यमुना में 1.2 पीपीएम तक पहुंची अमोनिया की मात्रा, 50 फीसदी जलापूर्ति प्रभावित
हरियाणा से दिल्ली आ रहे पानी में अमोनिया की मात्रा एक बार फिर बढ़ गई है। अमोनिया का स्तर बढ़ जाने की वजह से वजीराबाद और चंद्रावल प्लांट से की जा रही जलापूर्ति 50 प्रतिशत तक प्रभावित हो गई है। जल बोर्ड के मुताबिक सामान्यतौर पर पानी में 0.2 पीपीएम तक अमोनिया की मात्रा मान्य होती है लेकिन यह बढ़कर 1.2 पीपीएम तक पहुंच गई है। इससे दिल्ली के कई इलाकों में जल संकट गहरा गया है।
सबसे अधिक दिक्कत दक्षिणी दिल्ली में बढ़ी है, क्योंकि सामान्य दिनों में भी यहां पानी की आपूर्ति काफी कम होती है। चंद्रावल प्लांट से 90 एमजीडी और वजीराबाद से 131 एमजीडी पानी दिल्ली को उपलब्ध कराया जाता है। हरियाणा से गंदा पानी छोड़ा गया है और इस वजह से पीने के पानी की शुद्धता पर प्रभाव पड़ा है। बोर्ड के मुताबिक इस मामले को लगातार हरियाणा राज्य प्रदूषण बोर्ड व अपर यमुना बोर्ड के साथ मिलकर उठाया जाता है। दो वर्ष पूर्व भी हरियाणा ने इस स्थिति में सुधार करने का आश्वासन दिया था लेकिन हरियाणा की लापरवाही से एक बार फिर प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। जल बोर्ड ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
जांच टीम ने रिपोर्ट दी है कि पानीपत से औद्योगिक और घरेलू अवशिष्ट कचरा यमुना में आया है। इस वजह से अमोनिया का स्तर बढ़ा है। बोर्ड यह जांच कर रहा है कि दिल्ली आ रहा पानी पीने योग्य है या नहीं।
1. मध्य दिल्ली : जामा मस्जिद, चांदनी चौंक, खारी बावली, तीस हजारी, राजपुरा रोड, मोरी गेट, गुरू नानक मार्केट, ईदगाह
2. उत्तरी दिल्ली : शक्ति नगर, प्रेम नगर, राणा प्रताप बाग, राजपुरा, गुजरावाला टाउन, आदर्श नगर, केवल पार्क, देव नगर, जहांगीरपुरी, आजादपुर
3. दक्षिणी दिल्ली : संगम विहार, देवली, खानपुर, अंबेडकरनगर तिगड़ी, मदनगीर, दक्षिण पुरी, संजय कैंप, तुगलकाबाद, ग्रेटर कैलाश, सावित्री नगर, ईस्ट ऑफ कैलाश, संत नगर, चितरंजन पार्क।
4. एनडीएमसी क्षेत्र : नई दिल्ली लुटियन जोन और आसपास का इलाका
सोनीपत और पानीपत में स्थित विभिन्न फैक्ट्रियां अपना प्रदूषण कई बार सीधे यमुना में बहा देती हैं। इससे कई खतरनाक रसायन यमुना के पानी में घुल जाते हैं, जो सीधे दिल्ली आता है। कई बार दिल्ली सरकार की ओर से इस पर आपत्ति जताई जा चुकी है लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
मानकों के अनुसार पीने के पानी में अमोनिया की मात्रा बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। अगर पानी में अमोनिया है तो उसे साफ करने के लिए उसमें ज्यादा क्लोरीन मिलाई जाती है। उससे क्लोरोमीन्स बनते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
हरियाणा से दिल्ली आ रहे पानी में अमोनिया की मात्रा एक बार फिर बढ़ गई है। अमोनिया का स्तर बढ़ जाने की वजह से वजीराबाद और चंद्रावल प्लांट से की जा रही जलापूर्ति 50 प्रतिशत तक प्रभावित हो गई है। जल बोर्ड के मुताबिक सामान्यतौर पर पानी में 0.2 पीपीएम तक अमोनिया की मात्रा मान्य होती है लेकिन यह बढ़कर 1.2 पीपीएम तक पहुंच गई है। इससे दिल्ली के कई इलाकों में जल संकट गहरा गया है।
सबसे अधिक दिक्कत दक्षिणी दिल्ली में बढ़ी है, क्योंकि सामान्य दिनों में भी यहां पानी की आपूर्ति काफी कम होती है। चंद्रावल प्लांट से 90 एमजीडी और वजीराबाद से 131 एमजीडी पानी दिल्ली को उपलब्ध कराया जाता है। हरियाणा से गंदा पानी छोड़ा गया है और इस वजह से पीने के पानी की शुद्धता पर प्रभाव पड़ा है। बोर्ड के मुताबिक इस मामले को लगातार हरियाणा राज्य प्रदूषण बोर्ड व अपर यमुना बोर्ड के साथ मिलकर उठाया जाता है। दो वर्ष पूर्व भी हरियाणा ने इस स्थिति में सुधार करने का आश्वासन दिया था लेकिन हरियाणा की लापरवाही से एक बार फिर प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। जल बोर्ड ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
यह कदम उठाए
जांच टीम ने रिपोर्ट दी है कि पानीपत से औद्योगिक और घरेलू अवशिष्ट कचरा यमुना में आया है। इस वजह से अमोनिया का स्तर बढ़ा है। बोर्ड यह जांच कर रहा है कि दिल्ली आ रहा पानी पीने योग्य है या नहीं।
ये इलाके हुए प्रभावित
1. मध्य दिल्ली : जामा मस्जिद, चांदनी चौंक, खारी बावली, तीस हजारी, राजपुरा रोड, मोरी गेट, गुरू नानक मार्केट, ईदगाह
2. उत्तरी दिल्ली : शक्ति नगर, प्रेम नगर, राणा प्रताप बाग, राजपुरा, गुजरावाला टाउन, आदर्श नगर, केवल पार्क, देव नगर, जहांगीरपुरी, आजादपुर
3. दक्षिणी दिल्ली : संगम विहार, देवली, खानपुर, अंबेडकरनगर तिगड़ी, मदनगीर, दक्षिण पुरी, संजय कैंप, तुगलकाबाद, ग्रेटर कैलाश, सावित्री नगर, ईस्ट ऑफ कैलाश, संत नगर, चितरंजन पार्क।
4. एनडीएमसी क्षेत्र : नई दिल्ली लुटियन जोन और आसपास का इलाका
क्यों-कहां से आता है अमोनिया
सोनीपत और पानीपत में स्थित विभिन्न फैक्ट्रियां अपना प्रदूषण कई बार सीधे यमुना में बहा देती हैं। इससे कई खतरनाक रसायन यमुना के पानी में घुल जाते हैं, जो सीधे दिल्ली आता है। कई बार दिल्ली सरकार की ओर से इस पर आपत्ति जताई जा चुकी है लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
सेहत को खतरा
मानकों के अनुसार पीने के पानी में अमोनिया की मात्रा बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। अगर पानी में अमोनिया है तो उसे साफ करने के लिए उसमें ज्यादा क्लोरीन मिलाई जाती है। उससे क्लोरोमीन्स बनते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
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