यद्यपि केंचुआ लंबे समय से किसान का अभिन्न मित्र हलवाहा (Ploughman) के रूप में जाना जाता रहा है। सामान्यतः केंचुए की महत्ता भूमि को खाकर उलट-पुलट कर देने के रूप में जानी जाती है जिससे कृषि भूमि की उर्वरता बनी रहती है। यह छोटे एवं मझोले किसानों तथा भारतीय कृषि के योगदान में अहम् भूमिका अदा करता है। केचुआ कृषि योग्य भूमि में प्रतिवर्ष 1 से 5 मि.मी. मोटी सतह का निर्माण करते हैं। इसके अतिरिक्त केंचुआ भूमि में निम्न ढंग से उपयोगी एवं लाभकारी है।
1. भूमि की भौतिक गुणवत्ता में सुधार
केंचुए भूमि में उपलब्ध फसल अवशेषों को भूमि के अंदर तक ले जाते हैं ओर सुरंग में इन अवशेषों को खाकर खाद के रूप में परिवर्तित कर देते हैं तथा अपनी विष्ठा रात के समय में भू सतह पर छोड़ देते हैं। जिससे मिट्टी की वायु संचार क्षमता बढ़ जाती है। एक विशेषज्ञ के अनुसार केंचुए 2 से 250 टन मिट्टी प्रतिवर्ष उलट-पलट कर देते हैं जिसके फलस्वरूप भूमि की 1 से 5 मि.मी. सतह प्रतिवर्ष बढ़ जाती है।
- केंचुओं द्वारा निरंतर जुताई व उलट पलट के कारण स्थायी मिट्टी कणों का निर्माण होता है जिससे मृदा संरचना में सुधार एवं वायु संचार बेहतर होता है जो भूमि में जैविक कियाशीलता, ह्यूमस निर्माण तथा नत्रजन स्थिरीकरण के लिए आवश्यक है।
- संरचना सुधार के फलस्वरूप भूमि की जलधारण क्षमता में वृद्धि होती है तथा रिसाव एवं आपूर्ति क्षमता बढ़ने के कारण भूमि जल स्तर में सुधार एवं खेत का स्वतः जल निकास होता रहता है।
- मृदा ताप संचरण व सूक्ष्म पर्यावरण के बने रहने के कारण फसल के लिए मृदा जलवायु अनुकूल बनी रहती है।
2. भूमि की रासायनिक गुणवत्ता एवं उर्वरता में सुधार
पौधों को अपनी बढ़वार के लिए पोषक तत्व भूमि से प्राप्त होते हैं तथा पोषक तत्व उपलब्ध कराने की भूमि की क्षमता को भूमि उर्वरता कहते हैं। इन पोषक तत्वों का मूल स्त्रोत मृदा पैतृक पदार्थ फसल अवशेष एवं सूक्ष्म जीव आदि होते हैं जिनकी सम्मिलित प्रकिया के फलस्वरूप पोषक तत्व पौधों को प्राप्त होते हैं। सभी जैविक अवशेष पहले सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित किये जाते हैं। अर्द्धअपघटित अवशेष केंचुओं द्वारा वर्मीकास्ट में परिवर्तित होते हैं। सूक्ष्म जीवों तथा केंचुओं सम्मिलित अपघटन से जैविक पदार्थ उत्तम खाद में बदल जाते हैं और भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।
3. भूमि की जैविक गुणवत्ता में सुधार
भूमि में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ, भूमि में पाये जाने वाले सूक्ष्म जीव तथा केंचुओं की संख्या एवं मात्रा भूमि की उर्वरता के सूचक हैं। इनकी संख्या, विविधता एवं सक्रियता के आधार पर भूमि के जैविक गुण को मापा जा सकता है। भूमि में मौजूद सूक्ष्म जीवों की जटिल श्रृंखला एवं फसल अवशेषों के विच्छेदन के साथ केंचुआ की क्रियाशीलता भूमि उर्वरता का प्रमुख अंग है। भूमि में उपलब्ध फसल अवशेष इन दोनो की सहायता से विच्छेदित होकर कार्बन को ऊर्जा स्त्रोत के रूप में प्रदान कर निरंतर पोषक तत्वों की आपूर्ति बनाये रखने के साथ-साथ भूमि में एन्जाइम, विटामिन्स, एमीनो एसिड एवं ह्यूमस का निर्माण कर भूमि की उर्वरा क्षमता को बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। यह सूक्ष्म लाभकारी जीवाणु जैसे राइजोबियम, एजोस्पिरिलम, एजोटोबेक्टर, पी. एस. बी., माइकोराइजा आदि के लिए अच्छा वाहक है।
वर्मीकम्पोस्ट की रासायनिक संरचना
