बाड़ी में बाड़ी करै, करै ईख में ईख।
ये घर ओइसे जायँगे, सुनै पराई सीख।।
शब्दार्थ- बाड़ी-कपास। ओइसे-उसी प्रकार।
भावार्थ- जो कपास के खेत में पुनः कपास और ईख के खेत में दूसरे वर्ष भी ईख बोता है उसका घर वैसे ही नष्ट हो जाता है जैसे पराई सीख सुनने वाले का घर नष्ट हो जाता है।
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