बाढ़ की वजह से मेंढर, मंडी, हवेली और सुरनकोट तहसील में स्कूल और सरकारी इमारतों में कुल 33 स्थानों पर 103 परिवारों के 626 लोग पनाह लिए हुए हैं। जैसे-जैसे बाढ़ का पानी उतर रहा है वैसे-वैसे इस तादाद में कमी आती जा रही है। बाढ़ की वजह से कुल 584 घर आंशिक रूप से जबकि 604 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए। वहीं 4,705 कच्चे घर आंशिक रूप से और 1,975 पूरी तरह बर्बाद हुए। पुंछ में बाढ़ की दास्तां यहीं नहीं थमती। बाढ़ की वजह से 211 दुकानें आंशिक या पूर्ण रूप से बर्बाद हो गईं जबकि 979 पशु मर गए। जम्मू एवं कश्मीर में आई बाढ़ ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। तबाही का यह मंजर जिसने भी देखा शायद ही वह कभी इसे भूला नहीं पाएगा। बाढ़ ने लोगों का घर बार और सब कुछ छीन लिया है। किसी ने अपने को हमेशा के लिए खो दिया है तो कोई अपनों के आने का इंतजार अभी भी कर रहा है।
बाढ़ के बाद पैदा हुए हालात के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण बात देखने को मिली वह यह रही कि मीडिया का फोकस श्रीनगर और कुछ चुनिंदा क्षेत्रों की बर्बादी को कवर करने पर ही रहा।
जम्मू प्रांत के पुंछ जैसे दूरदराज इलाके को मीडिया का कवरेज या तो नहीं मिला या बहुत कम मिला जिसकी वजह से बाढ़ के बाद पुंछ की बर्बादी की कहानी लोगों तक नहीं पहुंच सकी। पुंछ में बाढ़ के बाद लोग एक दूसरे से सवाल कर रहे हैं कि हमारा पुंछ क्या कभी पहले जैसा हो पाएगा? बाढ़ ने पुंछ में बर्बादी की एक नई इबारत लिखी है।
बाढ़ के बाद पुंछ में सड़क संपर्क, बिजली, जल आपूर्ति और संचार सुविधाएं बुरी तरह तहस-नहस हो गई हैं। बाढ़ ने पीएचई की 90 जल आपूर्ति योजनाओं को बुरी तरह प्रभवित किया है जबकि 4 बोरवेल पुरानी पुंछ, मेज फार्म, कलाई और चंडक क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
लोक निर्माण विभाग के अंर्तगत आने वाले तीन मुख्य पुल शेरे-कश्मीर, दुंदक और पमरोट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं जबकि सुरनकोट और मंडी के 18 पुल बाढ़ के साथ बह गए। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग की 121 सड़कों को बाढ़ ने जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। लैंड स्लाइड की वजह से पुंछ डिवीजन में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी हुई 27 जबकि मेंढर में 29 सड़कों को नुकसान हुआ है।
आंकड़ों से स्पष्ट है कि पुंछ में सड़क संपर्क पूरी तरह से तहस-नहस हो चुका है। ऊपर से संचार सुविधाओं के खस्ताहाल होने की वजह से बाढ़ में फंसे लोगों का अपनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में बाढ़ की वजह से 12,306 टावर में से 6,811 टावर डूब गए थे जिनमें से 1,208 टावर की मरम्मत कर ली गई है।
बाढ़ की वजह से दूरसंचार नेटवर्क पुुंछ जिले में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। दूरसंचार नेटवर्क की स्थिति का ब्यौरा देते हुए खुद सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि सरहदी जिले पुंछ को छोड़कर मोबाइल सेवा घाटी के हर हिस्से में काफी हद तक या आंशिक रूप से बहाल कर ली गई है।
