देश का सुखिस्तान सिक्किम बना पूर्ण जैविक राज्य


सिक्किम ने भारतीय कृषि के इतिहास में एक सुनहरा पन्ना जोड़ दिया है। करीब 75 हजार हेक्टेयर भूमि पर जैविक खेती कर वह देश का पहला पूर्ण जैविक राज्य बन गया है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने सिक्किम को देश का पहला जैविक कृषि राज्य घोषित करते हुए कहा कि यह राज्य जल्द ही न केवल देश में बल्कि समूचे विश्व के लिये जैविक खेती का अग्रदूत बनेगा।

देश और दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिये सिक्किम राज्य को रोल मॉडल मानते हुए सभी राज्य कम-से-कम एक जिले में जैविक खेती की शुरुआत करें। प्रधानमन्त्री ने कहा कि सिक्किम डिक्लेरेशन (घोषणा पत्र) देश के करोड़ों किसानों का भविष्य बदल देगा।

सिक्किम ने प्रकृति पर ध्यान देने और उसकी हिफाज़त करने की जरूरत को रेखांकित किया है। इस अवसर पर मुख्यमन्त्री पवन कुमार चामलिंग को जैविक प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।

जैविक खेती के क्षेत्र में सिक्किम की सफलता का उदाहरण देते हुए उन्होंने अन्य राज्यों से अपील की कि वे रणनीतिक स्तर पर (जैविक खेती के लिये) करीब 100 से 150 गाँवों को मिलाकर एक जिला अथवा एक ब्लॉक अथवा तालुका को चुनें और वहाँ इसकी कोशिश करें… अगर प्रयोग सफल रहता है, तो बाकी जगह के किसान खुद ही इसका अनुसरण करेंगे।

किसानों को वैज्ञानिकों के कितने भी व्याख्यान से कोई असर नहीं होगा… जो दिखेगा वही वे मानेंगे।

प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा, अगर हम किसानों, कृषि और गाँवों को टुकड़ों में देखेंगे तो देश को लाभ नहीं होगा। हमें खेती के कामकाज को सम्पूर्णता के साथ देखना होगा। अब समय आ गया है कि राज्य केन्द्र के साथ कन्धे-से-कन्धा मिलकर भारत को जैविक देश बनाए। किसान भी जैविक खेती के प्रयोग के लिये तैयार हो रहा है।

दुनिया में जैविक खाद्यान का बड़ा बाजार उपलब्ध है। जैविक खेती जीरो बजट खेती है। इससे देश के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

मोदी ने कहा कि वे सरकार के स्वच्छता अभियान को कृषि से जोड़ना चाहते हैं। परम्परागत खेती में बायो वेस्ट को बढ़ावा देने से पर्यावरण साफ़ रहेगा और सफाई भी रहेगी। उन्होंने हाल में घोषित फसल बीमा योजना और मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उल्लेख किया। प्रधानमन्त्री ने खेती के अनुकूल मोबाइल एप, ऑनलाइन मंडियों और खेती में मूल्य वर्धन की पहल पर जोर दिया।

मौसम की मार सहने वाले किसानों के लिये वित्तीय सुरक्षा के उपाय के रूप में मोदी ने सुझाया कि उन्हें खेती की गतिविधियों को तीन बराबर हिस्सों में बाँटना चाहिए… इसमें एक हिस्सा फसल उत्पादन की नियमित खेती, आर्थिक रूप से लाभप्रद टिम्बर (इमारती लकड़ी) के लिये वृक्षारोपण और पशुपालन।

सिक्‍किम के मुख्‍यमन्त्री श्री पवन चामलिंग ने देश के भीतर और बाहर जैविक अभियान को प्रोत्‍साहन देने के लिये राज्‍य के प्रयासों पर प्रधानमन्त्री के समर्थन के लिये आभार जताते हुए कहा कि इससे भविष्‍य में सिक्‍किम की प्रतिबद्धता और मजबूत होगी। उन्‍होंने कहा हालांकि जैविक कृषि के लाभ सर्वविदित हैं, लेकिन इसके बावजूद भी किसी राज्‍य अथवा दुनिया के देश ने कृषि उत्‍पादन की अस्‍थायी और नुकसानदायक तकनीक के व्‍यापक नीति के समाधान के तौर पर इसे नहीं अपनाया है।

श्री चामलिंग ने बताया कि 24 फरवरी, 2003 को सिक्‍किम विधानसभा में प्रस्‍ताव के माध्‍यम से सिक्‍किम ने राज्‍य को एक सम्पूर्ण जैविक बनाने के अभियान की शुरुआत की, तब से इस परिकल्‍पना पर दृढ़ता के साथ कदम बढ़ाए गए हैं।

सतत कृषि एवं कृषक कल्याण विषय पर केन्द्रीय कृषि मन्त्रालय द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय सम्‍मेलन में विभिन्‍न राज्‍यों कृषि और बागवानी मन्त्रियों के अलावा नीति आयोग, नाबार्ड के प्रतिनिधि, राज्‍य सरकारों के अधिकारी, आईसीएआर, कृषि वैज्ञानिक और अन्‍य गणमान्‍य व्‍यक्‍ति उपस्‍थित थे।

इस सन्दर्भ में उपस्‍थित प्रतिनिधियों को प्रधानमन्त्री के समक्ष एक प्रस्‍तुति के लिये कृषि से सम्बन्धित महत्त्‍वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिये 5 तकनीकी समूहों में बाँटा गया।

केन्द्रीय कृषि मन्त्री श्री राधा मोहन सिंह ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा है कि देश के अन्‍य क्षेत्रों को सिक्‍किम से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। गंगटोक के चिन्तन भवन में सतत कृषि और कृषक कल्‍याण पर राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन के शुभारम्भ के अवसर पर अपने सम्बोधन में उन्‍होंने कहा कि सिक्‍किम ने जैविक खेती के लिये अनेक कदम उठाए हैं, जिनसे दूसरे बहुत कुछ सीख सकते हैं।
 

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Post By: RuralWater
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