डिजिटल इंडिया बदलेगा देश की तस्वीर (Digital India)


भारत वर्ष के क्षेत्रफल, जनसंख्या, भाषाओं और अन्य विविधताओं के चलते समस्त सुविधाओं और कार्यक्रमों की जानकारी प्रत्येक नागरिक तक पहुँचाना एक दुरूह कार्य था। मिजोरम में बैठे मरीज के लिये बिना बड़े शहर जाए यह जान पाना एक असम्भव कार्य था कि कहीं उसे कैंसर तो नहीं है, और अगर है, तो किस स्तर का है? डिजिटल क्रान्ति ने उसकी इस समस्या का निदान किया; हाल ही में कैंसर इलाज के लिये विख्यात टाटा मेमोरियल अस्पताल के डॉक्टरों ने ऐसे मोबाइल एप्लीकेशन को तैयार किया है, जिसे मोबाइल में डाउनलोड करने के बाद, एप्लीकेशन द्वारा माँगी गई सूचनाओं को भरने पर यह जाना जा सकता है कि मरीज को कैंसर है कि नहीं, और अगर है तो उसका स्तर क्या है और कैंसर बढ़ने वाली प्रवृत्ति का है या नहीं। यही नहीं, अपनी इस सफलता से उत्साहित होकर अस्पताल के चिकित्सकों ने फरवरी 2016 तक इस एप्लीकेशन में उन जानकारियों को जाड़ने की तैयारी कर ली है, जो मरीजों और उनके परिजनों के लिये अति-लाभप्रद होगी।

टाटा मेमोरियल की ये डिजिटल पहल इस बात को दर्शाती है कि डिजिटल क्रांति किस तरह से भारत की तस्वीर बदल रही है। डिजिटल पहल का दूसरा सुखद पहलू यह भी है कि इसके चलते पर्यावरण की भी रक्षा हो रही है। सिर्फ इस कैंसर डिटेक्शन एप्लीकेशन को बनाने से टाटा मेमोरियल अस्पताल ने उस हजारों टन कागज की बचत कर ली है, जिस पर कैंसर डिटेक्शन से सम्बन्धित जानकारी देने हेतु किताबें छापी जाती थीं। इसके साथ ही इन किताबों को लाने और देश के विभिन्न कोनों में भेजने की झंझट और खर्च भी समाप्त हो गया।

डिजिटल इण्डिया‘डिजिटल इंडिया’ भारत सरकार की वह दूरदृष्टा योजना है, जिसके तहत कश्मीर से कन्याकुमारी तक के नागरिकों को सरकारी सेवाओं की ऑनलाइन सुविधा के माध्यम से घर बैठे पहुँच होगी। डिजिटल इण्डिया वस्तुत: इंटरनेट, नेटवर्किंग, हार्डवेयर, मोबाइल, कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर के समन्वय से बनाया गया एक ऐसा मंच है, जो नागरिकों को सरकार से सीधा जोड़ता है, सुविधाओं के उपयोग को सरल बनाता है और सरकारी सेवाओं की जानकारी देता है। इस सुविधा से देश का कोई हिस्सा छूट ना जाए, इसके लिये देश के ग्रामीण क्षेत्रों को तीव्र गति के इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इस योजना को सफल बनाने के लिये डिजिटल इंडिया के तीन मुख्य अवयव हैं।

1. देश में एक प्रभावी डिजिटल ढाँचे की स्थापना
2. सेवाओं व सुविधाओं का डिजिटल प्रदान
3. डिजिटल साक्षरता

