देहरादून का पानी

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पानी की समस्या इन दिनों काफी बढ़ गई है। वहां के पानी में क्लोरिन तथा फीकल कॉलीफार्म की मात्रा बहुत ज्यादा पाई गई है जिससे वहां के लोगों में बाल सफेद होना, बालों व त्वचा में खुश्की, आंखों में जलन पेट में गैस व अल्सर की बीमारियां पैदा हो रही हैं। इसके बाद भी आम पब्लिक को पानी के लिए लंबी कतार में खड़ा रहना पड़ता है। एक खास वर्ग को कार धोने, बगीचे सींचने, होटल, हॉस्टल और संस्थाओं के लिये भी पानी की कोई कमी नहीं रहती। इसीलिए शुद्ध जल का सवाल उठाने का मौका ही नहीं देती, जबकि स्वच्छ पानी प्रत्येक नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है।

क्लोरीन अगर पानी में उपस्थित है, चाहे कम या ज्यादा, तो पानी को कम से कम 4-12 घन्टे तक नहाने, पीने, कपड़े धोने, खाना पकाने व अन्य उपयोग में क्लोरीन वाले पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके द्वारा बाल सफेद होना, बालों व त्वचा में खुश्की, आँखों में जलन, पेट में गैस व अल्सर तक हो सकता है। पीने के पानी को कम से कम 15 मिनट उबाल कर ठंडा करके एक महीन कपड़े से छानकर प्रयोग कर सकते हैं। नहाने व बाथरूम वाली टंकी में पोटेशियम परमेग्नेट के दो दाने 50 लीटर के हिसाब से डाल देने पर प्रयोग करने लायक हो जाता है।

पूरे देश की तरह उत्तराखंड में भी दिन प्रतिदिन पानी की गुणवत्ता में कमी देखी जा रही है। देहरादून की अग्रणी संस्था ‘स्पैक्स’ को विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने प्रयोगशाला प्रदान की है और वह वर्ष 1998 से जल गुणवत्ता पर कार्य कर रही है। ‘जन-जन को शुद्ध जल अभियान’ के तहत स्पैक्स ने जून 2012 में देहरादून के 51 स्थानों से पेयजल के नमूने एकत्र करके उनका परीक्षण किया। गर्मियों में आम पानी की माँग बढ़ जाती है, पर जल संस्थान जन साधारण की जरूरत पूरी करने में असमर्थ रहता है। हालांकि आम जन को भले ही पानी के लिये घंटों कतार में खड़े रहना पड़े, एक खास वर्ग को कार धोने और बगीचे सींचने के लिये भी पानी उपलब्ध हो जाता है। होटल, हॅास्टल और संस्थाओं के लिये भी पानी की कोई कमी नहीं रहती। जल की यह कमी शुद्ध जल का सवाल उठाने का मौका ही नहीं देती, जबकि स्वच्छ पानी प्रत्येक नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है।

स्पैक्स के परीक्षण के जो नतीजे आये, उनके अनुसार विधायक हॅास्टल व इन्दिरा कालोनी में पानी पीने योग्य पाया गया। जिलाधिकारी आवास व भगत सिंह कोश्यारी के आवास में क्लोरीन की मात्रा 8 गुनी पायी गयी जो कि घातक है। युवा कल्याण मंत्री दिनेश अग्रवाल, संसदीय कार्यमंत्री इन्दिरा हृदयेश व देहरादून के मेयर के यहाँ पानी में क्लोरीन नहीं पायी गयी, मगर फीकल कॉलीफार्म पाया गया। पानी में फीकल कॉलीफार्म की मात्रा शून्य होनी चाहिये। लेकिन दिनेश अग्रवाल के आवास में 21, विनोद चमोली के आवास में 31 व इन्दिरा हृदयेश के आवास में 6 फीकल कॉलीफार्म पाया गया। क्लोरीन केवल कुछ ही स्थानों पर पायी गयी, परन्तु वह मात्रा बहुत अधिक थी। यह मात्रा मनुष्य के लिये घातक है। भगत सिंह कोश्यारी के आवास में 1.6, अरविन्द मार्ग 1.8, जिलाधिकारी आवास 1.6, दिलाराम चौक में 1.8, नेशविला रोड में 1.2 मिग्रा/लीटर पायी गयी। जबकि यह मात्रा 0.2 मिग्रा/लीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिये।

