आत्मनिर्भरता की इबारत लिख रहा है भारत का एक गाँव

आत्मनिर्भरता की इबारत लिख रहा है भारत का एक गाँव
आत्मनिर्भरता की इबारत लिख रहा है भारत का एक गाँव

वीओ- मध्यप्रदेश का एक छोटा सा गाँव नवादपुरा इन दिनोंआत्मनिर्भर भारत की एक ऐसी इबारत लिख रहा है जो शायद पूरे भारत के लिए एक नज़ीर बन सकती है। गाँव के ही एक गाय प्रेमी दम्पत्ति के नवाचारों से गाय पालने वाले कई आदिवासी परिवारों में दीवाली से पहले ही खुशियाँ जगमगा रही हैं। गाय के गोबर को फेंकने के बजाए उससे दीये बनवाने की एक नई पहल शुरु की गई।   

वीओ बाइट- महिला- हमारी ज़िंदगी को रोशनी से भर दिया है।

वीओ- करीब तेरह सौ की आबादी वाले धार जिले के छोटे से गाँव नवादपुरा में क़रीबआधी आबादी गरीब आदिवासियों की है। ज्यादातर ये भूमिहीन परिवार संघर्ष के बावजूद गायों को पाल रहे हैं। गाँव के एक  नौजवान कमल पटेल के जेहन में यही बात घर कर गई। कमल और उनकी पत्नी संगीता ने फैसला किया कि गायों को बचाने वाले इन आदिवासियों के लिए ऐसा कुछ किया जाए जिससे इन्हें संबल मिल सके।

वीओ- कमल पटेल (मैं गायों से बहुत प्यार करता हूँ.....)

वीओ- इंटरनेट से गाय के गोबर से दीये बनाना सीखा। कंडे को पिसने वाली मशीन बुलवाई। गाँव के 25 आदिवासी परिवारों को चुना गया। पत्नी ने ट्रेनिंग देना शुरु किया। गाय के गोबर से पहले कंडे तैयार किए गए। इन्हें पिसा गया। गौमूत्र, मुलतानी मिट्टी डालकर पेस्ट तैयार किया।

वीओ बाइट- संगीता पटेल- कमल पटेल की पत्नी

वीओ- सांचे बुलवाए और तैयार हो गए गाय के गोबर से बने शुद्ध और सात्विक दीये। इन दिनों गाँव में घरों से लेकर गलियों और चौपालों तक दीये बनाने का ये नजारा किसी ग्रामोद्योग की तरह का दिखाई दे रहा है।

एंबियंस- गाना गाते हुए (रात के अंधेरे में)

वीओ- दीवाली से पहले अब इन गरीब आदिवासियों को मज़दूरी के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। गाँव में ही स्वरोजगार के  अवसर से यह गाँव स्वावलंबी बन चुका है।

वीओ बाइट- अब मज़दूरी के लिए नहीं जाना पड़ेगा।

वीओ- बात सिर्फ दीयों के बनाने तक की नहीं है। बड़ा सवाल यह था कि इन दीयों को खरीदेगा कौन। इसके लिए इसी नौजवान कमल पटेल ने प्रत्येक गाय के हिसाब से 500 दीये खरीदने की ग्यारंटी दी है। एक दीये के बदले चार रुपए मिलेंगे। इससे एक गाय पर दो हजार रुपए की आमदनी सुनिश्चित की गई है। एक परिवार में पाँच गायें हैं तो उसे सीधे दस हजार रुपए का मुनाफा। कमल पटेल अपने सांवरिया फाउंडेशन के बैनर तले गाय के गोबर से बने इन दीयों और गाय के घी की बाती के साथ इन पैकेट्स की मार्केटिंग कर  इन्हें बाजार में ला चुके हैं। कमल का मकसद मुनाफ़ा नहीं बल्कि गौ पालकों को गाय पालने के प्रति बढ़ावा देना है।   

वीओ बाइट- कमल पटेल (पीले कुर्ते में)वीओ- एक नौजवान की इच्छाशक्ति ने इन आदिवासियों के घरों को जगमाते दीयों की रोशनी की चमक से रोशन कर दिया।  नवादपुरा की तरह ही भारत का हर गाँव आत्मनिर्भर बने यही सपना तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आँखों में भी बसा है।

यह फिल्म मध्यप्रदेश के प्रतिष्ठित प्रोडक्शन हाउस ‘द टेलीप्रिंटर’ ने तैयार की है। ‘द टेलीप्रिंटर’ सरकारी एंव ग़ैर सरकारी संगठनों के लिए किफ़ायती दाम पर बेहतर गुणवत्ता वाली शॉर्ट फ़िल्म और डॉक्यूमेंट्री तैयार करता है। आप इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं- 9425049501

 

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Post By: Shivendra
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