भारत नीति द्वारा जल शक्ति मंत्रालय, जनाजल और भास्कर फाउंडेशन के सहयोग से मंगलवार को नई दिल्ली स्थित नेहरु मेमोरियल पुस्तकालय सभागार में ‘‘वाटर सिक्योर और वाटर सरप्लस इंडिया’’ विषय पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें पानी के विशेषज्ञों ने जल संरक्षण के लिए विभिन्न उपाय सुझाए। साथ ही जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गांव इकाई से जल प्रबंधन का कार्य शुरू करने और जन सहभागिता पर जोर दिया। इसके अलावा जल संरक्षण को पाठ्यक्रम में शामिल करने का सुझाव भी आया।
भारत के ज्यादातर हिस्सों में भूजल 25 से 30 प्रतिशत तक ही बचा है। उन्होंने कहा कि जिस खेती के लिए अन्य देश 500 लीटर पानी का उपयोग करते हैं, भारत को उसके लिए 5 हजार लीटर की आवश्यकता पड़ती है और ज्यादातर इलाकों में हम तीसरे स्तर के एक्यूफर के पानी का उपयोग कर चुके हैं, जिसे रिचार्ज होने में करोड़ों साल लगते हैं, इसलिए अब जल संरक्षण के लिए इसके गहन अध्ययन और शोध की आवश्यता है। उन्होंने कहा कि यदि हम बांध और नहर के माध्यम से पानी केवल 10 से 20 लीटर पहुंचा सकते हैं, तो हमें ऐसा विकल्प ढूंढने की आवश्यकता है, जिससे इसे करीब 40 लीटर तक किया जा सके।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि पानी के विषय में यदि कार्य करना है तो इसके लिए तहसील, जिला और प्रदेश स्तरीय इकाई नहीं बल्कि गांव इकाई होगी और गांव से ही पानी के प्रबंधन का कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि कई देशों में दो सौ एमएम से कम वर्षा होती है, लेकिन इसके बावजूद भी ये देश खुद को वाटर सिक्योर बनाने में कामयाब हुए हैं, लेकिन भारत में हर वर्ष एक हजार एमएम से अधिक बारिश होने के बाद भी पानी की इतनी समस्या क्यों है, नियोजन में कहां कमी रह गई और किस प्रकार इसे नियोजित किया जा सकता है, इसके तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता है। साथ ही ऐसी लघु फिल्म बने, जिससे लोगों को जागरुक करते हुए बताया जाए कि हमें जल प्रबंधन की बेहद आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन, संरक्षण और उपयोग के लिए हम इजराइल से प्रेरणा ले सकते हैं, लेकिन भारत में भी कई प्रेरणास्त्रोत मौजूद हैं, जो जल संरक्षण के लिए काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं और उन्हें सफलता भी मिली है। कृषि के क्षेत्र में भारत सबसे अधिक पानी का उपयोग करता है। यदि इस पानी का दस प्रतिशत भी बचाया जा सके, तो काफी लंबे समय तक भारत में पानी की समस्या से निपटा जा सकता है। हालांकि जनता की जागरूकता के आलावा इस पर सरकारी नीतियों को भी लागू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें पानी का ट्रीटमेंट करना होगा। लीकेज से बर्बाद होने वाले पानी को बचाना होगा और तकनीक का कुशलतम उपयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें ये समझना होगा कि किस तकनीक और कार्य के माध्यम से एक्यूफर तक पानी कैसे पहुंचे। तकनीक की सहायता लेते हुए इसका अध्ययन करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने भारत को देने में कोई कमी नहीं की है, लेकिन यदि हम उचित प्रबंधन करें तो भारत की आने वाली कई पीढ़ियों को पानी उपलब्ध कराकर देश को वाटर सिक्योर बनाया जा सकता है, किंतु इसके लिए जन सहभागिता जरूरी है।
मध्यप्रदेश के तालाब विकास प्राधिकरण के चेयरमैन कृष्ण गोपाल व्यास ने कहा कि वाटरशैड, रीवर लिंक या मनरेगा के अंतर्गत किए जाने वाले परंपरागत कार्यो से नदियों को जिंदा नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे पास रेवेन्यू के नक्शे, जल संसाधन विभाग के नक्शे जो सीडब्ल्यूसी ने बनाए हैं, कुछ सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड और कृषि विभाग द्वारा बनाये गए नक़्शे हैं। सीडब्ल्यूसी के नक्शे नदियों को जिंदा करने की दृष्टि से नहीं बल्कि बांधों और बाढ़ के पूर्वानुमान के अनुसार बने हैं, इसलिए ये हमारा कार्य नहीं कर पाएंगे। इसी कारण से सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड द्वारा बनाए गए नक्शे भी हमारे ज्यादा उपयोग के नहीं हैं। हालाकि इन नक्शों में कुछ जानकारी हमारे उपयोग की होगी, लेकिन जहां उनकी जरूरत होगी वहां उनका हमें