आधुनिक समाज में सब्जियों और फल-फूल के वैज्ञानिक महत्त्वों को समझा जा रहा है और दैनिक आहार में ताजा फल-सब्जियों को प्राथमिकता दी जा रही है। रासायनिक कीटनाशकों से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचता है, इस चिन्ता को दूर करने के लिये और अपने घर-आंगन में ताजा सब्जियों व फलों को उगाने के आनंद को पाने के लिये लोग गृह वाटिका (Kitchen garden) बना रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश में गृह वाटिका की महत्ता को छोटे-बड़े सभी वर्ग के लोग अब प्राथमिकता देने लगे हैं।
गृह वाटिका पौष्टिक आहार पाने का एक आसान साधन है जिसमें विविध प्रकार की सब्जियों एवं फलों को एक सुनियोजित फसल चक्र एवं प्रबंधन विधि के द्वारा उगाया जाता है। यह कृषि की प्राचीन विधि और समुदाय के विकास का एक अभिन्न अंग है। गृह वाटिका को विभिन्न वैज्ञानिकों ने अपने मतानुसार परिभाषित किये हैं। सामान्यत: गृह वाटिका घर के आस-पास बनायी गई एक ऐसी जगह होती है जहाँ विविध प्रकार की फसलों की गहन उत्पादन प्रणाली का उपयोग कर एक परिवार की वार्षिक पोषण आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
गृह वाटिका में उगाये गये सब्जियों से विभिन्न प्रकार के विटामिन, खनिज लवण और पादप रसायन प्राप्त होते हैं। इससे शरीर को रोगों से बचाव के लिये आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है, साथ ही आयु के बढ़ते प्रभाव को कम किया जा सकता है जिससे युवा दिखने में मदद मिलती है तथा उच्च रक्तदाब, हृदय रोग आदि जैसे रोगों से रोकथाम होती है। सब्जियों में पाये जाने वाले आहारीय रेशों, खनिज-लवण, विटामिन और अन्य लाभदायक तत्वों की पूर्ति किसी भी दवा के माध्यम से नहीं की जा सकती है।
मौसमी सब्जियाँ ना केवल खनिज तत्वों से भरपूर होती हैं, बल्कि इनमें मौसम की प्रतिकूलताओं से लड़ने की क्षमता भी निहित होती है। मौसम के मुताबिक सब्जियाँ शरीर को ठंढक और गर्माहट देती हैं। विटामिन और खनिज तत्वों का सबसे बेहतरीन स्रोत सलाद होता है।
गृह वाटिका का स्वरूप
गृह वाटिका का स्वरूप व्यक्ति विशेष के जीवन स्तर, रुचि, आवश्यकता एवं स्थान की उपलब्धता पर निर्भर करता है। यहाँ सब्जियों पर आधारित गृह वाटिका के एक आदर्श स्वरूप एवं प्रबंधन के बारे में जानकारी दी गई है। इस प्रकार के गार्डेन में पोषक सब्जियों को प्राथमिकता दी जाती है। इसे प्राय: मकान के पिछवाड़े अथवा बगल की खाली जमीन पर बनाया जाता है लेकिन जगह के अभाव में इसे किसी भी ऐसे स्थान पर बनाया जा सकता है जहाँ सूर्य की रोशनी पर्याप्त समय तक पहुँचती है। इस प्रकार की विशिष्ट गार्डनिंग का मुख्य उद्देश्य वर्ष पर्यन्त भिन्न-भिन्न प्रकार की ताजी एवं पौष्टिक सब्जियाँ उगाना है, इसलिये फसल चक्र और उनका नियोजन इसमें बहुत जरूरी हो जाता है।
एक सफल एवं सुनियोजित गृह वाटिका के लिये हमें आगे लिखी बातों का ध्यान रखना चाहिए -
गृह वाटिका का स्वरूप स्थान की उपलब्धता एवं परिवार के सदस्यों की संख्या पर भी निर्भर करता है। गृह वाटिका के लिये स्थान का चयन करते समय हमें इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि वहाँ सूर्य की रोशनी पर्याप्त हो। घर का दक्षिणी भाग गृह वाटिका के लिये सर्वथा उपयुक्त होता है। गृह वाटिका का रसोई की दृष्टि से उपयोगी भाग घर का पिछवाड़ा होता है। पिछवाड़ा होने के कारण घर एवं बाग के अवशेष गृह वाटिका के किसी कोने में बने एक छोटे से कम्पोस्ट गड्ढे में डाले जा सकते हैं। इससे बनी खाद को गार्डेन के लिये उपयोग में लाया जा सकता है।
