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साधारण तौर पर जब भी हमें खतरनाक चीज दिखाई देती है तो हम उसे ड्रैकुला का नाम दे देते हैं। लेकिन जरा सोचिए कि अगर कोई फूल हो और उसे ड्रैकुला कहा जाये तो कैसा लगेगा। सामान्यत: हम फूल को कोमल और लुभावना समझते हैं। परंतु, वास्तव में ये एक प्रकार के फूल हैं जिन्हें ड्रैकुला कहा जाता है, और जब इन फूलों की शक्ल बंदर जैसी हो तो इन्हें ‘मंकी फ्लावर’ कहा जाता है। फूलों को लेकर हर व्यक्ति की अपनी-अपनी पसंद होती है - किसी की गुलाब से तो किसी को सूरजमुखी से। लेकिन ईरेकिया शुल्ज नाम के व्यक्ति जिनकी उम्र 57 साल है और जो एक शौकिया फोटोग्राफर हैं, उनको पसंद है ड्रैकुला जैसे दिखने वाले ये पसंदीदा फूल। शुल्ज ने जर्मनी के एक पुष्प प्रदर्शनी के दौरान हेरेनहाउसेन के बगीचे से कई फोटो खींचे। शुल्ज ने कैटर समाचार एजेंसी को बताया कि इन फूलों को देखने के बाद भी मैं सहसा यह विश्वास नहीं कर पा रहा था कि यह फूल बंदरों से कितने मिलते-जुलते हैं।
मैं यकीन नहीं कर पा रहा था कि यह कितने अलग और खूबसूरत थे। जिन्हें भी मैं इन तस्वीरों को दिखाता वह भी मेरी ही तरह विस्मृत हो जाता था। वास्तव में बंदरों की तरह दिखने वाले यह फूल आर्किड प्रजाति के हैं। इनमें केवल एक या दो नहीं बल्कि 123 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। सवाल यह है कि यह फूल तो है परंतु यह है कहाँ? इस फूल का नाम ड्रैकुला सीमिया है। यह 1000 से 2000 मीटर की ऊँचाई पर दक्षिणी पूर्वी इक्वेडोर, कोलम्बिया और पेरू के वर्षा वनों में पाया जाता है। और मजेदार बात यह है कि इतिहास में अभी तक लोगों ने इन विशेष फूलों को इस लायक ही नहीं समझा कि इनके बारे में कहीं लिखा जाये।
![ड्रैकुला आर्किड्स : फूल या बंदर](https://c4.staticflickr.com/1/588/30735433723_22d743e954.jpg)
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गुच्छेदार त्रिकोणीय वाह्यदल पर एक असामान्य लंबी पूंछ दिखती है। ड्रैकुला आर्किड की जीभनुमा भाग में विशेष गंध होती है जो फ्रूट फ्लाई को आकर्षित करती है। यही छोटे कीट इनके परागण में सहायता करते हैं। ड्रैकुला आर्किड की पंखुड़ियाँ छोटी होती हैं लेकिन इसका लेबिला काफी लंबा होता है जो कि मशरूम की तरह हिलता रहता है। इसके हिलते समय ऐसा प्रतीत होता है कि यह आपको चिढ़ा रहा है। ड्रैकुला आर्किड अधिकतर उन जगहों पर ही पाया जाता है जहाँ पर दिन का तापमान 13-260 सेग्रे. के बीच होता है। आमतौर पर ऊँचे स्थानों के पौधे कम तापमान में ही उगते हैं।
यह फूल न्यूजीलैंड के नेपियर में गर्मी में भी उग सकते हैं क्योंकि वहाँ का तापमान इनके अनुकूल होता है रात और दिन के तापमान में 4-50 सेग्रे. का अंतर रहता है।
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![ड्रैकुला आर्किड्स : फूल या बंदर](https://c2.staticflickr.com/1/34/30735432953_8b8a381e55.jpg)
चूँकि इन पौधों के फूलों की शाखाएँ अधिकतर नीचे की ओर झुकती हैं, इसलिए ऊँचाई पर टंगे हुए डालियों में इनको लगाया जा सकता है जिनके तली में लकड़ियों के छोटे टुकड़ों को डालना अच्छा होगा।
इन फूलों को बहुत ही सीमित मात्रा में खाद की जरूरत होती है। खाद की मात्रा अधिक हो जाने पर इनका रंग काला पड़ जाता है। साधारणतया हर दूसरे साल इन पौधों के बर्तनों को बदल देना चाहिए, वरना इसके बीच के पत्ते सड़ने लगते हैं। इनकी राइजोम वाली पत्तियाँ जिनमें जीवित जड़ें हों, काटकर एक जगह से दूसरे बर्तन में लगाया जा सकता है, जिनमें पर्याप्त मात्रा में नमी सोखने के लिये लकड़ी के छोटे टुकड़े डाले जा सकते हैं।
![ड्रैकुला आर्किड्स : फूल या बंदर](https://c8.staticflickr.com/1/226/30735432343_4eed5b6215.jpg)
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