इस योजना के तहत एक दोतरफा डिजिटल प्लेटफार्म का निर्माण किया जाएगा जिससे सेवा-प्रदाता और उपभोक्ता, दोनों एक दूसरे से जुड़ सकेंगे और लाभान्वित होंगे। इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिये इसे “डिजिटल इण्डिया सलाहकार समूह” द्वारा संचालित और नियंत्रित किया जाएगा, जो एक अंतर-मंत्रालयीय पहल है। इसके तहत सभी मंत्रालय व विभाग, जन स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा, बैंकिंग, वाणिज्य, न्यायिक इत्यादि सेवाओं को डिजिटल रूप में उपलब्ध करायेंगे। इस सुविधा का लोग अधिकाधिक प्रयोग कर सकें, इसके लिये पूरे देश के 4 लाख इंटरनेट केंद्र, 2.5 लाख गाँवों में ब्रॉडबैंड सुविधा, 2.5 लाख विद्यालयों, विश्वविद्यालयों में वाई-फाई सुविधा, नागरिकों के लिये सार्वजनिक वाई-फाई क्षेत्र उपलब्ध कराये जायेंगे। इस योजना के नौ प्रमुख स्तम्भ हैं।

1. ब्रॉडबैंड हाइवे


इसे तीन प्रमुख भागों में बाँटा गया है।

अ. सबके लिये ब्रॉडबैंड-ग्रामीण- इस योजना में वर्ष 2016 तक देश की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के तहत ब्रॉडबैंड से जोड़ने की योजना है।

ब. सबके लिये ब्रॉडबैंड-शहरी- इस योजना के तहत शहरों में इंटरनेट संजाल में बढ़ोत्तरी की जायेगी और भविष्य में होने वाले शहरी विकास और इमारतों में संचार के बुनियादी ढाँचे को अनिवार्य किया जाएगा।

स. राष्ट्रीय सूचना संरचना- इससे देश में नेटवर्क और क्लाउड संरचना के एकीकरण का काम किया जाएगा। जिससे सरकारी विभागों से लेकर पंचायत स्तर तक तीव्र गति की इंटरनेट सुविधा सुनिश्चित हो सके।

2. मोबाइल सेवाओं की सर्वसुलभता


डिजिटल इंडिया योजना की सफलता के लिये ये आवश्यक है कि देश में मोबाइल कनेक्टिविटी निरन्तरता बनी रहे। इसके तहत देश के सभी भागों को मोबाइल नेटवर्क से जोड़ा जायेगा। फिलहाल 55.619 गाँव ऐसे हैं, जो मोबाइल की सुविधा से वंचित हैं। इस समन्वित विकास योजना के तहत देश के उत्तर-पूर्व के गाँवों में कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है।

3. जन इंटरनेट उपलब्धता योजना


सार्वजनिक सेवा केंद्र एवं डाकघर इस कार्यक्रम के दो उप-घटक हैं, जो बहुउद्देशीय सुविधा केन्द्रों के रूप में कार्य करेंगे। इसके तहत जहाँ इंटरनेट केन्द्रों की संख्या बढ़ कर 2,50,00 कर दी जायेगी, वहीं देश भर में फैले 1,50,000 डाकघरों को बहुउद्देशीय सुविधा केन्द्रों में बदल दिया जाएगा। ये दोनों घटक सरकारी और व्यापारी सेवाओं के बहुकार्यात्मक केन्द्रों के रूप में काम करेंगे।

4. ई गवर्नेंस


इसके तहत सरकार को जवाबदेह बनाया जाएगा और काम-काज में पारदर्शिता लायी जायेगी। सरकारी काम-काज के सुधार की दिशा में ये एक प्रभावी पहल है। इससे सरकारी प्रक्रमों के सरलीकरण और सेवाओं को जन-सुविधाजनक बनाने की योजना है। इसके लागू होने से सरकारी कार्यालयों में अनावश्यक फाइलों की संख्या में कमी होगी और कागज का कम उपयोग होगा; इसके चार प्रमुख बिन्दु हैं।

अ. सरकारी आवेदन-पत्रों व प्रपत्रों का सरलीकरण और उनकी प्रविष्टियाँ कम कर सिर्फ आवश्यक जानकारियों का माँगा जाना।

ब. आवेदन-पत्रों का ऑनलाइन भरा जाना और भरने वालों को आवेदन की स्थिति के विषय में ऑनलाइन जानकारी प्रदान करना।

