कैंची
चूँकि बड़े वाले कमरे की लम्बाई 15 फिट है, इस कारण बीच में एक कैंची का चित्र बना दें।
फिर वाॅल प्लेट में खाँचा काटकर इसे दीवालों पर अच्छी तरह नीचे दिए गए चित्र की तरह बिछा लें।
कड़ियों का जोड़
यदि कड़ियाँ कम लम्बाई की हों तो उन्हें आपस में नीचे दिए गए चित्र के अनुसार जोड़ें। इसे और ज्यादा मजबूती देने के लिए इसमें ऊपर और नीचे की तरफ लोहे की पत्त्यिाँ लगाएँ और तीन जगहों पर नट बोल्ट से कस लें। कोशिश यही होनी चाहिए कि जोड़ किसी सहारे (जैसे दीवाल या कोई खम्बे) के पास ही हो।
इस ढाँचे के बन जाने पर परनिल (मकान की लम्बाई में) लगाएँ। इन्हें गेबल और कैंची से अच्छी तरह से पेंच या नट बोल्ट की मदद से कस लें। बरामदे पर भी परलिन अच्छी तरह बिछा लें।
छत
छत को भूकम्प अवरोधक बनाने के लिए तिरछी कड़ियाँ (या तिरछे मलगे) लगाएँ। इससे भूकम्प में, गेबल की दीवाल की लम्बाई की दिशा में हिलने की कमजोरी पर काबू पाया जा सकता है। ये कड़ियाँ नीचे से आ रहे पेंच की मदद से परलिन में कसी जा सकती हैं।
इसके पश्चात बरामदे पर टिन की चादर बिछाएँ। ये छत आर.सी.सी. स्लैब या स्लेट की छत से कहीं ज्यादा हल्की होती है और भूकम्प में एकदम सुरक्षित होती है। चादर की छत बिछाते समय निम्न बातों का ध्यान रखना अति आवश्यक है:
1. छेद चादर की नाली में न करें वरना उससे पानी चूने की सम्भावना बढ़ जाती है।
2. चादर से बारिश का पानी अन्दर न आने के लिए काले वाशर का प्रयोग करें। इसे स्टील के वाशर और चादर के बीच लगाया जाता है।
3. चादर का मिलान कम से कम दो नाली अर्थात करीब 4 ईंच रखें।
4. छत की छपाई हमेशा नीचे से ऊपर की ओर होनी चाहिए।
5. चादर को कील से ठोकने के बजाय उसे नट बोल्ट या ‘J’ बोल्ट से अच्छी तरह कड़ियों से बाँधें। इससे तेज हवा में इसके उड़ने की सम्भावना नहीं होगी।
6. चादर पर बारिश पड़ने पर कुछ सालों में जंग लग जाता है जिससे चादर चूने लगती है। यदि हर 2 या 3 साल के बाद इसमें रेड आॅक्साइड का लेप चढ़ा दिया जाय तो इसकी उम्र बढ़ जाती है।
टिन की चादर से कमरा गर्मी में ज्यादा गरम और सर्दी में ज्यादा ठंडा हो जाता है। इससे बचने के लिए चादर बिछाने से पहले लकड़ी के पटरे बिछा सकते हैं। पटरों के स्थान पर चटाई या टाट भी बिछाई जा सकती है। चादर लग जाने के पश्चात मकान नीचे दिए गए चित्र जैसा दिखेगा।
गाँव के मकानों में फर्श आम तौर पर कच्चा ही रहता है। इसे बराबर गोबर से लीपा जाता है। इसमें पत्थर के स्लैब भी बिछाए जा सकते हैं या काँक्रीटिंग भी की जा सकती है। दीवालों में प्लास्टर के लिए भी अधिकतर मिट्टी या गोबर का ही प्रयोग होता है।
यदि चिनाई मिट्टी के गारे से हुई हो तो उसे पानी से बचाना बहुत जरूरी है। इसके लिए छत का चादर दिवाल से दो-ढाई फिट बाहर की तरफ निकालें और हर साल दीवाल में मिट्टी-गोबर की लिपाई करते रहें।
इतनी सावधानियाँ बरतने के बाद एक सुन्दर, मजबूत और भूकम्प अवरोधक घर बन जायेगा। परिवारजनों का श्रम एवं पुरानी सामग्रियों का उपयोग कर इसे सस्ता भी बनाया जा सकती है।
Path Alias
/articles/bhauukamapa-avaraodhaka-ghara-nairamaana-pausataikaa-chata
Post By: Hindi