भागीरथ का गिलहरी प्रयास

कानपुर में गंगा स्वच्छता के लिए भागीरथ डी.आर. दि्वेदी का गिलहरी प्रयास वर्षो से जारी है। हर सुबह नाव पर गंगा की लहरों से अठखेलियां करते भागीरथ की प्रदूषण मुक्ति यात्रा कई किलोमीटर का सफर तय करते हुये आधा दर्जन घाटो से गुजरती है। लोगों में जागरूकता की अलख जगाने के साथ ही वह कूड़ा बीनने और गंदगी निकालने में मशगूल दिखते है।

बिरहना रोड निवासी 68 वर्षीय वरिष्ठ अधिवक्ता डी.आर. दि्वेदी की 42 वर्ष पहले १९७१ में शुरु हुई यह मुहिम अब बिना रूकावट जारी है। वह रोज सुबह घर से स्कूटर से गुप्तार घाट साढे़ छह बजे पहुंच जाते है। यहां से लाल झंडे की निशानी वाली नाव से आधा दर्जन घाट होते हुए चैनपुरवा गांव की तरफ रेती पर ठहरती है। इस दौरान वह गंगा में फेंके गये फूल,मालाओं के साथ पालीथीन और गंदगी को उठाना नहीं भूलते। यात्रा करीब 11 बजे गुप्तार घाट पर विराम लेती है।

दि्वेदी कहते हैं कि गंगा सफाई की मुहिम से राष्ट्र का हर नागरिक जुडे़ तो हालात बदले जा सकते हैं। वह सरकारों के गंगा प्रदूषण मुक्ति अभियान में अरबों रूपयें फूंकने को लेकर काफी व्यथित नजर आतें है। कहते हैं कि सरकारों और उनके नुमाइंदे सिर्फ रस्म अदायगी कर रहे है वरना स्थिति कुछ और होती।

प्रदूषण मुक्ति यात्रा

 42 वर्षो से गंगा प्रदूषण मुक्ति की मुहिम चला रहे डी.आर.दि्वेदी

 हर सुबह नाव से गंगा की लहरों पर कई किमी. कूडा़ बीनते

ऐसे शुरू हुई मुहिम

1996 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमकॉम की पढ़ाई के बाद सचिवालय में अपर डिवीजन असिस्टेंट पद पर चयनित होने के बावजूद नौकरी नहीं ज्वाइन की। गंगा भक्ति उन्हें शहर खींच लाई । वाणिज्य कर विभाग में बाबू बनने के साथ ही गुप्तार घाट में संचालित प्रेम क्लब से 1996 में जुड़ गए। नाव से गंगा में विचरण पर गंदगी देख मन द्रवित हुआ और फिर शुरू हो गई गंगा प्रदूषण मुक्ति की यात्रा. 42 वर्ष में यह मुहिम उनके बेटे विनय दि्वेदी की आकस्मिक मृत्यु पर वर्ष 2000 में तीन दिन के लिए रुकी। थी।

संकलन / प्रस्तुती
नीलम श्रीवास्तवा

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Post By: pankajbagwan
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