नदी के पास स्मृतियाँ हैं अनेकों,
उनकी भी जो
अब नहीं रहे। उनकी भी जो
आए ते कभी उसके किनारे।
किसी भी नदी के पास
स्मृतियाँ हैं अनेकों।
दिलाती हैं याद मुझे
देश की नदियों की
नदी दूर देश में!
कहाँ गया हूँ मैं सबके किनारे
पर, गया हूँ जिनके किनारे
वे सब आती हैं याद।
दूर देश में।
निकलती है धूप।
घिरती है रात।
उड़ती हैं चिड़ियाँ।
तितलियाँ।
पानी में झुकी घास।
गहरी परछाइयाँ।
सब जानती हैं नदियां।
उनकी भी जो
अब नहीं रहे। उनकी भी जो
आए ते कभी उसके किनारे।
किसी भी नदी के पास
स्मृतियाँ हैं अनेकों।
दिलाती हैं याद मुझे
देश की नदियों की
नदी दूर देश में!
कहाँ गया हूँ मैं सबके किनारे
पर, गया हूँ जिनके किनारे
वे सब आती हैं याद।
दूर देश में।
निकलती है धूप।
घिरती है रात।
उड़ती हैं चिड़ियाँ।
तितलियाँ।
पानी में झुकी घास।
गहरी परछाइयाँ।
सब जानती हैं नदियां।
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