स. नागरिकों के लिये उनके शिक्षा, पहचान व अन्य प्रमाण-पत्रों को ऑनलाइन कोष में जमा किया जाने को अनिवार्य किया जाना, ताकि उन्हें हर बार इनको व्यक्तिगत रूप से जाकर ना दिखाना पड़े और सम्बन्धित विभाग इन्हें ऑनलाइन देख सके।

द. आधार योजना, भुगतान गेटवे, मोबाइल सेवा मंच, डाटा आदान-प्रदान इत्यादि सभी सेवाओं का एकीकरण करना और राष्ट्रीय एवं राज्य डिलिवरी गेटवे को एकीकृत व अंतर-उपयोगी सेवाओं को नागरिकों को और व्यापारिक कार्यों हेतु देना अनिवार्य किया जाना।

5. ई-क्रांति


यह कार्यक्रम डिजिटल का सर्वाधिक मजबूत स्तम्भ है। इसके तहत लोगों को विभिन्न सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप में मुहैया कराया जाएगा। इसके लागू होने से सभी कार्यरत व नई ईगवर्नेंस परियोजनाओं के साथ ही उन सभी परियोजनाओं को जो अस्तित्व में हैं, ई-क्रांति के, ‘अनुवाद नहीं परिवर्तन’ और ‘व्यक्तिगत नहीं, एकीकृत सेवा’ के सिद्धांत का पालन करना होगा। इस कार्यक्रम के तहत सभी मिशन मोड परियोजनाओं को ‘गवर्नमेंट प्रोसेस इंजीनियरिंग’ पालन करना अनिवार्य होगा। वर्तमान में ई-क्रांति के तहत 44 मिशन मोड परियोजनाएँ हैं। यह सरकारी सेवाओं और परियोजनाओं में पारदर्शिता लाने और उन्हें निष्पक्ष व प्रभावी बनाने की सशक्त पहल है।

6. सूचनाओं की सर्वसुलभता


सरकारी जानकारियों को जनसामान्य को सुलभ कराने के उद्देश्य से सरकार ने वेब साइट बनाई हैं। जिसमें ओपन डाटा प्लेटफार्म एक ऐसा ही पोर्टल है। इस पर विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा खुले प्रारूप में आँकड़े व जानकारियाँ डाली जाएंगी जिनका सामान्य नागरिक भी उपयोग, पुनर्उपयोग या पुनर्वितरण कर सकता है। इसके अलावा सोशल मीडिया और वेब आधारित मंचों पर सूचना देने और वार्तालाप के उद्देश्य से mygov.in नाम से पोर्टल बनाया गया है। यह शासकीय व्यवस्था के सुधार में नागरिकों की भागीदारी कराने की एक अनूठी पहल है। इसके द्वारा नागरिक सरकार से विचारों और सुझावों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त ऑनलाइन संदेशों के माध्यम से सरकार विभिन्न अवसरों पर नागरिकों से सम्पर्क बनाये रखेगी।

7. इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्माण


विश्व में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की माँग 22 प्रतिशत वार्षिक से बढ़ रही है और संभावना है कि ये माँग वर्ष 2020 तक 400 खरब अमेरिकी डॉलर की हो जायेगी। इस माँग का एक बड़ा हिस्सा भारत आयात करता है, जिससे ना सिर्फ विदेशी मुद्रा कोष कम होता है, अपितु अर्थव्यवथा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बाजार और माँग को देखते हुए सरकार ने देश के अंदर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण को प्रोत्साहन और वर्ष 2020 तक इसके आयात को शून्य करने का निर्णय लिया है। इसके तहत सरकार सेट-टॉप बॉक्सेस, वीसैट, मोबाइल, कैमरा, चिकित्सीय व अन्य उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, स्मार्ट एनर्जी मीटर, स्मार्ट कार्ड, माइक्रो एटीएम इत्यादि के निर्माण पर विशेष जोर देगी।

