(1976 का अधिनियम संख्यांक 63)
{10 अप्रैल, 1976}
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों की ओर से राजघाट में बेतवा नदी पर बाँध का सन्निर्माण करके राजघाट में जलाशय बनाने के लिये और ऐसे जलाशय के विनियमन के लिये एक बोर्ड की स्थापना का उपबन्ध करने के लिये अधिनियम
भारत गणराज्य के सत्ताइसवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-
अध्याय 1
प्रारम्भिक
1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ
(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम बेतवा नदी बोर्ड अधिनियम, 1976 है।
(2) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों से परामर्श करके, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे।
2. संघ द्वारा नियंत्रण की समीचीनता के बारे में घोषणा
इसके द्वारा यह घोषित किया जाता है कि लोकहित में यह समीचीन है कि केन्द्रीय सरकार अन्तरराज्यिक बेतवा नदी और नदी घाटी के विनियमन और विकास का नियंत्रण इसमें इसके पश्चात उपबन्धित विस्तार तब अपने अधीन ले ले।
3. परिभाषाएँ
इस अधिनियम में, जब तक कि सन्दर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -
(क) “बोर्ड से धारा 4 के अधीन स्थापित बेतवा नदी बोर्ड अभिप्रेत है;
(ख) “अध्यक्ष” से बोर्ड का अध्यक्ष अभिप्रेत है;
(ग) “कार्यकारिणी समिति” से धारा 5 के अधीन गठित कार्यकारिणी समिति अभिप्रेत है;
(घ) “सदस्य” से बोर्ड का सदस्य अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत अध्यक्ष भी है;
(ङ) विहित” से केन्द्रीय सरकार द्वारा धारा 22 के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
(च) “राजघाट बाँध” से अनुसूची में वर्णित बाँध अभिप्रेत है;
(छ) 1{ रानी लक्ष्मीबाई सागर, से राजघाट बाँध के सन्निर्माण से बना हुआ जलाशय अभिप्रेत है;
(ज) ‘विनियम’ से बोर्ड द्वारा धारा 23 के अधीन बनाए गए विनियम अभिप्रेत हैं;
(झ) ‘नियम” से केन्द्रीय सरकार द्वारा धारा 22 के अधीन बनाए गए नियम अभिप्रेत हैं।
अध्याय 2
बोर्ड की स्थापना
4. बेतवा नदी बोर्ड की स्थापना और निगमन
(1) इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये बेतवा नदी बोर्ड नाम से एक बोर्ड उस तारीख से स्थापित किया जाएगा, जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस निमित्त नियत करे।
(2) बोर्ड पूर्वोक्त नाम से शाश्वत उत्तराधिकार और सामान्य मुद्रा वाला एक निगमित निकाय होगा जिसे इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन रहते हुए जंगम और स्थावर दोनों प्रकार की सम्पत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन करने की और संविदा करने की शक्ति होगी और उक्त नाम से वह वाद लाएगा और उसके विरुद्ध वाद लाया जाएगा।
(3) सिंचाई का भारसाधक केन्द्रीय मंत्री बोर्ड का अध्यक्ष होगा और बोर्ड के अन्य सदस्य निम्नलिखित होंगे, अर्थात:-
(क) जहाँ एक ही संघ मंत्री सिंचाई और शक्ति दोनों का भारसाधक नहीं है वहाँ शक्ति का भारसाधक संघ मंत्री या शक्ति के भारसाधक संघ मंत्रालय या विभाग का ऐसा मंत्री या उपमंत्री जो शक्ति के भारसाधक संघ मंत्री द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट किया जाये;
(ख) मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री;
(ग) मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के वित्त, सिंचाई और शक्ति के भारसाधक मंत्री:
परन्तु जब संविधान के अनुच्छेद 356 के अधीन की गई उद्घोषणा मध्य प्रदेश राज्य या उत्तर प्रदेश राज्य के सम्बन्ध में प्रवृत्त है तब केन्द्रीय सरकार बोर्ड में उस राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिये तीन व्यक्तियों को नियुक्त कर सकेगी और इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति ऐसी उद्घोषणा के प्रतिसंहरण या प्रवर्तन की समाप्ति पर अपना पद रिक्त कर देंगे।
