एक अध्ययन में कहा गया है कि कोलकाता देश में सबसे अधिक प्रदूषित महानगर है और उसका प्रदूषण स्तर आठ उष्णकटिबंधीय एशियाई देशों में सर्वाधिक रिकॉर्ड किया गया। परसिसटेंट ऑर्गेनिक पाल्यूटेंट (पीओपी) स्नेत के प्रसार एवं पहचान पर आठ देशों- लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, थाईलैंड, फिलीपिन, इंडोनेशिया, मलेशिया, भारत और जापान में अध्ययन किया गया। अध्ययन के मुताबिक अन्य देशों के शहरों की तुलना में भारत (के शहरों) में सबसे ज्यादा पीएएच (पोलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन) और कैंसरकारी पीओपी मिले।
यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय विज्ञान जर्नल मरीन पॉल्युशन बुलेटिन में प्रकाशित हुआ है। शोधपत्र में कहा गया है कि भारत के बड़े महानगरों में कोलकाता सबसे ज्यादा प्रदूषित पाया गया और वहां का प्रदूषण स्तर आठ एशियाई देशों में सबसे अधिक पाया गया। टोक्यो यूनिर्विसटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी की भारतीय वैज्ञानिक डॉ. महुआ साहा ने यह शोध किया। शोधपत्र में कहा गया है, ‘शहरी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पीएएच प्रति ग्राम में 11300 नैनो ग्राम भारत में और सबसे कम 206 नैनोग्राम प्रति ग्राम मलेशिया में पाया गया।’ शोधकर्ता डॉ. साहा के मुताबिक शोध के परिणाम भारत जैसे देश के लिए भयावह है क्योंकि उसका प्रदूषण स्तर अन्य उष्णकटिबंधीय देशों की तुलना में ज्यादा है। पीओपी ऐसे कार्बन यौगिक होते हैं जिनका पर्यावरण में अपक्षय (क्षरण) नहीं होता है।
डॉ. साहा ने कहा कि मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर पीओपी के नकारात्मक प्रभाव संबंधी ढेर सारे सबूत की वजह से पीओपी प्रदूषण लोगों की चिंता का कारण है। कई ऐसे यौगिकों की हार्मोन अवरोधक के रूप में पहचान की गई जो अंतस्नवी ग्रंथियों और प्रजनन तंत्र की क्रियाशीलता पर असर डालते हैं। पीओपी की वजह से हृदय रोग, कैंसर, मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियां होती हैं। यह अध्ययन करीब नौ साल तक चला जिस दौरान आठ देशों के 174 स्थानों के तलछट नमूनों का विश्लेषण किया गया साहा ने बताया कि पर्यावरण में मिलने के बाद पीएएच पानी में घुल नहीं पाते। शोध में यह भी पाया गया कि आठ देशों में से सात में पेट्रोलियम उत्पाद जनित प्रदूषण के संकेत हैं।
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