बिहार सरकार ने वर्ष 2012 में 39 जलाशयों के लिये प्रस्ताव भेजे थे। केन्द्रीय जल आयोग पटना ने राज्य सरकार से सितम्बर 2013 में अनुरोध किया था कि वह केन्द्र सरकार की योजना के अनुरूप प्रस्ताव भेजें। तद्नुसार राज्य सरकार ने दिसम्बर 2014 में 76.0315 करोड़ रुपए लागत के 35 जलाशयों के लिये केन्द्रीय जल आयोग पटना को प्रस्ताव भेजे थे, इनकी समीक्षा की जा रही है। इस समय बिहार में त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के अन्तर्गत दो बड़ी परियोजनाएँ चल रहीं हैं।
औरंगाबाद जिले में स्थित इस परियोजना के अन्तर्गत 13680 हेक्टेयर क्षेत्र में हैडवर्क्स और नहर प्रणाली निर्माण करने का प्रावधान है। वर्ष 2014-2015 के दौरान जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार मंत्री द्वारा नौ करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता के प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई थी। वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान 2.763 करोड़ रुपए जारी किये गए हैं। अब तक कुल 43.884 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
कैमूर और रोहतास जिलों में फैली दुर्गावती जलाशय परियोजना से 9190 हेक्टेयर सूखा प्रभावित क्षेत्र तथा 23277 हेक्टेयर गैर-सूखा प्रभावित क्षेत्र की आवश्यकतायें पूरी होंगी। वर्ष 2014-2015 के दौरान मंत्रालय ने 38.75 करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता के प्रस्तावों को स्वीकृति दी थी। वित्त वर्ष 2015-2016 में 7. 59825 करोड़ रुपए की आंशिक राशि जारी की गई है। अभी तक कुल 65.09 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
लगभग 340.6732 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली 221 लघु सिंचाई परियोजनाओं को एआईबीपी के अन्तर्गत वित्त पोषण के लिये शामिल किया गया है। वर्ष 2014-2015 के दौरान 129 चालू परियोजनाओं के लिये 70.8642 करोड़ रुपए जारी किये गए। अभी तक इन सभी परियोजनाओं के लिये 195.2168 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
बिहार सरकार ने वर्ष 2012 में 39 जलाशयों के लिये प्रस्ताव भेजे थे। केन्द्रीय जल आयोग पटना ने राज्य सरकार से सितम्बर 2013 में अनुरोध किया था कि वह केन्द्र सरकार की योजना के अनुरूप प्रस्ताव भेजें। तद्नुसार राज्य सरकार ने दिसम्बर 2014 में 76.0315 करोड़ रुपए लागत के 35 जलाशयों के लिये केन्द्रीय जल आयोग पटना को प्रस्ताव भेजे थे, इनकी समीक्षा की जा रही है।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य निर्मित क्षमता का उपयोग बढ़ाना और बहुआयामी कार्यदल को समाहित करते हुए निरन्तरता के आधार पर समन्वित एवं एकीकृत पहल द्वारा कृषि उत्पादकता और उत्पादन में वृद्धि करना है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य सरकार को केन्द्रीय सहायता अनुदान के रूप में दी जाती है।
वर्ष 2014-2015 के दौरान बिहार को 38.81527 करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता प्रदान की गई।
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 2014-2015 के दौरान चन्दन बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम हेतु 24.92 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई थी। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान बिहार राज्य को एफएमपी के अन्तर्गत 167.96 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है।
राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) ने बिहार में 2155.63 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली 14 परियोजना की स्वीकृति दी है। जिसमें बक्सर, बेगुसराय, मुंगेर, हाजीपुर और पटना जिले में 1912.36 करोड़ रुपए की स्वीकृति वाले 13 सीवेज नेटवर्क एवं शोधन संयंत्र शामिल हैं। साथ ही पटना में 243.27 करोड़ रुपए की स्वीकृत लागत वाली एक रीवर फ्रंट विकास परियोजना लागू की जा रही है जिसमें 20 घाट निर्माण और गंगा की धारा के साथ 6.6 किलामीटर लम्बा नाला भी बनाया जा रहा है। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिये जून 2015 तक 180 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
साथ ही 1968 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली एसटीपी को रोकने और उसके प्रवाह की दिशा परिवर्तन करने की 26 परियोजनाओं और 200 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाले 4 रीवर फ्रंट विकास परियोजनाओं की डीपीआर बनाने का काम विभिन्न चरणों में चल रहा है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर बिहार में गंगा तट पर स्थित सभी शहरों को गंगा प्रदूषण समाप्त करने के काम में शामिल कर लिया जाएगा।
निम्नलिखित पाँच इण्टर बेसिन वाॅटर ट्रांसफर (आईबीडब्ल्यूटी) लिंक बिहार से सम्बन्धित है।
क. मनास-संकोश-तीस्ता-गंगा लिंक
ख. कोसी-मेची लिंक
ग. कोसी-घाघरा लिंक
घ. चुनार-सोन बैराज लिंक
ङ सोन डेम-गंगा की दक्षिणी सहायक नदियाँ
इन सभी पाँच लिंक्स की पूर्व सम्भाव्यता रिपोर्ट तैयार हो गई है। इनकी सम्भाव्यता रिपोर्ट का कार्य प्रगति पर है। बिहार से 9 अन्तरराज्यीय लिंक प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिसमें से 6 लिंक्स की पूर्व सम्भाव्यता रिपोर्ट तैयार करके बिहार को सूचित कर दिया गया है। एनडीडब्ल्यूए ने बूढ़ी गंडक-नून-बाया-गंगा तथा कोसी-मेची लिंक के दो अन्तरराज्यीय लिंक प्रस्तावों की डीपीआर बनाकर बिहार राज्य को दे दी है।
