चेकडैमों ने बदल दी वन क्षेत्रों की तस्वीर

चेक डैम से बुंदेलखंड की तस्वीर बदली</strong>
चेक डैम से बुंदेलखंड की तस्वीर बदली</strong>

झांसी। बबीना के गणेशपुरा में दो साल पहले तक सिंचाई के कोई साधन नहीं थे। बरसात का पानी बहकर बेकार चला जाता था। अब वहां हरियाली छा गई है। खेतों में फसलें लहलहाने लगी हैं। यह संभव हुआ है वन विभाग द्वारा चेकडैम बनाकर। जल संचयन से लाभ पाने वाला गणेशपुरा अकेला गांव नहीं है। इस तरह के बुंदेलखंड में एक सैकड़ा वन क्षेत्रीय गांव हैं, जो जल प्रबंधन प्रयासों से हरे-भरे हो गए हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु में तापक्रम अधिक होने से भू-गर्भ जल स्तर नीचे चला जाता है। अधिकतर क्षेत्र पठारी होने के कारण बरसात का पानी बहकर बेकार चला जाता है। इस समस्या को दूर करने के लिए वन विभाग ने जल संरक्षण पर काम किया।

वर्ष 2008-09 में झांसी, ललितपुर एवं बांदा जिले में 39 परियोजनाओं पर काम किया गया। वर्ष 2009-10 में झांसी जनपद में तीस चेकडैम बनाए गए। वहां बरसात का पानी जमा होने के बाद परियोजनाओं को पूरे बुंदेलखंड में संचालित किया गया। बीते वर्ष झांसी में 940.80 लाख की लागत से 8400 हेक्टेयर में, ललितपुर में 1254 लाख की लागत से 11436 हेक्टेयर में, जालौन में 470.29 लाख की लागत से 4199 हेक्टेयर में, बांदा में 156.80 लाख की लागत से 1400 हेक्टेयर में, चित्रकूट में 940.80 लाख की लागत से 8400 हेक्टेयर में, हमीरपुर में 548.80 लाख की लागत से 4900 हेक्टेयर में महोबा में 392 लाख की लागत से 3500 हेक्टेयर में सिंचाई की व्यवस्था की गई है। बरसात का पानी अब बेतवा व केन नदियों या सलारपुर, कृपालपुर जैसे जलाशयों में बहकर नहीं जाता बल्कि चेकडैमों में जमा होता है।

 

 

क्या काम कराए गए


वन विभाग ने अपने क्षेत्र की खाली पड़ी भूमि पर कंटूरबंड, सबमर्सिबल बंड, पैरीफेरल बंड, कच्चे चेकडैम, पक्के चेकडैम, शुष्क गली प्लंबिंग एवं शुष्क चेकडैम बनाए। इन्हें ऐसे स्थान पर बनाया गया जो ढालू पर हैं। जगह-जगह अवरोध खड़े कर बरसात का पानी रोकने की व्यवस्था की गई। बारिश आने पर पानी चेकडैमों में भरा, जिसका उपयोग सिंचाई के साथ पशुओं के पीने के लिए भी किया गया।

 

 

 

 

इन प्रमुख परियोजनाओं पर काम हुआ


झांसी के गणेशपुरा में 1300 मीटर, पनारी नाला 1500 मीटर, जालौन के रमपुरा में 600 मीटर तक, मऊ में 500 मीटर तक, ललितपुर के मदनपुर पूर्वी में 500 मीटर तक, बांदा के बरा, पनयार, खांकर में एक-एक हजार मीटर तक, चित्रकूट के खंडेहा तालाब में 200 मीटर तक, शीहाकोल व लौड़ी तालाब में 150 मीटर तक पानी संग्रहीत होने लगा है।

चेक डैम से बुंदेलखंड की तस्वीर बदलीचेक डैम से बुंदेलखंड की तस्वीर बदली

 

 

 

आगामी परियोजनाएं


वन विभाग ने वर्ष 2011-12 में झांसी में 3717 हेक्टेयर, ललितपुर में 4698 हेक्टेयर, जालौन में 1857 हेक्टेयर, बांदा में 619 हेक्टेयर, चित्रकूट में 3713 हेक्टेयर, हमीरपुर में 2166 हेक्टेयर एवं महोबा में 1547 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा विकसित करने की योजना बनाई है। इस पर 20,28,96,000 रुपये की लागत आंकी गई है।

 

 

 

किसानों को हुआ लाभ


गणेशपुरा वन रेंज से लगे किसान राजेंद्र, शेरसिंह, बबलू, लखन, देशराज, नंदराम व रामसिंह ने बताया कि पहले उन्हें खेती से एक से दो हजार रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लाभ होता था, लेकिन चेकडैम बनने के बाद मुनाफा छह हजार रुपये तक पहुंच गया है। वे गर्मियों में साग, सब्जी, खीरा व ककड़ी की अतिरिक्त फसल तक लेने लगे हैं। चेकडैम बनने से वनीय क्षेत्रों में जल संचयन के फलस्वरूप मृदा में पानी की मात्रा बढ़ी है तथा नीम, सागौन, अर्जुन, कंजी, आंवला, बांस व ढाक के वृक्षों में वृद्धि हुई है। किसान भी ज्यादा फसल लेने लगे हैं।

वीके जैन, उप प्रभागीय वनाधिकारी।

 

 

 

 

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