बिहार में केवल 1.1 प्रतिशत घरों को ही मिल रहा नल से जल

बिहार में केवल 1.1 प्रतिशत घरों को ही मिल रहा नल से जल
बिहार में केवल 1.1 प्रतिशत घरों को ही मिल रहा नल से जल

जल हम सभी के जीवन से प्राण की तरह जुड़ा है। या यूं कहें कि वायु के बाद जल ही प्राण है, लेकिन भारत भीषण जल संकट से जूझ रहा है। देश में जल संकट इतना गहरा गया है कि हर दिन इसके संबंध में कोई न कोई बात सुनने को मिल ही जाती है। स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर बार बार जल संरक्षण की अपील की जाती है। केंद्र सरकार नेे जल संरक्षण के लिए जल शक्ति मंत्रालय का गठन कर दिया और हर घर को नल से जल पहुंचाने की योजना बनाकर घोषणा की। इसी क्रम में बिहार सरकार ने दो कदम आगे बढ़कर मार्च 2020 तक राज्य की ग्रामीण आबादी को नल से जल देने का लक्ष्य रखा है, लेकिन जल्दीबाजी में निर्णय लेने के कारण अभी तक राज्य के ग्रामीण इलाकों में केवल 1.1 प्रतिशत घरों को ही नल से जल मिल रहा है और ढाई माह में लक्ष्य पूरा करना दूर की कौड़ी लग रहा है। वहीं राज्य के शहरी क्षेत्रों का हाल भी काफी खस्ता है। यही हाल बिहार के पड़ोसी राज्यों का भी है।

बिहार के ग्रामीण इलाकों में 1 करोड़ 77 लाख 31 हजार 200 घर हैं, जिनमें करीब 9 करोड़ 30 लाख लोग रहते हैं। जिनमें से केवल 1.1 प्रतिशत यानी लगभग 1 लाख 95 हजार 043 घरों को नल से जल मिल रहा है। यदि बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड के ग्रामीण इलाकों की बात की जाए तो यहां केवल 0.3 प्रतिशत घरों को ही नल से जल से सप्लाई किया जात है। जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों बिहार की अपेक्षा विपरीत  परिस्थितियां होने के बावजूद काफी अधिक घरों में नल से पानी सप्लाई हो रही है, यहां करीब 30 प्रतिशत घर नल से जल की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। हरियाणा में भी तीस प्रतिशत ग्रामीण घरों को ही नल से जल प्राप्त होता है। हालाकि ये आंकड़ा संतोषजनक नहीं है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 11.3 प्रतिशत घरों को नल से जल मिल रहा है। 

राष्ट्रीय स्तर पर शहरी इलाकों में 40.9 प्रतिशत घरों को नल से जल मिलता है, लेकिन इसमें भी बिहार के शहरी इलाकों की स्थिति काफी निराशाजनक ही है। यहां 17.2 प्रतिशत घरों को ही नल से जल मिल रहा है। इस बात का खुलासा नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य के ग्रामीण इलाकों के 94.3 प्रतिशत घरों में पानी की सप्लाई का मुख्यस्त्रोत हैंडपंप हैं, जबकि 2.9 प्रतिशत घरों में ट्यूबवेल से पानी सप्लाई किया जाता हैं। शहरी इलाके की बात करे तो यहां 37.3 प्रतिशत घरों को ट्यूबवेल से पानी सप्लाई होता है, जबकि 38.5 प्रतिशत घरों में पानी की जरूरत हैंडपंप के पानी से पूरी होती है। बिहार की ग्रामीण और शहरी दोनों की आबादी के आंकड़ों को सम्मिलित किया जाए तो केवल 2.9 प्रतिशत घरों को नल से जल मिलता है। ऐसे में बिहार में नल से जल पहुंचाना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन सरकार अपनी जवाबदेही तय करने के बाद केवल ढकोसले ही दे रही है। हालाकि उम्मीद है कि एक दिन सभी घरों तक नल भी पहुंचेंगे और नल में जल भी, लेकिन आर्सेनिक के कहर से जूझ रहे बिहार में कितना साफी जल मिलेगा इस बात की शायद कोई गारंटी नहीं है। स्वच्छ जल देना ही यहां सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा।

लेखक - हिमांशु भट्ट

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