(4) बोर्ड, केन्द्रीय सरकार या मध्य प्रदेश सरकार या उत्तर प्रदेश सरकार के किसी अधिकारी को अपने किसी अधिवेशन में उपस्थित होने और कार्यवाहियों में भाग लेने की अनुज्ञा दे सकेगा किन्तु ऐसा अधिकारी मत देने का हकदार नहीं होगा।
(5) बोर्ड इस अधिनियम के किन्हीं उपबन्धों का अनुपालन करने के लिये जिस व्यक्ति की सहायता या सलाह लेना चाहे उसे ऐसी रीति से और ऐसे प्रयोजनों के लिये, जिन्हें विनियमों द्वारा अवधारित किया जाये, अपने से सहयुक्त कर सकेगा और इस प्रकार सहयुक्त व्यक्ति को बोर्ड की ऐसी चर्चा में, जो उस प्रयोजन से संगत हों जिसके लिये वह सहयुक्त किया गया है, भाग लेने का अधिकार होगा, किन्तु वह मत देने का हकदार नहीं होगा।
5. कार्यकारिणी समिति
(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, एक कार्यकारिणी समिति गठित कर सकेगी जिसमें उस सरकार के अधिकारी तथा मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी होंगे।
(2) कार्यकारिणी समिति का गठन ऐसे रूप में होगा जो विहित किया जाये :
परन्तु -
(क) केन्द्रीय सरकार का एक अधिकारी समिति का अध्यक्ष होगा;
(ख) मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार का समान प्रतिनिधित्व व होगा।
(3) बोर्ड के साधारण अधीक्षण और नियंत्रण के अधीन रहते हुए बोर्ड के कार्यकलापों का प्रबन्ध कार्यकारिणी समिति में निहित होगा और अध्यक्ष तथा समिति के अन्य सदस्य ऐसी रीति से बोर्ड की सहायता करेंगे जैसी बोर्ड अपेक्षा करे।
(4) नियमों और बोर्ड के निदेशों के अधीन रहते हुए कार्यकारिणी समिति ऐसी किसी शक्ति का प्रयोग और ऐसा कोई कार्य या बात कर सकेगी जिसका बोर्ड द्वारा प्रयोग किया जा सकता है या जो बोर्ड द्वारा की जा सकती है।
(5) कार्यकारिणी समिति द्वारा अनुसरित की जाने वाली प्रक्रिया और कार्यकारिणी समिति से सम्बन्धित सभी अन्य विषय ऐसे होंगे जिन्हें विहित किया जाये।
6. रिक्तियों आदि से बोर्ड या कार्यकारिणी समिति की कार्यवाहियों का अविधिमान्य न होना
बोर्ड या कार्यकारिणी समिति का कोई कार्य या कार्यवाही इस कारण अविधिमान्य नहीं होगी कि-
(क) बोर्ड या कार्यकारिणी समिति में कोई रिक्ति है;
(ख) बोर्ड या कार्यकारिणी समिति के गठन में या उसमें किसी नियुक्ति में कोई त्रुटि है;
(ग) बोर्ड या कार्यकारिणी समिति की प्रक्रिया में कोई ऐसी अनियिमितता है जो मामले के गुणागुण पर कोई प्रभाव नहीं डालती है।
7. मुख्य इंजीनियर और वित्तीय सलाहकार
(1) केन्द्रीय सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से परामर्श करके मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों में से बोर्ड का एक इंजीनियर (जो बोर्ड का मुख्य इंजीनियर होगा और जिसे मुख्य इंजीनियर, राजघाट बाँध परियोजना, कहा जाएगा) और बोर्ड का एक वित्तीय सलाहकार और एक सचिव नियुक्त कर सकेगी:
परन्तु केन्द्रीय सरकार यथासाध्य यह सुनिश्चित करेगी कि एक ही राज्य का अधिकारी एक ही समय पर मुख्य इंजीनियर और सचिव के पद धारण न करे:
परन्तु यह और कि केन्द्रीय सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की सहमति से केन्द्रीय सरकार के किसी अधिकारी को वित्तीय सलाहकार नियुक्त कर सकेगी।
(2) उपधारा (1) के अधीन नियुक्त बोर्ड का मुख्य इंजीनियर बोर्ड और कार्यकारिणी समिति के साधारण अधीक्षण और नियंत्रण के अधीन रहते हुए, बोर्ड का मुख्य कार्यपालक अधिकारी होगा और निम्नलिखित शक्तियों का प्रयोग और कर्तव्यों का निर्वहन करेगा:
(क) ऐसी शक्तियाँ और कर्तव्य जिन्हें बोर्ड द्वारा विहित किया जाये या उसे प्रत्यायोजित किया जाये;
