चानपुरा रिंग बांध की शुरुआत

गाँव के दोनों टोलों को बाढ़ से हमेशा के लिए मुक्ति दिलवाने के लिए ब्रह्मचारी जी ने एक योजना बनवाई जिसमें 8.5 किलोमीटर लम्बा रिंग बांध बनाने का प्रस्ताव किया गया। बिहार के कैबिनेट में 1980 में चानपुरा रिंग बांध की योजना पास हुई। 1981 में सिंचाई विभाग के झंझारपुर डिवीजन को इसके निर्माण कार्य को चालू करने के लिए सूचित किया गया था मगर झंझारपुर डिवीजन ने इस योजना को हाथ में लेने से इसलिए इनकार कर दिया कि उसे अपने यहाँ से चानपुरा की दूरी बहुत ज्यादा लगती थी। तब यह काम दरभंगा डिवीजन के जिम्में सुपुर्द कर दिया गया। यह काम शुरू होते न होते 1982 आ गया जब रिंग बांध के निर्माण के लिए अलाइनमेन्ट तय हुआ और उसी के हिसाब से निर्माण के लिए झंडे गाड़ना शुरू किया गया जिसके अन्दर पूवारी और पछुआरी टोला दोनों ही आते थे।

पछुआरी टोले के एक परिवार की डॉ. जगन्नाथ मिश्र, तत्कालीन मुख्यमंत्री से नजदीकी रिश्तेदारी थी और अगर ब्रह्मचारी जी द्वारा प्रस्तावित रिंग बांध से गाँव को घेर लिया जाता तो न सिर्फ उनकी जमीन का एक बड़ा हिस्सा बांध में चला जाता वरन यह बांध उनकी जमीन के दो टुकड़े भी कर देता। इसलिए इस परिवार का इस बांध के निर्माण से स्वाभाविक विरोध था। यह बांध बहुत से दूसरे ऐसे लोगों की जमीन से भी गुजरता था जो अपनी जमीन छोड़ना नहीं चाहते थे। उन्होंने पटना और दिल्ली में कोशिश-पैरवी कर के रिंग बांध का अलाइनमेन्ट बदलवा दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर रिंग बांध बनना ही है तो वह पूवारी टोल को ही घेरता हुआ बने। पछुवारी टोल को घेरने की जरूरत नहीं है। इस तरह से ब्रह्मचारी जी द्वारा प्रस्तावित पहला बांध मात्र प्रस्ताव ही बन कर रह गया। उस पर कोई काम नहीं हुआ।

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Post By: tridmin
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