दिल्ली के पोखरे नहीं रहे मछलियों के रहने लायक

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के जलाशय इतने प्रदूषित हो चुके हैं कि ये जलचर जीवों के जीवन जीने लायक नहीं रह गए हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 96 जलाशयों में से तकरीबन 70 फीसदी में जलचर जीवों का बच पाना मुश्किल है। डीपीसीसी द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार यह पाया गया कि 42 जलाशय सूख गए थे। अन्य 24 जलाशयों में सीवेज के कारण से जाम हो गया था और उसमें मछली सहित अन्य जलचर जीवों के जीवित रहने लायक स्थिति नहीं थी।

रिपोर्ट में बताया गया है कि केवल 30 जलाशय पारिस्थितिकी के नजरिए से सही हैं। डीपीसीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण विभाग ने 184 जलाशयों की एक सूची सौंपी थी। इसमें जल की शुद्धता और ऑक्सीजन के स्तर को मापा जाना था, जिसके आधार पर ही जलचर जीवों का जीवन बचा रहता है। उन्होंने कहा कि अन्य जलाशयों की जांच अभी भी जारी है। इस वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी बताया कि 96 जलाशयों के सैम्पल सर्वे के मुताबिक बुराड़ी, टिकरी खुर्द, मैदानगढ़ी, आया नगर, रंगपुरी, दरियापुर, खेराकलान और अन्य में स्थित बहुत से जलाशयों में सीवेज के पानी के कारण जलचर जीवों का जीवन असुरक्षित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश जलाशयों में एक खास किस्म की घास फूस पाई गई, जो जल में धातु की ऊंची मात्रा का सूचक है। कुछ जलाशयों में पाया गया कि वहां सीवेज के जल के कारण मच्छरों ने बड़े पैमाने पर अंडे दिए हैं। कई जलाशय तो अब लुप्त हो गए हैं।

डीपीसीसी की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रानरोला जलाशय को भर दिया गया है और अब वहां पर प्राइमरी विद्यालय का निर्माण कर दिया गया है। नांगलोई जाट इलाके के दो जलाशयों को सरकारी एजेंसियों ने मकान बनाने के लिए भर दिया है। दूसरी ओर, यह भी पाया गया कि कांझवाला व पुठकालान के जलाशयों में जलचर जीवों के जीवन जीने लायक स्थिति मौजूद है। इन जलाशयों के जल का इस्तेमाल वहां के गांव वाले करते हैं। इसी तरह बुधपुर, अलीपुर, निजामपुर, बुराड़ी, सानोध जैसे इलाकों के जलाशयों के जल को अभी भी शुद्ध पाया गया।
 

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