(ख) ऐसी अन्य शक्तियाँ और कर्तव्य जिन्हें विनियमों द्वारा अवधारित किया जाये।
(3) उपधारा (1) के अधीन नियुक्त वित्तीय सलाहकार बोर्ड का मुख्य लेखा अधिकारी होगा।
(4) बोर्ड के मुख्य इंजीनियर और बोर्ड के वित्तीय सलाहकार और सचिव की सेवा के निबन्धन और शर्तें ऐसी होंगी जो विहित की जाएँ।
8. बोर्ड के अन्य अधिकारी और कर्मचारी
(1) नियमों के अधीन रहते हुए बोर्ड ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों को नियुक्त कर सकेगा जिन्हें वह अपने कृत्यों के दक्ष निर्वहन के लिये आवश्यक समझे :
परन्तु बोर्ड मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिये गए अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा का यथासाध्य उपयोग ऐसी रीति से करेगा जिससे कि दोनों राज्यों को समान प्रतिनिधित्व दिया जाये।
(2) बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा के निबन्धन और शर्तें ऐसी होंगी जिन्हें विनियमों द्वारा अवधारित किया जाये।
9. सलाहकार समितियाँ
नियमों के अधीन रहते हुए बोर्ड अपने तथा कार्य का समितियों के कृत्यों के दक्ष निर्वहन में अपनी तथा उनकी सहायता करने के लिये एक या अधिक सलाहकार समितियाँ समय-समय पर गठित कर सकेगा।
अध्याय 3
बोर्ड के कृत्य और शक्तियाँ
10. बोर्ड के कृत्य
यदि बोर्ड का यह समाधान हो जाता है कि मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने धारा 11 में निर्दिष्ट शर्तों का अनुपालन कर दिया है या अनुपालन करने की व्यवस्था कर दी है तो वह इस अधिनियम और नियमों के अन्य उपबन्धों के अधीन रहते हुए, निम्नलिखित कार्य कर सकेगा-
(क) बेतवा अन्तरराज्यिक नदी घाटी में सर्वेक्षण और अन्वेषण करना, राजघाट बाँध तथा अनुलग्न संकर्मों के सन्निर्माण के लिये और राजघाट बाँध पर शक्ति के उत्पादन के लिये, जिसके अन्तर्गत बाँध के निकट बिजलीघर (जिसे इसमें इसके पश्चात राजघाट बिजलीघर कहा गया है) और अनुलग्न संकर्म का निर्माण भी है, व्यापक परियोजना रिपोर्ट तैयार करना और मध्य प्रदेश सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार से परामर्श करके और यदि इन दोनों सरकारों द्वारा कोई सुझाव दिये जाते हैं तो उन्हें ध्यान में रखते हुए, उसको अन्तिम रूप देना;
(ख) परियोजना के सम्बन्ध में विस्तृत रिपोर्ट और प्राक्कलन तैयार करना और खर्चे को मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच आवंटित करना;
(ग) परियोजना के कार्यान्वयन के लिये और उसके अनुरक्षण के लिये मानक तथा विनिर्देश तैयार करना;
(घ) राजघाट बाँध और राजघाट बिजलीघर तथा मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों की सिंचाई के लिये बाँध से ही शामिलाती जल-वाहिका सन्निर्मित करना;
(ङ) राजघाट बाँध के क्रियान्वयन और प्रबन्ध के लिये नियम अधिकथित करना;
(च) ऐसे किसी अन्य कृत्य पालन करना जो खण्ड (क) से खण्ड (ङ) में विनिर्दिष्ट सभी कृत्यों या उनमें से किसी का अनुपूरक, आनुषंगिक या उसके परिणामस्वरूप है।
11. वे शर्तें जिनके अधीन रहते हुए बोर्ड अपने कृत्यों का प्रयोग कर सकेगा
(1) बोर्ड धारा 10 में विनिर्दिष्ट कृत्यों का प्रयोग निम्नलिखित शर्तों के अधीन रहते हुए करेगा, अर्थात-
(i) मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार सन्निर्माण के लिये और बोर्ड द्वारा अपेक्षित सभी अन्य बातों के लिये धन, भूमि-सुविधाएँ और विद्युत शक्ति के बारे में समुचित व्यवस्था बोर्ड के समाधानप्रद रूप में सभी समय पर करेगी;
(ii) राजघाट बाँध पर और राजघाट बिजलीघर पर जिसके अन्तर्गत अनुलग्न संकर्म भी हैं, तथा राजघाट बाँध पर शक्ति के उत्पादन पर समस्त व्यय का और बोर्ड द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन में उपगत सभी अन्य व्यय का दायित्व मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ऐसे अनुपात में स्वीकार किया जाएगा जो बोर्ड द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाये :
