डाउज़िंग : विज्ञान या कोई जादू

तमिलनाडु के एक गांव पालापट्टी के लोग प्यास से तड़प रहे थे। उनके यहां न तो बारिश हुई थी और न ही ट्यूबवेल थे। अंतत: गांव वालों ने एक मठवासी, ब्रदर जेम्स किंप्टन से मिलने का निर्णय लिया,जिसमें किसी खास क्षेत्र में भूजल के संबंध में भविष्यवाणी करने की विशेष कला थी। उन्होंने स्थल का भ्रमण किया और बड़ी सफलता से भविष्यवाणी की कि यहां 70 फीट की गहराई पर पानी है। ब्रदर किंम्टम की तरह और भी कई लोग हैं, जो भूजल के पानी संसाधनों का पता लगा सकते हैं और पानी निकालने के लिए कितना गहरा गड्ढा खोदना होगा, उसके बारे में भी बता सकते हैं। भारत के कई गांवों में इसी कला का चलन हैं।

यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि `आखिर यह कौन सी कला है, जिसे लोग डाउजिंग (भांपने) के रूप में जानते हैं। यह छिपे धन (पानी,कीमती धातु,वगैरह) को खोजने की एक प्राचीन कला है। बताया जाता है। कि यहां के 80 प्रतिशत लोगों में यह कला है। जो चीजें अन्य लोगों की सोच-समझ से बाहर हैं,उनमें उन्हें भांपने की एक अनोमल कला है।

डाउजिंग करने के उपकरणों में L नुमा छड़,लोलक, Y नुमा छड़ जिसे आमतौर पर `स्विस´ छड़ के नाम से पुकारा जाता है। जब पानी ऊपर होता है तो ये छड़े पानी की मौजूदगी का संकेत देते हुए अपनी अनुक्रिया जताते हैं। यह बताया जाता है कि जमीन के नीचे के प्रसर्जन का दिव्यदृष्टा पर प्रभाव पड़ता है और उसके शरीर में झटका लगता है और इस प्रकार टहनी या अन्य ईश्वरीय उपकरण हिलने लगते हैं।

क्या डाउजिंग काम आता है? दुनिया के सभी हिस्सों में हजारों डाउजर अपनी कला का उपयोग कर रहे हैं। अमरीका, यूरोप में डाउजरों के बड़े-बड़े संस्थान हैं। इस दिशा में यूनिवर्सिटी ऑफ मुनिच फिजिसिस्ट हंसडाइटर बेल्व की रिपोर्ट, वॉटर डाउज़िंग इन एरिड रिजन काफी विख्यात है। यह रिपोर्ट जर्मन सरकार की दस साल की परियोजना पर है, जिसमें जैरे, केन्या और अन्य देशों के 2,000 सफल मिसालों के बारे में चर्चा की गई है। आप डाउजिंग के बारे में कैसा सोचते हैं- यह विज्ञान या कोई जादू है?

आप अपने विचार csc@cscindia.org को लिखें।ललित गंभीर से साभार: ई-मेल lalit gambhir@now-india.net.in
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