पुंछ के स्थानीय निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता निजाम दीन मीर का कहना है- ‘‘मोबाइल और सड़क संपर्क न होने की वजह से लोग दूसरे इलाकों में रह रहे अपने रिश्तेदारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। यहां तक की मुसीबत में फंसे लोगों के पास में प्रशासन या किसी के साथ में संपर्क करने का कोई रास्ता नहीं मिल पा रहा है।’’
इसके अलावा बाढ़ और बारिश ने पीएचई और बिजली विभाग के ढांचे को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। बाढ़ की वजह से 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन के 15 टावर क्षतिग्रस्त हुए हैं जिनमें से 12 पूरी तरह से ध्वस्त हो गए और 3 पानी के साथ बह गए। इसी तरह 33 केवी लाइन के 119 पोल क्षतिग्रस्त हुए जबकि 154 उखड़ गए और 143 पोल बाढ़ के साथ बह गए।
लोगों के घर बिजली से कब रोशन होंगे इस बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि बाढ़ और बारिश की वजह से बिजली आपूर्ति बुरी तरह से ठप हो गई है। बाढ़ और बारिश ने शिक्षा व्यवस्था को भी पूरी तरह तहस-नहस कर दिया है। बाढ़ के प्रकोप पूरे पुंछ में 198 स्कूल प्रभावित हुए हैं जिनमें से 46 को ही अभी तक क्रियाशील बनाया गया है। अध्ययन-अध्यापन का कार्य सुचारू रूप से चलाने की वजह से 33 इमारतों को किराए पर लिया गया है जबकि 37 टैंटों की अभी भी जरूरत है। बाढ़ के प्रकोप से जवाहर नवोदय का हॉस्टल और 10 हजार गैलन का जल संरक्षण केंद्र भी नहीं बच सका।
जिले में 14 सितंबर तक 27 लोगों की मौत हुई जिसमें से 21 के ही शव बरामद किए जा सके। इसके अलावा इस अवधि तक 65 लोग बाढ़ की वजह से जख्मी हुए। बाढ़ की वजह से मेंढर, मंडी, हवेली और सुरनकोट तहसील में स्कूल और सरकारी इमारतों में कुल 33 स्थानों पर 103 परिवारों के 626 लोग पनाह लिए हुए हैं।
जैसे-जैसे बाढ़ का पानी उतर रहा है वैसे-वैसे इस तादाद में कमी आती जा रही है। बाढ़ की वजह से कुल 584 घर आंशिक रूप से जबकि 604 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए। वहीं 4,705 कच्चे घर आंशिक रूप से और 1,975 पूरी तरह बर्बाद हुए। पुंछ में बाढ़ की दास्तां यहीं नहीं थमती। बाढ़ की वजह से 211 दुकानें आंशिक या पूर्ण रूप से बर्बाद हो गईं जबकि 979 पशु मर गए। इस बारे में चरखा के प्रोजेक्ट मैनेजर अनीस-उर-रहमान खान का कहना है कि इस इलाके के ज्यादातर लोगों की जीविका मवेशी पालन है।
इस बाढ़ से उनके मवेशियों को काफी नुकसान हुआ है। मवेशी बाढ़ में जहां-तहां फंसकर मर चुके हैं। इसकी वजह से इलाके के लोगों कोे दो बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है-एक यह कि पहले जो जानवर जिंदा रहकर अपने दूध पर वहां के लोगों को पालते थे आज वह मरकर उनके लिए मुसीबत बने हुए हैं क्योंकि मरे हुए जानवरों से बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। दूसरा यह कि उनकी जीविका का कोई दूसरा साधन नहीं बचा है।
राज्य में आई बाढ़ के बाद इससे प्रभावित लोगों के लिए स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड यानी एसडीआरएफ के नियमों के तहत मुआवज़े की रकम तय की गई है। लेकिन वन इंडिया वेब पोर्टल की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुंछ में बाढ़ पीड़ितों को मुआवज़े देने के बदले अधिकारी 50 फीसद या आधा हिस्सा मांग रहे हैं।
