बोवै बजरा आये पुक्ख।
फिर मन कैसे पावै सुक्ख।।
शब्दार्थ- सुक्ख-सुख।
भावार्थ- यदि कोई कृषक पुष्य नक्षत्र लगने पर बाजरा बोता है तो उसकी पैदावार न के बराबर होगी और उसे सुख की प्राप्ति नहीं होगी।
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