विकसित देशों में तबाही मचाने के बाद अब भारत जैसे विकासशील देशों में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि विकसित देशों ने कोरोना पर नकेल कस ली है। कोरोना के संक्रमण को कम करने के लिए सभी ने प्रथम उपाय के तौर पर स्वच्छता (हैंड वाॅशिंग) और मास्क पहनने जैसे माध्यमों को अपनाया था। इसके बाद सोशल डिस्टेसिंग की बात सामने आई। जो सक्षम हैं और जहां सुविधा उपलब्ध है, वहां लोग इन सभी उपायों का पालन कर रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस के दस्तक देने के दौरान से ही भारत सहित विश्व भर में स्वच्छ पानी की उपलब्धता और स्वच्छता साधनों के अभावों का ज़िक्र होता रहा है। इसमें एशिया और अफ्रीकी देश हमेशा टाॅप पर रहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना को लेकर अफ्रीकी देशों के बारे में चेतावनी जारी कर चुका है, लेकिन इस बार जर्नल एनवायर्नमेंट हेल्थ पर्सपेक्टिव में प्रकाशित शोध ने दुनिया भर में स्वच्छता सुविधाओं के बारे में चैकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत किए हैं।
जर्नल एनवायर्नमेंट हेल्थ पर्सपेक्टिव में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि दुनिया के 200 करोड़ लोगों के पास हाथ धोने की सुविधा (साफ पानी, साबुन और सैनिटाइजर आदि) नहीं है। इसमें से 50 प्रतिशत आबादी उप-सहारा अफ्रीका और ओशिनिया में निवास करती है। रिपोर्ट के अनुसार साउथ एशिया की 37.2 प्रतिशत, नार्थ अफ्रीका और मध्य ईस्ट की 21.1 प्रतिशत, ट्राॅपिकल लैटिन अमेरिका की 13.8 प्रतिशत, सेंट्रल लैटिन अमेरिका की 10.6 प्रतिशत, अंडियन लैटिन अमेरिका की 12.9 प्रतिशत, कैरिबियन की 34.1 प्रतिशत, वस्टर्न यूरोप की 0.9 प्रतिशत, ईस्ट एशिया की 7.7 प्रतिशत, साउथ-ईस्ट एशिया की 16.6 प्रतिशत, सेंट्रल एशिया की 7.8 प्रतिशत, सेंट्र यूरोप क 2.8 प्रतिशत, ईस्टर्न यूरोप की 3.9 प्रतिशत और ओशिनिया की 56.6 प्रतिशत आबादी के पास हाथ धोने की सुविधा नहीं है।
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में चेताया गया था कि ‘‘प्रभावी कदम न उठाने पर कोविड-19 के कारण अफ्रीका में 83 हजार से 1 लाख 90 हजार लोगों की मौत हो सकती है, जबकि महामारी के पहले साल में ही यहां संक्रमितों की संख्या 4.4 करोड़ पहुंच सकती है। ये आंकलन वहां उपलब्घ सुविधाओं और वहां की परिस्थितियों के आधार पर ही है। इसके अलावा भारत में भी 5 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास हाथ धोने की सुविधा नहीं है। ये सब वही लोग हैं, जो दो-जून की रोटी के लिए रोजाना संघर्ष करते हैं। चीन, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नाइजीरिया, इथियोपिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और इंडोनेशिया जैसे हर देश में भी पांच-पांच करोड़ से ज्यादा लोगों के पास हाथ धोने के साधन नहीं हैं।
इस रिसर्च से हटकर यदि नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश के 35.8 प्रतिशत लोग साबुन और डिटर्जेंट से हाथ धोते हैं, जबकि 60.4 प्रतिशत लोग सिर्फ पानी से हाथ धोते हैं। इनमें से 56 प्रतिशत शहरी और 25.3 प्रतिशत ग्रामीण आबादी साबुन और डिटर्जेंट तथा 42.1 प्रतिशत शहरी और 69.9 प्रतिशत ग्रामीण आबादी केवल पानी से हाथ धोती है। 74 प्रतिशत परिवार शौच के बाद साबुन या डिटर्जेंट से हाथ धोते हैं, जबकि 13.4 प्रतिशत परिवार शौच के बाद केवल पानी से ही हाथ धोते हैं। ये सर्वे जुलाई से दिसंबर 2018 के बीच किया गया था।
ये स्थिति वास्तव में भयावह है और भयावह इसलिए भी हो सकती है, क्योंकि भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या अब तेजी से बढ़ रही है। हर दिन पांच हजार से ज्यादा संक्रमित मिल रहे हैं। ऐसे में भारत सहित अफ्रीकी देशों में कोरोना रोकना बड़ी समस्या बन सकता है। इसके लिए सबसे पहले स्वच्छता सुविधा के साधन उपलब्ध कराना बेहद जरूर है।
हिमांशु भट्ट (8057170025)
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