सितम्बर 2022 में चंडीगढ़ प्रसाशन ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके मुताबिक चंडीगढ़ शहर में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए दो साल में पेट्रोल मोटरसाइकिल का पंजीकरण बंद हो जायेगा, सिर्फ ई-बाइकों का ही पंजीकरण होगा। पांच वर्षों में पेट्रोल-डीजल की कारों को भी आधा करने की तैयारी है। नया ई-वाहन खरीदने पर लोगों को तीन हजार से लेकर दो लाख तक का इंसेंटिव भी मिलेगा।
पेट्रोल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने के लिए अभी सबसे ज्यादा लीथियम से बनी बैट्रियो का प्रयोग हो रहा है, लेकिन इस बदलाव के लिए दुनिया को कुछ बड़े पर्यावरणीय मूल्यों का भुगतान करने को भी तैयार रहना चाहिए। यह सवाल कुछ दक्षिण अमरीकी देशों की परिस्थितियों के मद्देनजर उठ रहा है। इस बात की आशंका बढ़ रही है कि वैश्विक जलवायु के लिए जो अच्छा है, वह दुनिया के कुछ दुर्लभ और सबसे कीमती पारिस्थितिक तंत्रों के लिए एक आपदा हो सकता है, जैसे शुष्क और उच्च एंडीज पर्वतों, नदियों, आर्द्रभूमि, चरागाहों और झीलों के चलते दक्षिण अमेरिका के लिए।
लीथियम उपलब्ध सभी धातुओं में सबसे हल्का होता है। ऊर्जा को स्टोर करने की उच्च क्षमता के साथ यह नरम भी होता है। यह हल्की, रिचार्जेबल बैटरी बनाने के लिए आदर्श सामग्री है। मोबाइल उपकरणों को शक्ति देने वाली लीथियम-आयन बैटरी के लिए धातु की मांग तीन दशकों से मजबूती से बढ़ी है। मोबाइल फोन की बैटरी को लीथियम कार्बोनेट के एक औंस के दसवें हिस्से की आवश्यकता होती है, जबकि एक सामान्य इलेक्ट्रिक कार बैटरी के लिए 130 पाउंड यानी लगभग 20,000 गुना अधिक लीथियम कार्बोनेट की आवश्यकता होती है। इसीलिए लीथियम की मांग 2030 तक चौगुनी होकर 2.4 मिलियन मीट्रिक टन सालाना होने की भविष्यवाणी की गई है और प्रत्याशा में विश्व के बाजारों में इसकी कीमतें पिछले वर्ष दस गुना के करीब बढ़ी हैं।
एक अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया के आधे से अधिक लीथियम भंडार अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली के बीच के त्रिभुज पर फैले दूरस्थ क्षेत्र के भीतर पुराने भूमिगत जल में घुले हुए हैं। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर पहचाने गए कुल 86 मिलियन टन लीथियम में से बोलीविया में 21 मिलियन टन, अर्जेंटीना में 19.3 मिलियन टन और चिली में 9.6 मिलियन टन लीथियम मौजूद है। आजकल इसी क्षेत्र को लीथियम त्रिभुज के रूप में जाना जाता है।
लीथियम निकालने के लिए लगभग 2.2 मिलियन लीटर प्रति टन लीथियम की दर से बहुत अधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। इस कारण लीथियम निकाले जाने वाले क्षेत्रों में जल संकट का गंभीर मुद्दा खड़ा हो गया है। जमीन के भीतरी पानी को सतह पर पंप करके और उसमें मौजूद लीथियम कार्बोनेट को केंद्रित करने के लिए धूप में वाष्पित करके लीथियम निकालना दुनिया में सबसे तेज और सस्ता तरीका माना जाता है।
खनन कंपनियां, कुओं से नमकीन भूमिगत पानी को पंप करके वाष्पीकरण के लिए समतल भूमि या उथले तालाबों में छोड़ देती हैं। इस तरह से वे नमकीन समतल भूमि को दसियों वर्ग किलोमीटर में फैला रही हैं। आमतौर पर धूप में या एक साल बाद, जब काफी पानी के उड़ जाने के बाद, लीथियम कार्बोनेट की सांद्रता 3.5 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तो लीथियम निकालने और आगे के रासायनिक उपचार के लिए इस नमकीन भुरभुरे पदार्थ को ट्रक द्वारा दूसरी जगह भेजा जाता है, लेकिन रसायनज्ञ विक्टोरिया फ्लेक्सर की गणना के अनुसार एकत्र किए गए प्रत्येक टन लीथियम कार्बोनेट के लिए लगभग आधा मिलियन गैलन (पांच लाख गैलन यानि 22,50,000 लीटर) पानी वाष्पित हो चुका होता है। बोलीविया की सैन क्रिस्टोबल खदान कथित तौर पर एक दिन में 50,000 लीटर पानी का उपयोग करती है।