8. नौकरियों के लिये सूचना-प्रौद्योगिकी


डिजिटल इण्डिया यह एक और मजबूत स्तम्भ है। इसके तहत युवाओं को सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रशिक्षित कर उन्हें नौकरियों के लिये तैयार किया जाएगा। बेरोजगारी दूर करने की दिशा में यह एक प्रभावी कदम है। इस कार्यक्रम की विशेष बात यह है कि इसमें छोटे नगरों और गाँवों के युवकों को केंद्रित किया गया है। इसके अंतर्गत पाँच साल में छोटे नगरों ओर गाँवों के 1 करोड़ युवकों आईटी के क्षेत्र में प्रशिक्षित करना है। इसके अतिरिक्त 3 लाख ट्रेनिंग डिलिवरी सर्विस एजेंट तैयार करने हैं और पाँच लाख युवकों की ऐसी कार्यकुशल फौज तैयार करनी है, जो आने वाले समय में दूरसंचार और दूरसंचार से संबन्धित सेवाओं की माँगपूर्ति कर सके। इसके साथ ही उत्तर-पूर्व के राज्यों में कॉल-सेंटरों की स्थापना पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

9. अर्ली हार्वेस्ट कार्यक्रम


इस कार्यक्रम के महत वे योजनायें शामिल हैं, जिन्हें सीमित अवधि में लागू कर दिया जाना है। जिसमें सर्वाधिक प्रमुख गुमशुदा और लावारिस पाये गए बच्चों की पूरी जानकारी देने वाली वेबसाइट निर्माण है। जिससे इन बच्चों को उनके घर वालों से मिलाया जा सके। इसके अतिरिक्त इसमें सरकारी शुभकामना संदेशों को पूर्णत: इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजा जाना, बायोमेट्रिक उपस्थिति, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्रों में वाईफाई, सरकारी ई-मेल और सुरक्षित करना, सरकारी ई-मेल डिजाइनों का मानकीकरण, विद्यालयों में ई-बुक्स को लागू करना, मौसम, आपदा आदि की जानकारी ई-संदेशों से दिया जाना इत्यादि शामिल है।

भारत वर्ष के विस्तार को देखते हुए डिजिटल इण्डिया एक ऐसी पहल है जो विषमता समाप्त करते हुए ना सिर्फ सुदूर क्षेत्रों में बसे लोगों को विकसित शहरों के नागरिकों के साथ समान क्षितिज पर ले आएगा, अपितु उन्हें उन जानकारियों और सुविधाओं को घर उपलब्ध करायेगा, जिनके लिये उन्हें उन मंत्रालयों और विभागों के चक्कर काटने पड़ते थे। जिसके चलते नागरिकों का समय और पैसा दोनों बर्बाद होता था। रोचक तथ्य यह है कि देश के जो लोग साक्षर नहीं है, वे भी अपनी उँगलियों को मोबाइल पर चलाना और उससे जानकारियाँ निकालना बखूबी जानते हैं। डिजिटल साक्षरता अभियान उनकी कुशाग्रता को सही रूप देगा और वे अब अपने कार्यों के लिये दूसरों पर निर्भर नहीं रहेंगे। इस योजना में इस तरह से उत्तर-पूर्व के राज्यों का विशेष ध्यान रखा गया है, उससे देश का समग्र विकास होना तय है।

इस योजना से सर्वाधिक लाभान्वित वे बुजुर्ग होंगे, जो अस्वस्थता और उम्र चलते दौड़-भाग नहीं कर पाते थे और अपने अधिकारों से वंचित रह जाते थे। अब ऐसे करोड़ों लोग बस अपनी उँगलियों का इस्तेमाल कर अपना हक प्राप्त कर सकेंगे। इसलिये यह यकीन के साथ कहा जा सकता है कि डिजिटल इण्डिया योजना ना सिर्फ देश की तस्वीर बदल देगी, बल्कि भारत की उस पुरानी कहावत को भी चरितार्थ करने जा रही है, जिसमें कहा जाता है कि “हमारे लिये तो सारी सुविधाएँ उँगलियों पर उपलब्ध हैं।”

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