देहरादून में पानी की रोज नई समस्यायें सामने आ रही हैं। पहले पाइप फटने की वजह से पानी की किल्लत हो रही थी और अब ग्राउंड वाटर के लेवल में गिरावट से परेशानी हो रही है। देहरादून का ग्राउंड वाॅटर लेवल लगातार नीचे गिर रहा है इसके बावजूद अवैध बोरिंग करके ट्यूबवेल लगाने पर कोई रोक नहीं लग पा रही है। अगर यही स्थिति रही तो आने वाले समय में लोग पानी के लिए तरस जाएंगे।
शहर में अवैध बोरिंग्स ने ग्राउंड वाटर चूस कर हालात ये कर दिया है कि भू-जल का स्तर तेजी से घट रहा है। जल संस्थान के ट्यूबवेल को पूरा डिस्चार्ज नहीं मिल पा रहा है। जिसका खामियाजा मोहल्लों के अंतिम छोरों पर रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है। शहर के 69 ऐसे एरिया हैं, जहां ग्राउंड वाटर नीचे चला गया और जल संस्थान तक ट्यूब वेल्स से भी पानी नहीं पहुंच पा रहा है।
बेरोकटोक अवैध बोरिंग
शहर और आस-पास के क्षेत्रों में अवैध रूप से चल रहे बोरिंग पर कोई नकेल ही नहीं कसी जा रही है। जल संस्थान यह कहकर मजबूरी जता देता है कि राज्य में जल-नीति नहीं है। ऐसे में इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। जल-नीति बनाने पर कोई खास कवायद होती नहीं दिख रही है। पहले इस जल नीति संबंधी नियम-क़ायदे तय करने का जिम्मा जल संस्थान को दिया गया था। संस्थान की ओर से ये काम लगभग पूरा कर दिया गया था लेकिन अचानक काम सिंचाई विभाग को दे दिया गया।
ग्राउंड वाटर लेवल डाउन होने से जल संस्थान के ट्यूबवेल्स को पूरा डिस्चार्ज नहीं मिल पा रहा है। इसका खामियाजा मोहल्लों के अंतिम छोरों पर रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ रहा है। लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है। जल संस्थान के सीजीएम एसके शर्मा का कहना है कि जल-नीति न होने से बोरिंग पर कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। सेंसिटिव एरियाज में वाटर सप्लाई के लिए संस्थान ने पूरी तैयारी कर ली है।
बढ़ते जा रहे सेंसेटिव एरिया
जल संस्थान की सेंसिटिव एरियाज की लिस्ट में ऐसे एरियाज के नाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जहां पानी नहीं पहुंच पा रहा है। जगह-जगह बोरिंग होने से ट्यूबवेल्स का डिस्चाॅर्ज घटता जा रहा है। ऐसे में पानी मोहल्लों के अंतिम छोरों तक नहीं पहुंच पा रहा है। यही नहीं प्रेशर बढ़ाने के लिए उपयोग किये जाने वाले ओवरहेड टैंकों तक से पानी अंतिम छोरों तक नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे क्षेत्रों को संवेदनशील क्षेत्र घोषित करते हुए यहां के लिए विशेष इंतजाम किये गये हैं।
देहरादून के 67 इलाके ऐसे हैं जो पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं और उनको सेंसटिव एरिया में रखा गया है। जिसमें लक्खीबाग, रामनगर, चकराता रोड, पित्थूवाला, नई बस्ती आदि एरिया आते हैं। वहीं 25 ऐसे एरियाज हैं जिन्हें लो-प्रेशर की लिस्ट में रखा है। जिसमें नालापानी रोड, डांडानूरी, सुमननगर और कौलागढ़ जैसे एरियाज आ रहे हैं।
अवैध बोरिंग का काला कारोबार
अवैध बोरिंग कर निकाले गये पानी को बेचा जा रहा है। पानी की कमी से जूझ रहे लोग इस पानी को पी रहे हैं लेकिन ये हानिकारक हो सकता है। क्योंकि न तो इसमें गुणवत्ता है न ही इसका क्लोरीनेशन होता है। ऐसे में सीधे-सीधे लोगों को बीमारी बांटी जा रही हैं। जल संस्थान की ओर से दिए जाने वाले पानी की क्लोरीनेशन के बावजूद इस पर अक्सर सवाल खड़े हो जाते हैं। यही नहीं बिल्डर्स बोरिंग का पानी निर्माण कार्यों में उपयोग करते हैं।
एसडीएम ने मांगी रिपोर्ट
शहर भर में चल रहे अवैध बोरिंग को लेकर एसडीएम ने पटवारियों से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा है कि शहर भर में देखा जाए कि कहां-कहां अवैध बोरिंग का काम किया जा रहा है। एसडीएम सदर कमलेश मेहता ने कहा, पटवारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। इसके बाद इस पर कार्रवाई की जाएगी।
ग्राउंड लेवल अब इतना गिर गया है कि हैंडपंप भी सूख गये हैं। देहरादून शहर के प्रेमनगर इलाके में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पीने के पानी के लिए हजारों रुपए खर्च कर ट्यूबवेल लगाये थे लेकिन अब वो बंजर हैं। उससे पानी तो मिलना दूर, पानी की बूंद तक नहीं टपकती है। प्रेमनगर इलाके के क्षेत्रवासियों ने छावनी परिषद को पत्र लिखकर जानकारी दी है कि हैंडपंप पूरी तरीके से सूख गये हैं।
शह देने का आरोप
विमला शर्मा, एसके रावत, एलपी नौटियाल, पीएस रावत आदि ने शिकायत दर्ज करवाकर कहा है कि आम जनता के लिए इन इलाकों में जो हैंडपंप लगाये थे, उन पर मोटर लगाकर हाॅस्टल संचालकों ने अपने कब्जे में ले लिया है। जिसके कारण आम लोग इलाकों में पानी को तरस रहे हैं। आरोप है कि अधिकारियों और नेताओं की शह पर ये खेल चल रहा है और हैंडपंप कब्जे में लिए हुए है।
मोटर लगाने से सूख गये पंप
शिकायतकर्ताओं ने छावनी परिषद से इनकी जांच कर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जिन इलाकों में ये हैंडपंप सूख गए हैं और जिन पर मोटर लगाया गया है, उनमें प्रेमनगर छावनी परिषद विंग नंबर एक गणपति हाॅस्टल के पास, विंग नंबर भूसा स्टोर के पास, विंग नंबर दो शिवपुरी और ठाकुरपुर रोड पेट्रोल पंप के पास शामिल हैं। हैंडपंप से पीने का पानी न मिलने के कारण स्थानीय लोगों में खासा आक्रोश है और उनके आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है।
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