डूबता वेनिस तैरते भवन


दुनिया में वेनिस जैसी शायद ही कोई और जगह हो, जो पानी में तैरती नजर आती है। तैरते हुये इस शहर ने न केवल गलियों को नहरों में और जमीनों को द्वीपों में बदल दिया है, बल्कि इसके मकानों के लकड़ी के पाये पानी में डूबे हुए हैं। समुद्र से लगे दूसरे इलाकों की तरह दुनिया का यह खूबसूरत शहर भी अब खतरे का सामना कर रहा है, क्योंकि जल-स्तर लगातार बढ़ रहा है और जमीन सिकुड़ती जा रही है।

वेनिस में हर दूसरे साल होने वाले आर्ट एंड आर्किटेक्चर के आयोजनों में इस साल इसकी शुरुआत आज हो रही है। शहर के इस आसन्न खतरे की ओर ध्यान दिलाया जाता रहा है। टिकाऊ स्थापत्य, जलवायु परिवर्तन और समुद्र के बढ़ते जल-स्तर के बारे में शहर वासियों को बताया जाता रहा है। अनेक लोगों ने बढ़ते जल-स्तर के अनुरूप अपने भवनों को ऊँचा उठा लिया है। कला प्रेमियों के देश इटली के वेनिस शहर में फ्लोटिंग आर्किटेक्चर यानी तैरती स्थापत्य कला अब समय की जरूरत है।

आर्ट एंड आर्किटेक्चर के द्विवार्षिक आयोजनों के एक निदेशक वोने फैरेल कहते हैं, “हम जिस समस्या से जूझ रहे हैं, उसमें आर्किटेक्ट ही अपने मौलिक विचारों के जरिये नई दिशा दे सकते हैं।” उनके मुताबिक, गम्भीर पर्यावरणीय समस्या के बीच हमारे आर्किटेक्ट अगर फ्लोटिंग बिल्डिंग्स जैसी उभरती तकनीकों के मामले में अपनी भूमिका निभा पाये तभी वे अपने पेशे के साथ न्याय कर पाएँगे। बात सिर्फ वेनिस तक सीमित नहीं है। चूँकि शहरों में निर्माण के लिये जमीन का न होना और जल-स्तर बढ़ना अब एक वैश्विक समस्या है, इसलिये दुनिया भर के आर्किटेक्ट्स, नाव बनाने वाले, डेवलपर्स और नगर योजनाकार इसे एक अवसर की तरह ले रहे हैं। वे डिजाइनर होम्स और फ्लोटिंग रिसॉर्ट्स बना रहे हैं। यहाँ तक कि फ्लोटिंग सिटीज भी उनकी योजनाओं में हैं।

रॉक द बोटः बोट्स केबिन्स एंड होम्स अॉन द वाटर (Rock the Boat: Boats, Cabins and Homes on the Water) के सह-सम्पादक मैक्स फंक कहते हैं, “बहुत से लोगों के लिये तैरते हुए भवन एक नया और रोमांचकारी आइडिया है।” यह किताब इस बारे में बताती है कि इंग्लैड, फिनलैंड, अमेरिका और स्लोवेनिया जैसे देशों में किस तरह तैरते केबिन और तैरते स्पा अब सच्चाई हैं। फंक कहते हैं पहले तैरते हुए मकान या तो अति धनाढ्य लोग खरीदते थे या फिर लोग छुट्टियों में इनका आनन्द उठाने के बारे में सोचते थे। लेकिन अब अनेक लोग तैरते मकानों में रहने के बारे में सोचने लगे हैं।

सिएटल के लेक यूनियन में 1920 में ही तैरते मकान बनने शुरू हुये थे। आज वहाँ पाँच सौ से अधिक फ्लोटिंग होम्स हैं। ऐसे ही एक भवन में कई साल से रह रहे विलियम डॉनेली कहते हैं, “मुझे पानी की आवाज सुनना और उसका गंध सूँघना अच्छा लगता है। यह सच्चाई भी मुझे आकर्षित करती थी की मेरा मकान जमीन से जुड़ा हुआ नही है, बल्कि आजाद है। मैं अब कभी जमीन पर नहीं रह पाऊँगा।
 

Path Alias

/articles/dauubataa-vaenaisa-taairatae-bhavana

Post By: editorial
×