1 पुनपुन बैराज परियोजना
औरंगाबाद जिले में स्थित इस परियोजना के अन्तर्गत 13680 हेक्टेयर क्षेत्र में हैडवर्क्स और नहर प्रणाली निर्माण करने का प्रावधान है। वर्ष 2014-2015 के दौरान जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार मंत्री द्वारा नौ करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता के प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई थी। वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान 2.763 करोड़ रुपए जारी किये गए हैं। अब तक कुल 43.884 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
2 दुर्गावती जलाशय परियोजना
कैमूर और रोहतास जिलों में फैली दुर्गावती जलाशय परियोजना से 9190 हेक्टेयर सूखा प्रभावित क्षेत्र तथा 23277 हेक्टेयर गैर-सूखा प्रभावित क्षेत्र की आवश्यकतायें पूरी होंगी। वर्ष 2014-2015 के दौरान मंत्रालय ने 38.75 करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता के प्रस्तावों को स्वीकृति दी थी। वित्त वर्ष 2015-2016 में 7. 59825 करोड़ रुपए की आंशिक राशि जारी की गई है। अभी तक कुल 65.09 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
लघु सिंचाई परियोजनाएँ
लगभग 340.6732 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली 221 लघु सिंचाई परियोजनाओं को एआईबीपी के अन्तर्गत वित्त पोषण के लिये शामिल किया गया है। वर्ष 2014-2015 के दौरान 129 चालू परियोजनाओं के लिये 70.8642 करोड़ रुपए जारी किये गए। अभी तक इन सभी परियोजनाओं के लिये 195.2168 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
मरम्मत, पुनरुद्धार एवं नवीनीकरण (आरआरआर) योजना
बिहार सरकार ने वर्ष 2012 में 39 जलाशयों के लिये प्रस्ताव भेजे थे। केन्द्रीय जल आयोग पटना ने राज्य सरकार से सितम्बर 2013 में अनुरोध किया था कि वह केन्द्र सरकार की योजना के अनुरूप प्रस्ताव भेजें। तद्नुसार राज्य सरकार ने दिसम्बर 2014 में 76.0315 करोड़ रुपए लागत के 35 जलाशयों के लिये केन्द्रीय जल आयोग पटना को प्रस्ताव भेजे थे, इनकी समीक्षा की जा रही है।
कमांड एरिया विकास तथा जल प्रबन्धन कार्यक्रम
इस कार्यक्रम का उद्देश्य निर्मित क्षमता का उपयोग बढ़ाना और बहुआयामी कार्यदल को समाहित करते हुए निरन्तरता के आधार पर समन्वित एवं एकीकृत पहल द्वारा कृषि उत्पादकता और उत्पादन में वृद्धि करना है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य सरकार को केन्द्रीय सहायता अनुदान के रूप में दी जाती है।
वर्ष 2014-2015 के दौरान बिहार को 38.81527 करोड़ रुपए की केन्द्रीय सहायता प्रदान की गई।
बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम (एफएमपी)
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 2014-2015 के दौरान चन्दन बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम हेतु 24.92 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई थी। 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान बिहार राज्य को एफएमपी के अन्तर्गत 167.96 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई है।
नमामि गंगे
राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (एनजीआरबीए) ने बिहार में 2155.63 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली 14 परियोजना की स्वीकृति दी है। जिसमें बक्सर, बेगुसराय, मुंगेर, हाजीपुर और पटना जिले में 1912.36 करोड़ रुपए की स्वीकृति वाले 13 सीवेज नेटवर्क एवं शोधन संयंत्र शामिल हैं। साथ ही पटना में 243.27 करोड़ रुपए की स्वीकृत लागत वाली एक रीवर फ्रंट विकास परियोजना लागू की जा रही है जिसमें 20 घाट निर्माण और गंगा की धारा के साथ 6.6 किलामीटर लम्बा नाला भी बनाया जा रहा है। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिये जून 2015 तक 180 करोड़ रुपए जारी किये जा चुके हैं।
साथ ही 1968 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली एसटीपी को रोकने और उसके प्रवाह की दिशा परिवर्तन करने की 26 परियोजनाओं और 200 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाले 4 रीवर फ्रंट विकास परियोजनाओं की डीपीआर बनाने का काम विभिन्न चरणों में चल रहा है। इन परियोजनाओं के पूरा होने पर बिहार में गंगा तट पर स्थित सभी शहरों को गंगा प्रदूषण समाप्त करने के काम में शामिल कर लिया जाएगा।
एनडीडब्ल्यूए
निम्नलिखित पाँच इण्टर बेसिन वाॅटर ट्रांसफर (आईबीडब्ल्यूटी) लिंक बिहार से सम्बन्धित है।
क. मनास-संकोश-तीस्ता-गंगा लिंक
ख. कोसी-मेची लिंक
ग. कोसी-घाघरा लिंक
घ. चुनार-सोन बैराज लिंक
ङ सोन डेम-गंगा की दक्षिणी सहायक नदियाँ
इन सभी पाँच लिंक्स की पूर्व सम्भाव्यता रिपोर्ट तैयार हो गई है। इनकी सम्भाव्यता रिपोर्ट का कार्य प्रगति पर है। बिहार से 9 अन्तरराज्यीय लिंक प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिसमें से 6 लिंक्स की पूर्व सम्भाव्यता रिपोर्ट तैयार करके बिहार को सूचित कर दिया गया है। एनडीडब्ल्यूए ने बूढ़ी गंडक-नून-बाया-गंगा तथा कोसी-मेची लिंक के दो अन्तरराज्यीय लिंक प्रस्तावों की डीपीआर बनाकर बिहार राज्य को दे दी है।
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Post By: RuralWater