बचपन से पचपन तक फ्लोरोसिस से प्रभावित

लापरवाही प्रशासन बेखर


झाबुआ : केंद्र व राज्य सरकार ग्रामीणों क्षेत्रों में विभिन्न गंभीर बीमारियों के नियंत्रण हेतु करोड़ों रुपए फूंक रही है लेकिन नतीजा शून्य ही नजर आता है। दर्जनों एनजीओ सरकार से करोड़ों का प्रोजेक्ट लेकर विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इसके द्वारा लाखों रुपए कागजों पर प्रतिमाह खर्च हो रहे हैं लेकिन परिणाम संतोषप्रद दिखाई नहीं दे रहे हैं कुपोषण के बाद अब ग्रामीण फ्लोरोसिस नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित होने लगे हैं।

एक ऐसा ही मामला विकासखंड थांदला के ग्राम मियाटी एवं रामा विकासखंड के ग्राम जसोदा खुमजी में देखने को मिला। यहां बचपन से फ्लोराइड से लोग प्रभावित हो चुके हैं। यह बीमारी क्षेत्र में पानी के माध्यम से लोगों के शरीर में पहुंच रही है। इस बीमारी के नियंत्रण के लिए विगत एक वर्ष में इंडरेम फाउंडेशन झाबुआ द्वारा किया जा रहा है लेकिन बीमारी के नियंत्रण में परिवर्तन नहीं दिखाई दे रहा है।

इस गंभीर बीमारी के लक्षण विगत वर्षों से दिखाई देने पर जिला प्रशासन द्वारा महज एक हैंडपंप पर वाटर फिल्टर लगाकर औपचारिकता पूरी कर ली है। इससे कुछ समय पश्चात फिल्टर मशीन को स्थानीय लोगों ने निकालकर एक तरफ रख दिया है। ग्रामीण बताते हैं कि वे इस बीमारी से अनभिज्ञ हैं वे नहीं जानते हैं कि फ्लोरोसिस क्या है लेकिन यह बात स्वीकारते हैं कि उन्हें जिस बीमारी ने जकड़ा है वह फ्लोरोसिस है जिससे शरीर के अंगों में टेड़ापन आ जाता है।

उक्त संस्था के एफएमवी मैनेजर सचिन वाणी, बसंत चौहान व कल्पना बिलवाल ने बताया कि ग्राम मियाटी के स्कूल फलिया एवं भंडारिया फलिये में औसतन प्रत्येक तीसरे घर में दो या तीन लोग फ्लोरोसिस से पीड़ित है। सोचनीय तथ्य है कि प्रशासन ने इस गंभीर मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखाई। जबकि इस क्षेत्र के अधिकांश हैंडपंप ऐसे हैं जिनसे निकलने वाले पानी के उपयोग से लोग प्रभावित हुए है।

सार्वजनिक स्थल पर वाटर फिल्टर नहीं


ग्राम मियाटी व जशोद खुमान में हैंडपंप व बोरिंग से निकले पानी के उपयोग से ग्रामीणों को फ्लोरोसिस बीमारी ने प्रभावित किया यह स्पष्ट हो चुका है उसके बाद भी जिला प्रशासन, पीएचई, स्वास्थ्य विभाग एवं महिला बाल विकास विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेग रही है।

औपचारिकता के तौर पर एक दो वाटर फिल्टर लगा दिए गए उसके बाद फिर से उन पर ध्यान नहीं दिया गया। महज एक दो हैंडपंपों पर स्थानीय प्रशासन द्वारा वाटर फिल्टर लगाए है लेकिन गांव के मीडिल स्कूल, इजीएस शालाए, आंगनवाड़ी केंद्र व माध्यमिक शालाएं जहां पर प्रतिदिन सैकड़ों स्कूली बच्चे व अन्य ग्रामीण एकत्रित होते है यहां पर वाटर फिल्टर की कोई सुविधा नहीं की गई। देखा गया कि स्कूल के बच्चे फ्लोरोसिस युक्त पानी को मजबूर हो रहे है।

ये बोले जिम्मेदार


ऐसा कुछ है तो मैं पीएचई व स्वास्थ्य विभाग को संयुक्त रूप से भेजकर उचित कार्रवाई करवाती हूं। साथ ही ग्रामीणों की बैठक करवाकर वाटर फिल्टर का पानी उपयोग में लेने के लिए मार्गदर्शित किया जाएगा।
जयश्री कियावत, कलेक्टर झाबुआ


यदि गांव में लगे हैंडपंप में फ्लोरोसिस युक्त पानी निकल रहा है तो मैं इसे तुरंत बंद करवाता हूं और ग्रामीणों को पानी की दूसरी व्यवस्था उपलब्ध की जाएगी। रही वाटर फिल्टर की बात वह स्वास्थ्य विभाग का काम है उन्हें देखना चाहिए कि ग्रामीण वाटर फिल्टर पानी का उपयोग कर रहे है या नहीं।
श्रीकांत पटवा, पीएचई झाबुआ


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