परन्तु बोर्ड उन फायदों को, जो राज्यों को प्रोद्भूत हों और अन्य सुसंगत बातों को ध्यान में रखते हुए, विभिन्न संकर्मों या विषयों के लिये भिन्न-भिन्न अनुपात विनिर्दिष्ट कर सकेगा;
(iii) मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार बोर्ड को पूरा सहयोग प्रदान करेगी और सन्निर्माण के प्रयोजनों के लिये बोर्ड द्वारा अपेक्षित भूमि और विद्युत शक्ति उसे यथासम्भव शीघ्रता से उपलब्ध कराने में विशेष रूप से सहयोग प्रदान करेगी।
(2) उपधारा (1) के खण्ड (ii) के प्रयोजनों के लिये राजघाट बाँध पर व्यय के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बाँध परियोजना पर बोर्ड की स्थापना से पूर्व उपगत व्यय भी होगा और बोर्ड उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस प्रकार उपगत व्यय की रकम और उस सीमा को अवधारित करेगा जिस सीमा तक उस व्यय की प्रतिपूर्ति मध्य प्रदेश सरकार द्वारा की जाएगी।
12. बोर्ड की शक्तियाँ
(1) इस अधिनियम और नियमों के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, बोर्ड को ऐसी कोई भी बात करने की शक्ति होगी जो इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों का पालन करने के प्रयोजन के लिये आवश्यक या समीचीन हो।
(2) पूर्वगामी उपबन्ध की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसी शक्ति के अन्तर्गत निम्नलिखित शक्तियाँ होंगी:-
(क) ऐसी जंगम और स्थावर सम्पत्ति का अर्जन, धारण और व्ययन करना जिसे वह आवश्यक समझे;
(ख) बेतवा नदी घाटी में बाढ़ नियंत्रण और जल-निकासी के विभिन्न पहलुओं और 1{रानी लक्ष्मीबाई सागर, के विनियमन और राजघाट बाँध पर शक्ति के उत्पादन से सम्बद्ध आँकड़े या अन्य जानकारी प्रकाशित करना;
(ग) उत्तर प्रदेश सरकार और मध्य प्रदेश सरकार से ऐसी जानकारी देने की अपेक्षा करना जिसकी बोर्ड अपने कृत्यों के निर्वहन में अपेक्षा करे।
अध्याय 4
वित्त, लेखा और लेखापरीक्षा
13. बेतवा नदी बोर्ड निधि
(1) बेतवा नदी बोर्ड निधि नाम से एक निधि गठित की जाएगी तथा बोर्ड को मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सन्दत्त राशियाँ तथा बोर्ड द्वारा प्राप्त सभी अन्य राशियाँ, उसमें जमा की जाएँगी।
(2) निधि का उपयोग निम्नलिखित प्रयोजनों के लिये किया जाएगा:-
(क) बोर्ड के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और अन्य पारिश्रमिक की और बोर्ड के अन्य प्रशासनिक व्यय की पूर्ति करने के लिये;
(ख) बोर्ड द्वारा किये गए सर्वेक्षण और अन्वेषणों पर व्यय की पूर्ति करने के लिये;
(ग) राजघाट बाँध और राजघाट बिजलीघर और अनुलग्न संकर्मों के सन्निर्माण के खर्चे की पूर्ति करने के लिये;
(घ) इस अधिनियम के अधीन बोर्ड के कृत्यों के निर्वहन में बोर्ड के अन्य व्ययों की पूर्ति करने के लिये।
14. बजट
बोर्ड, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ऐसे प्रारूप में और ऐसे समय पर, जिन्हें विहित किया जाये, आगामी वित्तीय वर्ष के लिये बजट तैयार करेगा जिसमें प्राक्कलित व्यय, व्यय की वह रकम जो मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने देने का वचन दिया है, दर्शित की जाएगी और उसे केन्द्रीय सरकार तथा उक्त राज्य सरकारों को भेजेगा।
15. वार्षिक रिपोर्ट
(1) बोर्ड, प्रत्येक वर्ष ऐसे प्रारूप में और ऐसे समय पर, जिन्हें विहित किया जाये, अपनी वार्षिक रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसमें पूर्ववर्ती वर्ष के दौरान उसके कार्यकलापों का पूरा विवरण दिया जाएगा और उसकी प्रतियाँ केन्द्रीय सरकार को भेजेगा और वह सरकार उसे संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाएगी।