सबसे ज्यादा टोटल कॉलीफार्म मोहनी रेाड में 120, व्योमप्रस्थ में 92, अजबपुर में 76, सपेरा बस्ती में 74, जनरल महादेव सिंह रोड में 62, गोविन्द गढ़ में 64, पटेलनगर में 54, लक्खीबाग में 48, विजय पार्क में 46, रामनगर में 56, टैगोर विला में 56, नेहरू कालोनी में 54, दिनेश अग्रवाल के आवास में 44, कालीदास रोड में 36, मोहित नगर में 20, महादेवी रोड में 22, चन्दरनगर में 34, धामावाला में 32, काँवली रोड में 26, खुड़बुड़ा में 28, जाखन में 30, डोभाल वाला में 24, जोहड़ी गाँव में 20, इन्द्रेश कालोनी में 22, इन्दिरा नगर कालोनी में 42, एस.पी.हाउस में 12, बलबीर रोड में 22, डालनवाला में 8, केवल विहार में 42, तपोवन में 20, सहस्त्रधारा चैक में 24, डी.एल.रोड में 12, नालापानी में 32, राजपुर रोड में 10, आर्यनगर में 22, इन्दिरा हृदयेश के आवास में 14 टोटल कॉलीफार्म पाये गये। जबकि पेयजल में टोटल कॉलीफार्म की मात्रा 10 से अधिक नहीं होनी चाहिये। सिर्फ फालतू लाईन, डालनवाला, जिलाधिकारी आवास, अरविन्द मार्ग, भगत सिंह कोश्यारी आवास व विधायक हॅास्टल में यह मात्रा शून्य थी।

फीकल कॉलीफार्म मोहनी रोड में 78, सपेरा बस्ती में 36, पटेल नगर में 32, जनरल महादेव सिंह रोड में 36, विजय पार्क 30, चुक्खूवाला में 32, राजेन्द्र नगर में 36, मोहित नगर में 34, अजबपुर में 36, नेहरू कालोनी में 28, व्योमप्रस्थ में 36, कृष्ण नगर में 20, टैगोर विला में 22, चन्दरनगर में 20, लक्खीबाग में 26, जाखन में 22, रामनगर में 22, केवल विहार में 20, तपोवन में 24, इन्दिरा नगर कालोनी में 24, गोबिन्दगढ़ व खुड़बुड़ा में 18, डोभालवाला में 18, कालीदास रोड में 16, महादेवी रोड में 10, काँवली रोड में 12, इन्द्रेश कॉलोनी में 8, जोहड़ी गाँव में 12, बलबीर रोड में 12, नालापानी में 12, सचिवालय में 6, धामावाला में 14, सहस्त्रधारा चौराहा में 8, डी.एल. रोड में 4 पाये गये। जबकि यह मात्रा शून्य होनी चाहये। नैशविला रोड, दिलाराम चैक, अरविन्द मार्ग, फालतू लाईन, जिलाधिकारी आवास, डालनवाला, राज्य सभा सदस्य भगत सिंह कोश्यारी आवास व विधायक हॉस्टल पर फीकल कॉलीफार्म नहीं पाये गये।

क्लोरीन बहुत घातक है। यदि यह पानी में उपस्थित है, चाहे कम या ज्यादा, तो पानी को कम से कम 4-12 घन्टे तक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। स्पैक्स के सचिव डॉ. बृजमोहन शर्मा ने अपील की है कि नहाने, पीने, कपड़े धोने, खाना पकाने व अन्य उपयोग में क्लोरीन वाले पानी का उपयोग न करें। इसके द्वारा बाल सफेद होना, बालों व त्वचा में खुश्की, आँखों में जलन, पेट में गैस व अल्सर तक हो सकता है। पेट के रोगी तो क्लोरीन वाले पानी को बिल्कुल इस्तेमाल न करें। इस पानी से घाव भी न धोयें। पानी को कम से कम 15 मिनट उबाल कर ठंडा करके एक महीन कपड़े से छानकर प्रयोग करें। ऐसे फिल्टरों का उपयोग न करें जिसमें खनिज लवण नगण्य रह जाते है। केण्डिल फिल्टर का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि तीन दिन बाद केण्डिल को कूकर में एक प्रेशर देकर धूप में सूखा लें फिर इसे प्रयोग करें। पानी को स्टोर रखने वाले बर्तन को रोजाना अच्छी तरह साफ करें। सब्जियाँ धोते समय पानी में नमक डाल लें। नहाने व बाथरूम वाली टंकी में पोटेशियम परमेग्नेट के दो दाने 50 लीटर के हिसाब से डाल दें।

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