वर्मीकम्पोस्ट का रासायनिक संगठन मुख्य रूप से उपयोग में लाये गये अपशिष्ट पदार्थों के प्रकार, उनके स्रोत व निर्माण के तरीकों पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर इसमें पौधों के लिए आवश्यक लगभग सभी पोषक तत्व सन्तुलित मात्रा तथा सुलभ अवस्था में मौजूद होते हैं।वर्मीकम्पोस्ट में गोबर के खाद (FYM) की अपेक्षा 5 गुना नाइट्रोजन, 8 गुना फास्फोरस, 11 गुना पोटाश और 3 गुना मैग्नीशियम तथा अनेक सूक्ष्मतत्व (Micro-nutrients) सन्तुलित मात्रा में पाये जाते हैं।
तालिका 2: वर्मीकम्पोस्ट का रासायनिक संगठन
केंचुआ खाद बनाने हेतु आवश्यक कच्चा माल एवं मशीनरी केंचुआ खाद बनाने में कच्चे माल के रुप में जैविक रुप से अपघटित हो सकने वाले तथा अपघटनशील कार्बनिक कचरे का ही प्रयोग किया जाता है। केंचुआ खाद बनाने में सामान्यतः निम्न पदार्थों का प्रयोग कच्चे माल के रुप में किया जाता है।
अ. जानवरों का गोबर (Cow Dung)
- गाय का गोबर
- भैंस का गोबर
- भेड की मेंगनी
- बकरी की मेंगनी
- घोडे की लीद
ब. कृषि अवशिष्ट (Agricultural Waste)
- फसलों के तने, पत्तियों तथा भूसे के अवशेष
- खरपतवारों की पत्तियाँ तथा तने
- सड़ी गली सब्जियों एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ
- बगीचे की पत्तियों का कूड़ा करकट
- गन्ने की पत्तियों एवं खोयी
स. पादप उत्पाद (Plant Residues)
- लकड़ी की छाल, छिलके एवं गूदा
- विभिन्न प्रकार की पत्तियों का कचरा
- घासें
- सड़क तथा रिहायशी इलाकों के आसपास के पौधों की पत्तियों का कूड़ा
द. शहरी अवशिष्ट एवं कचरा (Urban Waste)
- सूती कपड़ो का अवशिष्ट
- कागज इत्यादि का अवशिष्ट
- मण्डियों में सड़े गले फल तथा सब्जियों का कचरा
- फलों, सब्जियों इत्यादि की पैकिंग का अवशिष्ट जैसे केले की पत्तियों इत्यादि
- रसोईघर का कूड़ा जैसे फल एवं सब्जियों के छिलके इत्यादि।
ध. बायोगैस की स्लरी (Biogas Slurry)
- बायोगैस संयत्र से निकलने वाली स्लरी को सुखाकर प्रयोग किया जाता है।
न. औद्योगिक अवशिष्ट (Industrial Waste)
- खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का अवशिष्ट
- आसवन ईकाई का अवशिष्ट
- प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का अवशिष्ट
- गन्ने का बगास तथा परिष्करण अवशिष्ट
मशीनरी (Machinery)
- कार्बनिक अवशिष्ट को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने हेतु यांत्रिक मशीन / कटर।
- कार्बनिक अवशिष्ट का मिश्रण बनाने हेतु मिश्रण मशीन।
- खुर्पी, फावडा, काँटा इत्यादि।
- याँत्रिक छलनी।
- तौलने की मशीन ।
- पैकिंग सीलिंग मशीन।
- पानी छिड़काव हेतु हजारा।
केंचुआ खाद बनाने हेतु आवश्यकतायें
औद्योगिक स्तर पर केंचुआ खाद बनाने की इकाई स्थापित करने के लिए निम्नलिखित की आवश्यकता होती है।
अ) इकाई हेतु स्थान (Site for unit)
- औसतन 150 टन प्रति वर्ष क्षमता की केंचुआ खाद इकाई की स्थापना हेतु लगभग 5000 वर्ग फीट जगह की आवश्यकता होती है।
ब) कार्बनिक अवशिष्ट (Organic Waste) %
- आर्थिक रुप से सक्षम एक केंचुआ खाद इकाई हेतु लगभग 4 टन/दिन या 30 टन प्रति सप्ताह की दर से कार्बनिक अवशिष्ट की आवश्यकता होती है।
स) संरचना (Infrastructure)
- 12 फीट × 10 फीट x 40 फीट (4800 sq. ft.) आकार के छप्पर लगभग 150-175 टन प्रतिवर्ष केंचुआ खाद बनाने हेतु पर्याप्त होते हैं।
- केंचुआ खाद बनाने की बेड में पानी के छिड़काव हेतु फव्वारे (Sprinkler) का प्रबन्ध ।
- छप्पर के अन्दर हवा के उचित प्रवाह का प्रबन्ध होना चाहिए।
- केंचुआ खाद को सुखाने हेतु 12 फीट × 6 फीट × 1 फीट आकार का सीमेंट का पक्का फर्श।
- प्रसंस्कृत केंचुआ खाद हेतु भण्डारण की व्यवस्था।
- पानी की व्यवस्था।
स्रोत- राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र
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