बातें जाग रही थीं जे़हन में

नींद की गहरी नदी में
बहते रहे - बहते रहे
कभी किसी स्वप्न पर
जजक कर उठ गए
कभी किसी सपने पर
खिलखिला दिए हम

जुबान मुँह में सो रही थी
पर बातें जाग रही थीं जे़हन में

नभगंगा के तट से
तारामण्डल का एक प्रभाती तारा टूट कर
ले लिया पास में ही जन्म
और उसकी सद्यः जात रुलाई से (भीग)
बड़े भोर में ही जाग गए हम!
(जन्म की खुशी होती है कितनी तरल!)

Path Alias

/articles/baataen-jaaga-rahai-thain-jaehana-maen

Post By: Hindi
×