भूजल स्तर में तेजी से आ रही गिरावट

नोएडा व ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों की करतूत से जल संकट


भूजल स्तर के लगातार नीचे जाने को लेकर एनजीटी के आदेश पर गठित पांच सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रपट में कई दिशा-निर्देश दिए हैं। कमेटी में नोएडा के तीन अफसरों के साथ-साथ यूपी भूजल विभाग और सीजीडब्ल्यूबी के अधिकारी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि भूजल को बनाए रखने के लिए आर्टिफिशियल तरीके से इसे रिचार्ज करें। क्रिटिकल क्षेत्र को चिन्हित करें। ग्रेटर नोएडा, 5 मार्च (जनसत्ता)। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। इसके चलते हिंडन और यमुना नदी का यह क्षेत्र पानी के मामले में खतरनाक श्रेणी में शामिल हो रहा है। यही हालत रही तो आने वाले दिनों में यहां पानी की किल्लत हो सकती है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में पांच जगहों के डेटा के अनुसार यहां हर साल करीब एक मीटर तक पानी नीचे जा रहा है। इस क्षेत्र में बारह बिल्डर्स के प्रोजेक्ट हैं। इनमें थ्री टायर बेसमेंट बनाने के लिए जमकर भूजल का दोहन किया जा रहा है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) यह रपट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सामने रख चुकी है। लेकिन जमीनी स्तर पर भूजल को बचाने के लिए कोई ठोस पहल होती नहीं दिख रही है। सीजीडब्ल्यूबी ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख ब्लॉक को सेमी क्रिटिकल कैटिगरी में रखा है जबकि जेवर को क्रिटिकल घोषित किया जा चुका है।

सीजीडब्लयूबी की ओर से दिसंबर 2013 में एनजीटी में रखी गई रपट के मुताबिक नोएडा और ग्रेटर नोएडा 377 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां रेनफाल करीब 790 एमएम है। सीजीडब्ल्यूबी ने नोएडा के सेक्टर-62 ए, सेक्टर-63, सेक्टर-72, सेक्टर-92, दनकौर और दनकौर चौकी क्षेत्र के भूजल स्तर की रपट भी एनजीटी के सामने रखी है। इन क्षेत्र में बारह बिल्डर्स के प्रोजेक्ट आते हैं। अधिकतर में थ्री टायर बेसमेंट बनाए जा रहे हैं। कई स्थान ऐसे हैं जहां पानी का स्तर 14 मीटर है, वहां 13 मीटर तक बेसमेंट खोद दिया गया। लिहाजा बड़ी मात्रा में भूजल निकाला गया है।

रपट के मुताबिक नोएडा के सेक्टर-94 में रोजाना 48 लाख लीटर पानी निकाल कर बहाया जा रहा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा मुख्य रूप से भूजल पर निर्भर है। नोएडा में घरेलू उपयोग के लिए दो सौ एमएलडी और ग्रेटर नोएडा में 56.25 एमएलडी पानी की मांग है। इन दोनों शहरों में करीब दो सौ ट्यूबवेल चल रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में कंपनियां और ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज भी मौजूद हैं, जहां पानी की ज्यादा खपत है। पर्यावरणविद बी तौंगड़ का कहना है कि रपट के डेटा पर गौर करें तो आने वाले समय में पानी की काफी किल्लत का सामना करना पड़ेगा। साल 2008 से 2012 के बीच 3.87 मीटर पानी नीचे चला गया। बिसरख और जेवर में हालात बेहद खराब हैं। इसके बावजूद बिल्डर्स को भूजल निकालने से नहीं रोका जा रहा है। उन्होंने बताया कि एनजीटी के कड़े रुख के बावजूद भूजल को बचाने की कवायद नहीं हो रही है। दोनों शहरों में एसटीपी से ट्रीटेड वाटर का पूरा यूज नहीं हो पा रहा है और भूजल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है।

भूजल स्तर के लगातार नीचे जाने को लेकर एनजीटी के आदेश पर गठित पांच सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रपट में कई दिशा-निर्देश दिए हैं। कमेटी में नोएडा के तीन अफसरों के साथ-साथ यूपी भूजल विभाग और सीजीडब्ल्यूबी के अधिकारी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि भूजल को बनाए रखने के लिए आर्टिफिशियल तरीके से इसे रिचार्ज करें। क्रिटिकल क्षेत्र को चिन्हित करें। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए आइडियल कंडीशन डिबेलप करें। डी-वॉटरिंग मैनेजमेंट बनाया जाए। भूजल स्तर का डेटा विभिन्न सेक्टरों में अलग-अलग है।

नवंबर 2008 से नवंबर 2012 तक इसकी गणना मीटर में उपलब्ध है। सेक्टर-62 ए में 13.0 मीटर से 21.64 मीटर, सेक्टर 63 – 12.80 से 14.85, सेक्टर 72- 13.40 से 19.83, सेक्टर 92- 7.55 से 10.30, चौकी दनकौर में 3.7 से 4.78, दनकौर में 15.60 से 15.10, प्रीमॉनसून पीरियड में औसतन 1.92 मीटर नीचे जा रहा है। मई 2012 मई 2013 व अगस्त 2013 तक 62 ए में 19.64, 23.08 व 23.62, 72 में 18.48, 21.03 व 21.42, 92 में 9.71, 11.80 व 9.86, चौकी दनकौर में 4.87, 5.68 व 5.72, दनकौर में 14.79, 15.50 व 15.33, (डेटा मीटर में) आंकड़े हैं। आंकड़े बताते हैं कि 48 लाख लीटर पानी रोजाना निकाल कर बहाया जा रहा है। नोएडा के सेक्टर-94 में दो सौ एमएलडी पानी की जरूरत है। नोएडा में घरेलू यूज के लिए 56.25 एमएलडी पानी की मांग है जबकि ग्रेटर नोएडा में दो सौ ट्यूबवेल लगी है। दोनों शहरों में साल 2008-12 के बीच 3.87 मीटर नीचे चला गया है।

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