8.1 चानपुरा-परिचय
मधुबनी जिला मुख्यालय से बेनीपट्टी होते हुए पुपरी जाने वाले रास्ते पर सोइली और खिरोई नदी के दोआब में बसैठ नाम का एक गाँव पड़ता है। बसैठ में दक्षिण से उत्तर की दिशा में मब्बी (दरभंगा) को मधवापुर से जोड़ने वाली सड़क पार करती है। बसैठ से मधुबनी 36 किलोमीटर तथा बेनीपट्टी 11 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। बसैठ से मधवापुर जाने वाली सड़क पर लगभग 3 किलोमीटर उत्तर दिशा में जाने पर बायीं तरफ पहला गाँव चानपुरा पड़ता है। चानपुरा एक संपन्न गाँव है। शिक्षित गाँव होने के कारण ऊँचे ओहदे वाले सरकारी अधिकारियों, शिक्षाविदों, इंजीनियरों और डॉक्टरों की एक अच्छी खासी तादाद इस गाँव में है जिस पर किसी भी गाँव वाले को गर्व हो सकता है। यह गाँव मुख्यतः दो भागों में बंटा हुआ है-पूवारी टोल और पछुआरी टोल। इस गाँव के उत्तर और उत्तर-पूर्व में एक बड़ा सा तालाब है जिसे अंगरेजवा पोखर कहते हैं। यह पोखर बहुत पुराना है जिसका निर्माण संभवतः 1896 के दुर्भिक्ष के समय अंग्रेजों ने राहत कार्यों के अधीन करवाया था और इसीलिए इसका नाम अंगरेजवा पोखर पड़ा होगा। इस पोखर के चारों ओर एक ऊँचा बांध या भिण्डा है। यह तालाब भी चानपुरा की ही तरह बसैठ-मधवापुर मार्ग के पश्चिम में पड़ता है।
चानपुरा के पूरब में सोइली धार, पश्चिम में खिरोई नदी, उत्तर में कोकराहा धार तथा दक्षिण में भुड़का नाला बहता है। इस तरह से यह गाँव हर तरफ से किसी न किसी नदी-नाले से घिरा हुआ है। भुड़का नाले के दक्षिण में मकिया और पाली के बीच एक जमींदारी बांध बना हुआ है जिसे कभी दरभंगा के महाराजा ने बाढ़ से अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए बनवाया होगा। पूरब-पश्चिम दिशा में निर्मित यह बांध आजकल राज्य के जल-संसाधन विभाग के अधीन है। बरसात के मौसम में जब सारी नदियाँ अपने शबाब पर होती हैं तब यही पाली-मकिया वाला बांध उत्तर दिशा से आने वाले पानी की निकासी को छेंक (रोक) दिया करता है और पूरा इलाका लंबे समय तक पानी में डूबा रहता है।
यह क्षेत्र सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। कहते हैं कि आज का बसैठ कभी वशिष्ठ ऋषि का वास स्थल हुआ करता था। पास में शिवनगर के गांडवेश्वर महादेव के मन्दिर के पास महाभारत से पहले अज्ञातवास के समय अर्जुन ने अपना गांडीव छिपा कर रखा था। कहा तो यह भी जाता है कि चानपुरा के पूर्वोत्तर में बसे उचैठ गाँव का संबंध महाकवि कालिदास से रहा है।
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