गृह वाटिका के लिये दोमट मिट्टी जिसका मान 6-7.5 हो सबसे उत्तम समझा जाता है। गृह वाटिका का प्रबंधन करना आसान होता है क्योंकि इसका क्षेत्रफल कम होने से भूमि में किसी तरह की कमी हो तो उसे सुधारा जा सकता है। भूमि सुधारने के लिये यदि भूमि चिकनी या बलुई है तो ऐसी भूमि में आवश्यकतानुसार गोबर की सड़ी हुई खाद का प्रयोग करना चाहिए। यदि भूमि क्षारीय है तो उसमें आवश्यक मात्रा में जिप्सम मिलाना चाहिए। कुछ दिनों तक भूमि में पानी भर कर छोड़ने से भी भूमि की क्षारीयता कम हो जाती है। यदि भूमि अम्लीय है तो उसमें आवश्यकतानुसार चूना डालना चाहिए।
गृह वाटिका का चुनाव करते समय यह अवश्य ध्यान देना चाहिए कि पास में कोई बड़ा मकान या बड़ा वृक्ष न हो ताकि गृह वाटिका को पूरी धूप मिलती रहे। इसके साथ ही गृह वाटिका के लिये उपयुक्त सिंचाई एवं जल निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। रसोई से निकलने वाले पानी का उपयोग सिंचाई के लिये किया जा सकता है। समय से पानी निकालने और क्यारियों में न ठहरने पर पौधों की वृद्धि अच्छी होती है और उनमें रोग लगने की संभावना कम होती है। इसके अलावा वाटिका का घेराव, मौसम, वायु प्रवाह की दिशा पर भी ध्यान देना जरूरी है।
गृह वाटिका की रूपरेखा
गृह वाटिका की रूपरेखा अलग-अलग परिस्थितियों जैसे कि जगह की उपलब्धता, परिवार में सदस्यों की संख्या, रुचि इत्यादि पर निर्भर करता है। एक आदर्श गृह वाटिका (जो कि पूर्वी/उत्तरी क्षेत्रों के लिये उपयुक्त हैं) का नमूना आगे दिया जा रहा है जिसमें आवश्यकतानुसार संशोधन भी किया जा सकता है। इस मॉडल को 6 m X 6 m (36m2) क्षेत्रफल में बनाया जा सकता है। इस प्रकार की गृह वाटिका 4-5 सदस्य वाले परिवार के लिये उपयुक्त है एवं इससे प्रत्येक मौसम में 10-15 तरह की अलग-अलग पौष्टिक सब्जियाँ प्राप्त होती हैं। गृह वाटिका की रूपरेखा जिसे पूर्वी एवं मध्य भारत में अपनाया जा सकता है एवं मौसम के अनुसार फसलों का चक्र आगे दी गई तालिका के अनुसार सुनिश्चित किया जा सकता है।
सामान्यत: गृह वाटिका की लम्बाई एवं चौड़ाई 6mX6m रखी जाती है। पूरे भाग को चित्रानुसार 5 ब्लॉक (A, B, C, D, E – सबकी चौड़ाई 1m और बीच में सिंचाई के लिये 0.5m की नली) में बाँटा जाता है। ब्लॉक A, B, C को दो आधे-आधे भागों और ब्लॉक D एवं E को तीन भागों में बाँटा जाता है। इस प्रकार हमें पूरे क्षेत्रफल में 3×1m के 6 एवं 2X1 m के 6 प्लाट मिलते हैं। प्रत्येक प्लाट में सब्जियों की संख्या आगे तालिका में दी गई है।
सब्जियों का चयन
सब्जियों की किस्मों का चुनाव करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे उन्नत, स्वस्थ एवं प्रतिरोधी हो। किस्में अगर देशी हों तो हमें अगले मौसम में बीज खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सब्जियों का चयन करते समय हमें वर्ग के अनुसार फसल चक्र अपनानी चाहिए। एक ही वर्ग की फसलों को लगातार नहीं लगाना चाहिए। फसल चक्र अपनाने से बीमारियों का प्रकोप कम होता है। सब्जियों के अनुसार उसकी बुआई या रोपाई करनी चाहिए। मौसम के अनुसार सब्जियों को निम्न प्रकार से बाँटा जा सकता है -
