बुलन्दशहर क्षेत्र में जल निकासी प्रणाली के अभिकल्पन हेतु जल वैज्ञानिक मृदा गुणधर्मों का आंकलन

अधिक सिंचाई अथवा अतिशय वर्षा के कारण मृदा की ऊपरी सतह अथवा फसलों के मूल क्षेत्र में जल निकास की समस्या पैदा हो सकती है। यदि किसी क्षेत्र की ऊपरी मृदा कम पारगम्य हो तो स्थिति और भी भयंकर हो जाती है जैसाकि उ.प्र. के पश्चिमी भाग में स्थित बुलन्दशहर जिले में मृदा के ऊपरी सतह में कार्वोनेट की उपस्थिति से ऐसी स्थिति पाई गई है। बुलन्दशहर जिले का कुल क्षेत्रफल 4588 वर्ग किमी. है। यह पाया गया है कि यह क्षेत्र जल ग्रासन की समस्या तथा समुचित जल निकास की समस्या से प्रभावित है। इस अध्ययन के अंतर्गत जल निकास प्रणाली के अभिकल्पन हेतु आवश्यक जल वैज्ञानिक मृदा प्रणाली प्राचलों के आंकलन पर विचार विमर्श किया गया है।

बुलन्दशहर के पूर्वी क्षेत्र को मुख्य क्षेत्र के रूप में चुना गया। विभिन्न स्थानों से मृदा के नमूने एकत्र करके उनका संरचनात्मक वर्गीकरण की दृष्टि से विश्लेषण किया गया। इसकी विवेचना से ज्ञात हुआ कि क्षेत्र की मृदा अधिकांश बलुई दोमट है जिसमें बालू की मात्रा 25 प्रतिशत से 72-80 प्रतिशत है साद की मात्र 25 प्रतिशत से 72 प्रतिशत तथा चिकनी मिट्टी की मात्रा 5 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक है। विभिन्न स्थानों पर गुल्फ पारगम्यता मापी द्वारा, संतृप्त जलीय चालकता का स्थानीय मापन किया, इस क्षेत्र की मृदा के रासायनिक विश्लेषण से मृदा में कार्बोनेट की उपस्थिति का पता चलता है।

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