(2) बोर्ड अपनी वार्षिक रिपोर्ट की प्रतियाँ मध्य प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को भेजेगा।
16. लेखा और लेखा परीक्षा
बोर्ड के लेखे ऐसी रीति से रखे और सम्परीक्षित किये जाएँगे जो भारत के नियंत्रक - महालेखा परीक्षक से परामर्श करके विहित की जाये।
अध्याय 5
प्रकीर्ण
17. केन्द्रीय सरकार द्वारा निदेश
बोर्ड अपने कृत्यों के निर्वहन में नीति के प्रश्नों के बारे में ऐसे निदेशों और अनुदेशों से मार्गदर्शन प्राप्त करेगा जो उसे केन्द्रीय सरकार द्वारा दिये जाएँ।
18. बोर्ड और राज्य सरकारों के बीच विवाद
यदि बोर्ड और मध्य प्रदेश सरकार या उत्तर प्रदेश सरकार के बीच या बोर्ड और दोनों सरकारों के बीच इस अधिनियम के अन्तर्गत आने वाले या उससे सम्बन्धित या उससे उद्भूत होने वाले किसी विषय के सम्बन्ध में कोई विवाद उठता है तो वह केन्द्रीय सरकार को निर्दिष्ट किया जाएगा और केन्द्रीय सरकार का विनिश्चय अन्तिम होगा और बोर्ड तथा उक्त सरकारों पर आबद्धकर होगा।
19. प्रवेश करने की शक्ति
इस निमित्त बनाए गए किन्हीं नियमों के अधीन रहते हुए, बोर्ड का कोई अधिकारी, जो बोर्ड द्वारा इस निमित्त साधारणतया या विशिष्टतया प्राधिकृत है, किसी भूमि या परिसर में किसी भी उचित समय पर प्रवेश कर सकेगा और वहाँ ऐसी बातें कर सकेगा जो किसी संकर्म को विधिपूर्वक करने या ऐसा कोई सर्वेक्षण, परीक्षण या अन्वेषण, जो इस अधिनियम के अधीन बोर्ड द्वारा किसी शक्ति के प्रयोग या किसी कृत्य के पालन में प्रारम्भिक या आनुषंगिक है, करने के प्रयोजन के लिये युक्तियुक्त रूप से आवश्यक हों:
परन्तु ऐसा कोई अधिकारी किसी भवन में या किसी घिरे हुए आँगन या निवासगृह से संलग्न बगीचे में प्रवेश, उसके अधिभोगी की अनुमति के बिना और अपने ऐसे प्रवेश करने की लिखित सूचना ऐसे अधिभोगी को कम-से-कम सात दिन पूर्व दिये बिना, नहीं करेगा।
20. बोर्ड के सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों का लोक सेवक होना
इस अधिनियम के किसी भी उपबन्ध के अनुसरण में कार्य करते समय या कार्य करने का तात्पर्य रखते हुए बोर्ड और कार्यकारिणी समिति के सभी सदस्य, तथा बोर्ड के सभी अधिकारी और कर्मचारी भारतीय दण्ड संहिता (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थ में लोक सेवक समझे जाएँगे।
21. सद्भावपूर्वक की गई कार्यवाही के लिये संरक्षण
(1) कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही किसी ऐसीबात के बारे में, जो इस अधिनियम या नियमों का विनियमों के अधीन सद्भावपूर्वक की गई हो या की जाने के लिये आशयित हो, केन्द्रीय सरकार या मध्य प्रदेश सरकार या उत्तर प्रदेश सरकार के अथवा बोर्ड या कार्यकारिणी समिति के किसी सदस्य अथवा बोर्ड के किसी अधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध न होगी।
(2) कोई भी वाद या अन्य विधिक कार्यवाही किसी ऐसे नुकसान के बारे में, जो इस अधिनियम या नियमों या विनियमों के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिये तात्पर्यित किसी बात से कारित हो या जिसका ऐसे कारित होना सम्भाव्य हो, बोर्ड के विरुद्ध न होगी और विशिष्टतया, ऐसे सहायता उपायों की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी बोर्ड की नहीं होगी जो बाढ़ या संकर्मों के भंग और त्रुटियों के कारण आवश्यक हों।
22. नियम बनाने की शक्ति
(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिये नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी।
(2) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या उनमें से किसी विषय के लिये उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात:-
