसे निवासियों को सीवेज सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएगी जो वर्तमान में सीवेज सुविधा रहित क्षेत्रों में रह रहे हैं। इसके द्वारा नगर पर्यावरणीय स्थिति में सुधार होगा और नालियों में जा रहे सीवेज को रोकने में सहायता मिलेगी। सीवेज मास्टर प्लान 2031 की कॉपी दिल्ली जल बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड की गई है और भागीदारों से इस बारे में सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। बोर्ड द्वारा यह सुझाव दिया गया है कि सीवेज मास्टर प्लान के क्रियान्वयन के समय विकेन्द्रीकृत अवजल शोधन संयंत्रों को लगाने की सम्भावना पर भी ध्यान दिया जाए जिससे कि गैर पीने योग्य कार्यों के लिए उच्च गुणवत्ता के एफ्ल्युऐंट का उपयोग क्षेत्रीय आधार पर किया जाए। इससे उपलब्ध जल संसाधनों पर दबाव में कमी आएगी।
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