1. गर्मी : पेठा, करेला, परवल, झींगा, टिंडा, टमाटर, चुलाई, खीरा, भिण्डी आदि।
2. बरसात : शिमला मिर्च, बैंगन, बीन, तरोई, भिण्डी, चुलाई, करेला, लौकी, गोभी, बोदी, खीरा, टिंडा आदि।
3. सर्दी : चुकंदर, ब्रोकली, गाजर, पत्तागोभी, मटर, फ्रेंच बीन, शलजम, प्याज, मूली, टमाटर, पालक आदि।
4. वर्ष पर्यन्त : टमाटर, बैंगन, बोदी, चुलाई, पालक, भिण्डी, कलमी साग (कैंग कोंग), बसेला
गृह वाटिका का प्रबंधन
सामान्यत: सब्जियों की बुआई दो तरीकों से की जा सकती है - पौधशाला तैयार करके (टमाटर, बैंगन, मिर्चा, प्याज, गोभी वर्गीय सब्जियाँ, सलाद) एवं सीधे बुआई (खीरा वर्गीय सब्जियाँ, मूली, बीन, कलमी साग, बोदी इत्यादि)। जब भी गृह वाटिका में खरपतवार दिखे, तो उसे हाथ से निकाल देना चाहिए। पलवार लगाने से भी खरपतवार की रोकथाम होती है और मिट्टी में नमी भी बरकरार रहती है।
कीट एवं रोग प्रबंधन
गृह वाटिका से अस्वस्थ पौधों को तुरंत निकालकर नष्ट कर दें। फसल चक्र अपनाना लाभदायक होता है। बुआई के लिये प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें। स्वस्थ पौधशाला तैयार करें। गार्डेन को साफ रखें, खरपतवार निकालते रहें तथा रसायन का उपयोग कम से कम करने की कोशिश करें।
बीज उत्पादन
बीजों का उत्पादन हमें स्वस्थ एवं सशक्त फलों से करनी चाहिए। बीजों का निष्कर्षण फलों/फलियों के अनुसार उपयुक्त तकनीक से करनी चाहिए। बीजों को एकत्रित कर उसे अच्छी तरह से सुखा लें और वायुरुद्ध बर्तन में संग्रहित कर लें।
गृह वाटिका का विकास करके खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति, स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा जैसी तीनों महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों को एक साथ पूरा किया जाना संभव है। गृह वाटिका के विकास से जुड़े मानकों का सही-सही अनुपालन कर आप अपने घर में एक आदर्श गृह वाटिका का निर्माण कर सकते हैं जिसके उचित रख-रखाव द्वारा आप मौसम के अनुसार फल-सब्जियों को उगा सकते हैं और पर्यावरण का संरक्षण भी कर सकते हैं।
तालिका 1 : प्लॉट के अनुसार पौधों की संख्या | ||||
क्र.सं. | फसल (क्षेत्रफल m2) | पंक्ति/प्लॉट | पौधे/पंक्ति | पौधे/प्लॉट |
1 | चुलाई (3×1) | 7 | 30 | 210 |
2 | करेला (3×1) | 2 | 3 | 6 |
3 | लौकी (3×1) | 2 | 2 | 4 |
4 | बैंगन (3×1) | 3 | 5 | 15 |
5 | मिर्च (2×1) | 3 | 6 | 18 |
6 | धनिया (1×1) | 5 | 10 | 50 |
7 | बोदी (2×1) | 3 | 9 | 27 |
8 | फ्रेंच बीन (3×1) | 4 | 13 | 52 |
9 | लहसुन (3×1) | 7 | 30 | 210 |
10 | कलमी साग (3×1) | 4 | 15 | 60 |
11 | कलमी साग (2×1) | 4 | 10 | 40 |
12 | कसूरी मेथी (3×1) | 7 | - | - |
13 | बीन (2×1) | 4 | 10 | 40 |
14 | सलाद (3×1) | 7 | 30 | 210 |
15 | पुदीना (1×1) | 7 | 7 | 49 |
16 | भिण्डी (3×1) | 4 | 9 | 36 |
17 | भिण्डी (2×1) | 4 | 6 | 24 |
18 | प्याज (3×1) | 7 | 30 | 210 |
19 | बसेला (2×1) | 4 | 15 | 60 |
20 | मूली (2×1) | 6 | 20 | 120 |
21 | झिंगी (3×1) | 1 | 7 | 7 |
22 | झिंगी (2×1) | 1 | 5 | 5 |
23 | पालक (3×1) | 7 | 30 | 210 |
24 | तरोई (3×1) | 1 | 7 | 7 |
25 | टमाटर (3×1) | 3 | 6 | 18 |
26 | टमाटर (2×1) | 3 | 4 | 12 |
27 | बथुआ (2×1) | 7 | - | - |
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