भूमिगत पानी का इस तरह से निष्कर्षण जमीन के अन्दर पानी की सतह यानि भूजलस्तर को कम करता है और क्योंकि मीठे पानी के स्रोत्र अक्सर खारे पानी के ऊपर बैठते हैं, इसलिए यह तरीका झीलों, आर्द्रभूमि, झरनों और नदियों को सुखाने की क्षमता रखता है। एक रिपोर्ट के अनुसार चिली में लीथियम खनन कंपनियों पर सालार डी अटाकामा क्षेत्र में महत्वपूर्ण जल आपूर्ति को 65% तक कम करने का आरोप है।
हाइड्रोलॉजिस्ट्स और संरक्षणवादियों का कहना है कि अर्जेंटीना में लीथियम खनन अपने क्षेत्र के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को रेगिस्तान में बदलने के लिए तैयार है। उच्च एंडीज के स्वदेशी लोगों का आरोप है कि उनके आस-पास का पानी, जिस पर वे घरेलू उपयोग के लिए भरोसा करते हैं, चरागाहों को जीवित रखने के लिए जिन पर उनका पशुधन निर्भर करता है, उसे जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए लीथियम बैटरी चालित हरित वाहनों के वैश्विक अभियान में बलिदान किया जा रहा है।
ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय के हाइड्रोजियोलॉजिस्ट मार्सेलो स्टिकको के अनुसार, बेसिन आमतौर पर जमीन के नीचे हाइड्रोलॉजिकल रूप से जुड़े होते हैं, इसलिए एक स्थान पर भूमिगत पानी के स्तर को कम करने से यह दूसरे स्थानों पर भी कम हो सकता है। एक संरक्षण संगठन, वेटलैंड्स इंटरनेशनल, जो हाई एंडियन वेटलैंड्स को बचाने के लिए प्रयासरत है, के कार्यक्रम प्रबंधक रोमन बेगुन कहते हैं कि भूमिगत पानी की निकासी, परियोजनाओं के सतह क्षेत्र से कई गुना बड़े क्षेत्र में आर्द्रभूमि और समुदायों को प्रभावित कर सकती है। उनका कहना है कि जो अरबों लीटर पानी वाष्पित हो जाता है, सिस्टम में कभी वापस नहीं आता घाटी के स्थानीय लोगों का कहना है कि होम्ब्रे मुएर्तो साल्ट फ्लैट पर, 25 साल पुराने फेनिक्स ऑपरेशन के लिए की गयी पंपिंग ने पानी के स्तर को इतना कम कर दिया है कि उनके घास के मैदानों के लिए पानी का एक प्रमुख स्रोत ट्रैपिची नदी सूख गई है, जिससे उनके पशुओं को चरने की जगह नहीं मिल रही है। वहां के समुदाय अब पानी के अन्य मुख्य स्रोत पाटोस नदी के साथ भी ऐसा ही होने से रोकने के लिए लामबंद हो गए हैं, जिसके बारे में उनका मानना है कि नए पम्पिंग कुओं से पटोस नदी को भी खतरा है।
अर्जेंटीना के स्वदेशी कार्यकर्ता रोमन गुइतिआन ने टाइम मैगज़ीन से अपनी बातचीत में कहा कि भविष्य में हमारे पास लीथियम होगा, हमारे पास इलेक्ट्रिक कारें होंगी, लेकिन हमारे पास पानी नहीं होगा।यहां पर बहुत महत्वपूर्ण बात यह है कि तीनों देशों की सरकारों और अधिकारियों ने खनन के समर्थन के लिए एक तरह से अपनी आँखे बंद कर रखी हैं। अर्जेंटीना के गोंजालेज और स्नाइडर बताते हैं कि अधिकारी खनन प्रक्रिया और क्षेत्र का सिर्फ थोड़ा निरीक्षण करते हैं, जबकि पर्यावरणीय आकलन और सामुदायिक संपर्क के लिए कंपनियों को स्वतंत्रता देते हैं।
पर्यावरणीय विश्लेषक मारकोनी का कहना है कि इसका परिणाम अच्छे कॉर्पोरेट अभ्यास के रूप में नहीं हुआ। जब उसने लीथियम निष्कर्षण के लिए 11 कम्पनियों के पर्यावरणीय प्रभाव आकलन का विश्लेषण किया, तो पाया कि उसमें स्थानीय जल आपूर्ति और आर्द्रभूमि पर वाष्पीकरण और तालाबों पर प्रभाव का पूर्ण हाइड्रोलॉजिकल विश्लेषण या कठोर मूल्यांकन शामिल नहीं है।
इसी तरह आलोचकों के अनुसार कंपनियाँ स्थानीय परामर्श में भी कंजूसी करती हैं, जबकि सिद्धांत रूप में उन्हें खनन के लिए स्थानीय समुदायों की स्वतंत्र और पूर्व लिखित सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। अर्जेंटीना के एक एनजीओ एनवायरनमेंटल एंड नेचुरल रिसोर्सेज फाउंडेशन में पर्यावरण नीति के निदेशक पिया मार्चेगियानी ने पाया कि व्यवहार में स्थानीय समुदायों को या तो नज़रअंदाज कर दिया गया या धोखा देने के लिए रिपोर्ट में ऐसी तकनीकी भाषा प्रयोग में लायी गयी, जिसे वे समझ नहीं सकते थे। मार्चेजियानी ने निष्कर्ष निकाला कि परियोजनाएं थोड़ी आलोचनात्मक समीक्षा के साथ अनुमोदन प्राप्त कर रही हैं।
स्रोत - सर्वोदय जगत
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