(क) धारा 5 की उपधारा (2) और उपधारा (5) के अधीन कार्यकारिणी समिति का गठन और उसके द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया और कार्यकारिणी समिति सम्बन्धी अन्य विषय;
(ख) वे शक्तियाँ जिनका प्रयोग और वे कर्तव्य जिनका निर्वहन बोर्ड के मुख्य इंजीनियर द्वारा धारा 7 की उपधारा (2) के खण्ड (क) के अधीन किया जा सकेगा;
(ग) धारा 7 की उपधारा (4) के अधीन बोर्ड के मुख्य इंजीनियर, वित्तीय सलाहकार और सचिव की सेवा के निबन्धन और शर्तें;
(घ) धारा 8 की उपधारा (1) के अधीन बोर्ड के अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति;
(ङ) धारा 14 और धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन वह प्रारूप जिसमें और वह समय जब बोर्ड का बजट और वार्षिक रिपोर्ट तैयार की जाएगी;
(च) धारा 16 के अधीन वह रीति जिससे बोर्ड के लेखे रखे जाएँगे और उनकी परीक्षा की जाएगी;
(छ) वह प्रारूप जिसमें और वह रीति जिससे विवाद केन्द्रीय सरकार को धारा 18 के अधीन निर्दिष्ट किये जा सकेंगे और वह प्रक्रिया जिसका अनुसरण ऐसे विवादों को तय करने में किया जाएगा।
23. विनियम बनाने की शक्ति
(1) बोर्ड इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों के निर्वहन में अपने को समर्थ बनाने के लिये ऐसे विनियम, जो इस अधिनियम और नियमों से असंगत न हों, केन्द्रीय सरकार के पूर्वानुमोदन से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगा।
(2) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे विनियम निम्नलिखित सभी विषयों या उनमें से किसी के लिये उपबन्ध कर सकेंगे -
(क) वह रीति जिससे और वे प्रयोजन जिनके लिये बोर्ड किन्हीं व्यक्तियों को धारा 4 की उपधारा (5) के अधीन अपने साथ सहयुक्त कर सकेगा;
(ख) वे शक्तियाँ जिनका प्रयोग और वे कर्तव्य जिनका निर्वहन बोर्ड के मुख्य इंजीनियर द्वारा धारा 7 की उपधारा (2) (ख) के अधीन किया जा सकेगा;
(ग) धारा 8 की उपधारा (2) के अधीन बोर्ड के अधिकारियों (बोर्ड के मुख्य इंजीनियर, बोर्ड के वित्तीय सलाहकार और सचिव से भिन्न) और अन्य कर्मचारियों की सेवा के निबन्धन और शर्तें।
24. नियमों और विनियमों का संसद के समक्ष रखा जाना
इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम और विनियम, बनाए जाने के पश्चात, यथाशीघ्र संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, तीस दिन की अवधि के लिये रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्र में पूरी हो सकेगा। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्र के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम या विनियम में कोई परिवर्तन करने के लिये सहमत हो जाएँ तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएँ कि वह नियम या विनियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा। किन्तु नियम या विनियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
अनुसूची
{धारा 3(ग) देखिए,
राजघाट बाँध का वर्णन
यह बाँध उत्तर प्रदेश के जिला ललितपुर में राजघाट स्थान पर बेतवा नदी पर बने ललितपुर चन्देरी सेतुक से बहाव के विरुद्ध लगभग एक फलांग की दूरी पर बेतवा नदी पर बनाया जाना है। बाँध में एक चिनाई वाला भाग होगा जो नदी तल में होगा और दोनों पार्श्वों में मिट्टी के बाँध होंगे। इनमें दोनों ओर के निचले स्थानों में मिट्टी के बाँध भी होंगे जो जलाशय बनाने के लिये सन्निर्मित किये जाएँगे।
सन्दर्भ
1. 1993 के अधिनियम सं० 49 की धारा 2 द्वारा प्रतिस्थापित।
2. 1993 के अधिनियम सं० 49 की धारा 3 द्वारा प्रतिस्थापित।
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Post By: Editorial Team