जहां एक ओर बाढ़ पीड़ितों के जख्म अभी नहीं भरे हैं वहीं दूसरी ओर अधिकारी मुआवजे की रकम का बंदरबाट करने में लग गए हैं। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही अब राहत के साथ-साथ जम्मू एवं कश्मीर के पुनर्वास की जरूरत है। इस बाढ़ की वजह से लोगों के दिलों में जो जख्म हुए हैं वह तो वक्त के साथ भर जाएंगे लेकिन उनके जीवन को पुनः सामान्य रफ्तार पर लाने की आवश्यकता है जिसके लिए राज्य तथा केंद्र सरकार को जल्द-से-जल्द पुनर्निर्माण और पुनर्वास का काम शुरू करना होगा और कोशिश करनी होगी कि वह अपने अंजाम तक पहुंचे।
बाढ़ के बाद पैदा हुए हालात के बाद जो सबसे महत्वपूर्ण बात देखने को मिली वह यह रही कि मीडिया का फोकस श्रीनगर और कुछ चुनिंदा क्षेत्रों की बर्बादी को कवर करने पर ही रहा।
जम्मू प्रांत के पुंछ जैसे दूरदराज इलाके को मीडिया का कवरेज या तो नहीं मिला या बहुत कम मिला जिसकी वजह से बाढ़ के बाद पुंछ की बर्बादी की कहानी लोगों तक नहीं पहुंच सकी। पुंछ में बाढ़ के बाद लोग एक दूसरे से सवाल कर रहे हैं कि हमारा पुंछ क्या कभी पहले जैसा हो पाएगा? बाढ़ ने पुंछ में बर्बादी की एक नई इबारत लिखी है।
बाढ़ के बाद पुंछ में सड़क संपर्क, बिजली, जल आपूर्ति और संचार सुविधाएं बुरी तरह तहस-नहस हो गई हैं। बाढ़ ने पीएचई की 90 जल आपूर्ति योजनाओं को बुरी तरह प्रभवित किया है जबकि 4 बोरवेल पुरानी पुंछ, मेज फार्म, कलाई और चंडक क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
लोक निर्माण विभाग के अंर्तगत आने वाले तीन मुख्य पुल शेरे-कश्मीर, दुंदक और पमरोट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं जबकि सुरनकोट और मंडी के 18 पुल बाढ़ के साथ बह गए। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग की 121 सड़कों को बाढ़ ने जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। लैंड स्लाइड की वजह से पुंछ डिवीजन में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी हुई 27 जबकि मेंढर में 29 सड़कों को नुकसान हुआ है।
आंकड़ों से स्पष्ट है कि पुंछ में सड़क संपर्क पूरी तरह से तहस-नहस हो चुका है। ऊपर से संचार सुविधाओं के खस्ताहाल होने की वजह से बाढ़ में फंसे लोगों का अपनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में बाढ़ की वजह से 12,306 टावर में से 6,811 टावर डूब गए थे जिनमें से 1,208 टावर की मरम्मत कर ली गई है।
बाढ़ की वजह से दूरसंचार नेटवर्क पुुंछ जिले में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। दूरसंचार नेटवर्क की स्थिति का ब्यौरा देते हुए खुद सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि सरहदी जिले पुंछ को छोड़कर मोबाइल सेवा घाटी के हर हिस्से में काफी हद तक या आंशिक रूप से बहाल कर ली गई है।
पुंछ के स्थानीय निवासी व सामाजिक कार्यकर्ता निजाम दीन मीर का कहना है- ‘‘मोबाइल और सड़क संपर्क न होने की वजह से लोग दूसरे इलाकों में रह रहे अपने रिश्तेदारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। यहां तक की मुसीबत में फंसे लोगों के पास में प्रशासन या किसी के साथ में संपर्क करने का कोई रास्ता नहीं मिल पा रहा है।’’
इसके अलावा बाढ़ और बारिश ने पीएचई और बिजली विभाग के ढांचे को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। बाढ़ की वजह से 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन के 15 टावर क्षतिग्रस्त हुए हैं जिनमें से 12 पूरी तरह से ध्वस्त हो गए और 3 पानी के साथ बह गए। इसी तरह 33 केवी लाइन के 119 पोल क्षतिग्रस्त हुए जबकि 154 उखड़ गए और 143 पोल बाढ़ के साथ बह गए।
