भेदिहा सेवक सुन्दरि नारि,
जीरन पट कुराज दुख चारि।।
भावार्थ- दूसरों को घर का भेद बताने वाला नौकर, रूपवती स्त्री, फटा कपड़ा और दुष्ट राजा ये चारों दुःख के कारण हैं।
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