1. 86 करोड़ की फ्लोराइड मुक्त पेयजल योजना अधूरी
2. टेमरिया स्कूल के 22 बच्चों में फ्लोरोसिस की आशंका
धार। विकासखंड में फ्लोराइडयुक्त पानी पीकर लोग फ्लोरोसिस का शिकार हो रहे हैं। इसकी चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण टेमरिया के एक स्कूल में देखने को मिला जहां फ्लोरोसिस परीक्षण में 58 में से 22 बच्चे डेंटल सस्पेक्टिड मिले। वहीं एक छात्रा रायका के दांतों सहित कमर में हड्डियों के क्षरण की गंभीर स्थिति मिली। रायका ने बताया कि यही लक्षण परिवार के अन्य सदस्य में भी हैं। क्षेत्र में केंद्र सरकार की फ्लोराइडमुक्त करोड़ों की पेयजल योजना अधूरी है। इसकी समय सीमा 2012 तक थी, लेकिन अभी भी काम अधूरा पड़ा है।
पानी में फ्लोराइड होने से लोग साफ व स्वच्छ पानी के लिए भटक रहे हैं। ग्राम पन्हाल में तो लोग खुले कुएं से पानी पीने को मजबूर हैं। योजना के तहत पेयजल मिलने पर क्षेत्र के लोगों को फ्लोराइडमुक्त पानी मिल पाएगा। योजना के अंतर्गत डही विकासखंड के 18 गांव की 67 बसाहटों में फलोराइड मुक्त जल प्रदाय किया जाना है। इसके अलावा कुक्षी की 57 बाग की 32 एवं निसरपुर की 55 बसाहटें भी योजना में शामिल हैं। चारों विकासखंड के लिए योजना पर 86 करोड़ 20 लाख रु. व्यय हुए हैं।
योजना के अंतर्गत डही में ही तीन साल से टंकी का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। अन्य बसाहटों में भी टंकी का कार्य अधूरा पड़ा है। ग्राम दोगांवा में फिल्टर प्लांट अभी परीक्षण के स्तर पर है। ग्राम टेमरिया के शोभाराम अलावा ने बताया कि ग्राम में पाइप लाइन बिछाने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। जहां पाइप लाइन डाल दी, वहां लेवल मिलाने से लेकर स्थानीय परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखा गया है। ग्राम बड़वान्या व अतरसुमा में तो पाइप जमीन के ऊपर ही बिछा दिए हैं।
पीएचई ने क्षेत्र के डही, भगांवा, छेंडिया, पन्हाल, नलवान्या, कोटबा, सिदड़ी, अतरसुमा, नरझली, काकरियां, गाजगोटा, रणगांव, फिफेड़ा, थांदला, बड़वान्या, कलमानी, सिलकुआं व टेमरियां को फ्लोराइड प्रभावित ग्राम घोषित किया है। इन ग्रामों में खासकर हैंडपंपों से निकलने वाला पानी फ्लोराइड उगल रहा है।
अज्ञानतावश कई ग्रामीण इन हैंडपंपों से ही पानी पी रहे हैं। हालांकि कई जगह पीएचई ने ऐसे हैंडपंप बंद कर दिए हैं। टेमरिया में बच्चों में दांत की जांच में पाए लक्षण इस ओर इशारा कर रहे हैं।
बुधवार से जिला सलाहकार (फलोरोसिस) डॉ. एमडी भारती राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के डॉण् सरदारसिंह अलावाए डॉण्राकेश डावर आदि के साथ डही क्षेत्र के भ्रमण पर निकले। उन्होंने फलोराइड प्रभावित ग्राम टेमरिया से इसकी शुरुआत की। यहां 58 स्कूली बच्चों के फ्लोरोसिस परीक्षण में डेंटल के 22 सस्पेक्टिड पाए गए। उन्हें दवाई देकर जिन स्त्रोतों से वे पानी पी रहे हैंए वहां का पानी न पीने की सलाह दी गई। साथ ही हरी सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करने को कहा गया।
टेमरिया के स्कूल में 8वीं में पढ़ने वाली छात्रा रायका में फ्लोरोसिस के गंभीर लक्षण मिले हैं। छात्रा ग्राम बोड़गांव से टेमरिया पढ़ने आती है। पीएचई ने जो 18 गांव चिन्हित किए हैंए उनमें बोड़गांव शामिल नहीं है। ऐसे में और गांवों में भी फ्लोराइड होने का अंदेशा है।
मैदानी स्तर पर एक सप्ताह में टेस्टिंग हो जाएगी। जल्द ही प्रभावित बसाहटों को शुद्ध पानी मिलेए इस पर तेज गति से काम हो रहा है।
बीआर उइके, एसडीओ, पीएचई कुक्षी।
2. टेमरिया स्कूल के 22 बच्चों में फ्लोरोसिस की आशंका