लोगों के घर बिजली से कब रोशन होंगे इस बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि बाढ़ और बारिश की वजह से बिजली आपूर्ति बुरी तरह से ठप हो गई है। बाढ़ और बारिश ने शिक्षा व्यवस्था को भी पूरी तरह तहस-नहस कर दिया है। बाढ़ के प्रकोप पूरे पुंछ में 198 स्कूल प्रभावित हुए हैं जिनमें से 46 को ही अभी तक क्रियाशील बनाया गया है। अध्ययन-अध्यापन का कार्य सुचारू रूप से चलाने की वजह से 33 इमारतों को किराए पर लिया गया है जबकि 37 टैंटों की अभी भी जरूरत है। बाढ़ के प्रकोप से जवाहर नवोदय का हॉस्टल और 10 हजार गैलन का जल संरक्षण केंद्र भी नहीं बच सका।
जिले में 14 सितंबर तक 27 लोगों की मौत हुई जिसमें से 21 के ही शव बरामद किए जा सके। इसके अलावा इस अवधि तक 65 लोग बाढ़ की वजह से जख्मी हुए। बाढ़ की वजह से मेंढर, मंडी, हवेली और सुरनकोट तहसील में स्कूल और सरकारी इमारतों में कुल 33 स्थानों पर 103 परिवारों के 626 लोग पनाह लिए हुए हैं।
जैसे-जैसे बाढ़ का पानी उतर रहा है वैसे-वैसे इस तादाद में कमी आती जा रही है। बाढ़ की वजह से कुल 584 घर आंशिक रूप से जबकि 604 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए। वहीं 4,705 कच्चे घर आंशिक रूप से और 1,975 पूरी तरह बर्बाद हुए। पुंछ में बाढ़ की दास्तां यहीं नहीं थमती। बाढ़ की वजह से 211 दुकानें आंशिक या पूर्ण रूप से बर्बाद हो गईं जबकि 979 पशु मर गए। इस बारे में चरखा के प्रोजेक्ट मैनेजर अनीस-उर-रहमान खान का कहना है कि इस इलाके के ज्यादातर लोगों की जीविका मवेशी पालन है।
इस बाढ़ से उनके मवेशियों को काफी नुकसान हुआ है। मवेशी बाढ़ में जहां-तहां फंसकर मर चुके हैं। इसकी वजह से इलाके के लोगों कोे दो बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है-एक यह कि पहले जो जानवर जिंदा रहकर अपने दूध पर वहां के लोगों को पालते थे आज वह मरकर उनके लिए मुसीबत बने हुए हैं क्योंकि मरे हुए जानवरों से बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। दूसरा यह कि उनकी जीविका का कोई दूसरा साधन नहीं बचा है।
राज्य में आई बाढ़ के बाद इससे प्रभावित लोगों के लिए स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड यानी एसडीआरएफ के नियमों के तहत मुआवज़े की रकम तय की गई है। लेकिन वन इंडिया वेब पोर्टल की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुंछ में बाढ़ पीड़ितों को मुआवज़े देने के बदले अधिकारी 50 फीसद या आधा हिस्सा मांग रहे हैं।
जहां एक ओर बाढ़ पीड़ितों के जख्म अभी नहीं भरे हैं वहीं दूसरी ओर अधिकारी मुआवजे की रकम का बंदरबाट करने में लग गए हैं। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही अब राहत के साथ-साथ जम्मू एवं कश्मीर के पुनर्वास की जरूरत है। इस बाढ़ की वजह से लोगों के दिलों में जो जख्म हुए हैं वह तो वक्त के साथ भर जाएंगे लेकिन उनके जीवन को पुनः सामान्य रफ्तार पर लाने की आवश्यकता है जिसके लिए राज्य तथा केंद्र सरकार को जल्द-से-जल्द पुनर्निर्माण और पुनर्वास का काम शुरू करना होगा और कोशिश करनी होगी कि वह अपने अंजाम तक पहुंचे।
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Post By: Shivendra