उपयोग करना है। केजी व्यास ने कहा कि नेशनल वाटरशैड एटलस में पांचवे नंबर की छोटी इकाई को उपयोग में लाते हुए उसे वर्किंग यूनिट बनाना चाहिए, जिसका क्षेत्र लगभग एक लाख हेक्टेयर का होता है। इस एक लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में एक मुख्य नदी के साथ सैंकड़ों सहायक नदियां हैं। नक्शे को देखकर इस पर काम करना चाहिए। केजी व्यास ने कहा कि नदियों में प्रवाह को बनाए रखने के लिए छोटी नदियों में पानी रहना बेहद जरूरी है, लेकिन इसके लिए जल स्तर रीवर बेड के ऊपर रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यदि पानी रीवर बेड के नीचे चला गया तो इससे भले ही भूजल स्तर बना रहे, लेकिन नदी जिंदा नहीं होगी। हमारे लिए चुनौती रीवर बेड की इस ऊपरी परत से पानी को बाहर छलकाना है, इसलिए वाटरशैड कार्यक्रम जिस प्रकार कृषि के लिए उपयुक्त है, नदियों को जिंदा करने के लिए नहीं हैं। कैचमेंट ट्रीटमेंट प्रोग्राम भी इस काम के लिए नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नदियों को जिंदा करने के लिए हमें निर्धारित क्षेत्र में भूजल स्तर की स्टेज पता होनी जरूरी है, रीवर बेड से पानी को बाहर छलकाने के लिए कार्य करना है, लेकिन ध्यान रखना होगा कि ये पानी कम न हो।
आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर डा. एके गोसाईं ने जल की समस्या को भारत की पहली चुनौती बताया। उन्होंने कहा कि भारत भूजल की कमी की समस्या से जूझ रहा है। जिससे निपटने की आवश्यकता है। भागीरथ कृषक अभियान के संयोजक और होशंगाबाद के कमिश्नर उमाकांत उमराव ने कहा कि हम ज्यादातर भूजल का दोहन कर चुके हैं। इस जल को रिचार्ज होने में लाखों करोड़ वर्ष लगे थे, जिस कारण भारत के ज्यादातर हिस्सों में भूजल 25 से 30 प्रतिशत तक ही बचा है। उन्होंने कहा कि जिस खेती के लिए अन्य देश 500 लीटर पानी का उपयोग करते हैं, भारत को उसके लिए 5 हजार लीटर की आवश्यकता पड़ती है और ज्यादातर इलाकों में हम तीसरे स्तर के एक्यूफर के पानी का उपयोग कर चुके हैं, जिसे रिचार्ज होने में करोड़ों साल लगते हैं, इसलिए अब जल संरक्षण के लिए इसके गहन अध्ययन और शोध की आवश्यता है। उन्होंने कहा कि यदि हम बांध और नहर के माध्यम से पानी केवल 10 से 20 लीटर पहुंचा सकते हैं, तो हमें ऐसा विकल्प ढूंढने की आवश्यकता है, जिससे इसे करीब 40 लीटर तक किया जा सके। हालाकि एक अच्छी तरह से डिजाइन तालाब से खेतों तक करीब 40 लीटर तक पानी पहुंचाया जा सकता है। पर्यावरण पत्रकार पंकज चतुर्वेदी ने सुझाव देते हुए कहा कि मानसून और वर्षा जल प्रबंधन को एक पाठ्यक्रम के रूप शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही कक्षा दस के बाद की सभी कक्षाओं विशेषकर इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमों में स्ट्रांग वाटर, ड्रेन और सीवर मैनेजमेंट के नए तरीको को शामिल किया जाए। सम्मेलन में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव मुरलीधर राव, राज्य जल मंत्री रतन लाल कटारिया, शिवगंगा अभियान के पद्मश्री महेश शर्मा सहित शिक्षाविद, शोधकर्ता, एनजीओ के प्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे। इंडिया वाटर पोर्टल (हिंदी) नाॅलेज पार्टनर की भूमिका में रहा, जबकि सम्मेलन को सफल बनाने में नीरी, वाॅटर ऑन व्हील का भी योगदान रहा।
नीचे दिए गए लिंक पर देखें, इंडिया वाटर पोर्टल (हिंदी) द्वारा की गई सम्मेलन की लाइव स्ट्रीमिंग।
1. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री -
https://www.facebook.com/himanshu.bhatt.71/videos/2517122138340275/
2. भागीरथी कृषक अभियान के संयोजक, होशंगाबाद के कमिश्नर उमाकांत उमराव और राज्य जल मंत्री रतन लाल कटारिया -
https://www.facebook.com/ShivaGangaaMission/videos/590478841481262/
3. मध्यप्रदेश के तालाब विकास प्राधिकरण के चेयरमैन कृष्ण गोपाल व्यास -
https://www.facebook.com/himanshu.bhatt.71/videos/2517264764992679/
4. पोपटराव पवार, हिवरे बाजार माॅडल विलेज, महाराष्ट्र और लक्ष्मण सिंह लापौडिया, चौका वाटर हार्वेस्टिंग माॅडल इनोवेटर, राजस्थान -
https://www.facebook.com/ShivaGangaaMission/videos/381072799263015/
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