शिवनाथ नदी को छत्तीसगढ़ सरकार ने एक कॉरपोरेट कंपनी रेडियस वॉटर लिमिटेड के हाथों 1998 में बेच दिया था। जनांदोलन के बाद समाज ने अपनी नदी पर अपना हक दोबारा हासिल किया। जनांदोलन के दौरान ‘छत्तीसगढ़ में नदी बिकी’ गीत बहुत लोकप्रिय हुआ था। लोग लड़ते हुए इसे समवेत स्वर में गाते। इस गीत के रचनाकार कौन हैं, यह मालूम नहीं। हम इसे समाज के संघर्षों से पैदा हुआ गीत मानते हैं और यहां साझा कर रहे हैं क्योंकि आने वाला वक्त भी प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को बढ़ाने वाला और उसके लिए समाज में बढ़ रही बैचेनी का दीख रहा हैः
आने वाली है रात शुरू हो गई है उलटी गिनती की शुरूआत
कोरस-- नदी बिकी भई, नदी बिकी छत्तीसगढ़ में नदी बिकी -2
नदी में कोई मछुआरा अब मछली पकड़ न पायेगा,
नदी में कोई मछुआरा ............................
उनके कुनबों का अब पेट न भर पायेगा,
उनके कुनबों का ....................
तिल-तिल मरते - मरते सबका सब बंजर हो जाएगा,
तिल -तिल.............................................
हर एक सूखा खेत पानी - पानी चिल्लाएगा,
हर एक सूखा ............................................
नदी बिकी है ऐसे जैसे हर सांसों की कड़ी बिकी,
नदी बिकी भई ...........................................
ये खरीदने वाले हर चीजों का मोल लगायेंगे,
ये खरीदने वाले .......................
सुनो हमारे हिस्से की भूख तलक ये खा जायेंगे,
सुनो हमारे हिस्से की .....................
हवा, पेड़, जंगल, पानी सब के सब बेचे जायेंगे,
हवा, पेड़ .....................................
सात समंदर पार हमारी सब चीजें ले जायेंगे,
सात समंदर .................................
हर चेहरे की, हर होठों की, हर बच्चे की हंसी बिकी,
नदी बिकी भई .........................................
केवल हल्दी, नीम नहीं सबका सब बिकने वाला है,
केवल हल्दी ..........................
हम सबको ये दुनिया का बाजार निगलने वाला है,
हम सबको .................................................
हाथ पर हाथ धरे जो हम सब बैठे रह जायेंगे,
हाथ पर हाथ .............................................
सब चीजों के साथ हमारे सपने भी बिक जायेंगें,
सब चीजों के ...............................................
धोखों मे लेकर अंधों के हाथों की हर छड़ी बिकी,
नदी बिकी भई ............................................
नदी बिकी तो मिलकर एक आवाज उठाई लोगों ने,
नदी बिकी तो .......................................
मिलकर लड़े, इकट्ठे होकर, लड़ी लड़ाई लोगों ने,
मिलकर लड़े ..........................................
संघर्षों ने बंधन काटे, हर एक घर आबाद किया,
संघर्षों ने बंधन ...............................
खरीदार से वापस छीना, नदिया को आजाद किया,
खरीदार से वापस ............................
अब न होगा, अब न होगा यूं कि अपनी नदी बिकी
नदी बिकी भई ...............................
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