धार। विकासखंड में फ्लोराइडयुक्त पानी पीकर लोग फ्लोरोसिस का शिकार हो रहे हैं। इसकी चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण टेमरिया के एक स्कूल में देखने को मिला जहां फ्लोरोसिस परीक्षण में 58 में से 22 बच्चे डेंटल सस्पेक्टिड मिले। वहीं एक छात्रा रायका के दांतों सहित कमर में हड्डियों के क्षरण की गंभीर स्थिति मिली। रायका ने बताया कि यही लक्षण परिवार के अन्य सदस्य में भी हैं। क्षेत्र में केंद्र सरकार की फ्लोराइडमुक्त करोड़ों की पेयजल योजना अधूरी है। इसकी समय सीमा 2012 तक थी, लेकिन अभी भी काम अधूरा पड़ा है।
पानी में फ्लोराइड होने से लोग साफ व स्वच्छ पानी के लिए भटक रहे हैं। ग्राम पन्हाल में तो लोग खुले कुएं से पानी पीने को मजबूर हैं। योजना के तहत पेयजल मिलने पर क्षेत्र के लोगों को फ्लोराइडमुक्त पानी मिल पाएगा। योजना के अंतर्गत डही विकासखंड के 18 गांव की 67 बसाहटों में फलोराइड मुक्त जल प्रदाय किया जाना है। इसके अलावा कुक्षी की 57 बाग की 32 एवं निसरपुर की 55 बसाहटें भी योजना में शामिल हैं। चारों विकासखंड के लिए योजना पर 86 करोड़ 20 लाख रु. व्यय हुए हैं।
अधूरे हैं कार्य
योजना के अंतर्गत डही में ही तीन साल से टंकी का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। अन्य बसाहटों में भी टंकी का कार्य अधूरा पड़ा है। ग्राम दोगांवा में फिल्टर प्लांट अभी परीक्षण के स्तर पर है। ग्राम टेमरिया के शोभाराम अलावा ने बताया कि ग्राम में पाइप लाइन बिछाने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। जहां पाइप लाइन डाल दी, वहां लेवल मिलाने से लेकर स्थानीय परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखा गया है। ग्राम बड़वान्या व अतरसुमा में तो पाइप जमीन के ऊपर ही बिछा दिए हैं।
फ्लोराइड प्रभावित ग्राम
पीएचई ने क्षेत्र के डही, भगांवा, छेंडिया, पन्हाल, नलवान्या, कोटबा, सिदड़ी, अतरसुमा, नरझली, काकरियां, गाजगोटा, रणगांव, फिफेड़ा, थांदला, बड़वान्या, कलमानी, सिलकुआं व टेमरियां को फ्लोराइड प्रभावित ग्राम घोषित किया है। इन ग्रामों में खासकर हैंडपंपों से निकलने वाला पानी फ्लोराइड उगल रहा है।
अज्ञानतावश कई ग्रामीण इन हैंडपंपों से ही पानी पी रहे हैं। हालांकि कई जगह पीएचई ने ऐसे हैंडपंप बंद कर दिए हैं। टेमरिया में बच्चों में दांत की जांच में पाए लक्षण इस ओर इशारा कर रहे हैं।
जिला सलाहकार डही में
बुधवार से जिला सलाहकार (फलोरोसिस) डॉ. एमडी भारती राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के डॉण् सरदारसिंह अलावाए डॉण्राकेश डावर आदि के साथ डही क्षेत्र के भ्रमण पर निकले। उन्होंने फलोराइड प्रभावित ग्राम टेमरिया से इसकी शुरुआत की। यहां 58 स्कूली बच्चों के फ्लोरोसिस परीक्षण में डेंटल के 22 सस्पेक्टिड पाए गए। उन्हें दवाई देकर जिन स्त्रोतों से वे पानी पी रहे हैंए वहां का पानी न पीने की सलाह दी गई। साथ ही हरी सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करने को कहा गया।
बड़ा सवाल
टेमरिया के स्कूल में 8वीं में पढ़ने वाली छात्रा रायका में फ्लोरोसिस के गंभीर लक्षण मिले हैं। छात्रा ग्राम बोड़गांव से टेमरिया पढ़ने आती है। पीएचई ने जो 18 गांव चिन्हित किए हैंए उनमें बोड़गांव शामिल नहीं है। ऐसे में और गांवों में भी फ्लोराइड होने का अंदेशा है।
एक सप्ताह में टेस्टिंग
मैदानी स्तर पर एक सप्ताह में टेस्टिंग हो जाएगी। जल्द ही प्रभावित बसाहटों को शुद्ध पानी मिलेए इस पर तेज गति से काम हो रहा है।
बीआर उइके, एसडीओ, पीएचई कुक्षी।
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Post By: Shivendra