अर्जेंटीना में जल-सहकारिता

निजीकरण का पेंडुलम वापस लौटा


बीसवीं सदी के दौरान अर्जेंटीना में पानी और सफाई सेवाओं की आपूर्ति निजी से सार्वजनिक क्षेत्र में जाकर फिर वापस लौट आयी। 19वीं सदी के अंत में कालरा महामारी के परिणामस्वरूप बड़े शहरों में निजी जल प्रबंधन को काफी बढ़ावा मिला लेकिन 1940 के दशक में पानी सार्वजनिक हो गया। एक राष्ट्रीय जल सेवा कम्पनी (ओब्रास सैनीटारियास दे ल नात्सिओं) स्थापित की गयी जो पूरे देश को सेवाएं देती थी। 1980 के दशक की सैनिक तानाशाही के दौरान यह कम्पनी क्षेत्रीय सेवाओं में बंट गयी जैसे सांता फे में डाइ पोस, कोरदोबा में ईपोस (बाद में इसका नाम बदल कर दास डी ए एस हो गया) तथा संघीय राजधानी (फेडरल कैपिटल) और ब्यूनोज आयर्स में ओएसएन।

1990 के दशक में चली निजीकरण की नयी लहर ने एक अकेले पराराष्ट्रीय निगम स्वेज ल्योनेज के लिए (एक स्थानीय वित्तीय संचालक बांसो दे गैलीसिया के साथ मिलकर) यह संभव बना दिया कि वह नये उभर रहे बाजार की मलाई उतार ले और अर्जेंटीना के सबसे आकर्षक ठेके हासिल कर ले। 1993 में स्वेज को ब्यूनिस आयर्स के लिए रियायतें मिल गयीं (संघीय राजधानी तथा 1993 में ब्यूनिस आयर्स क्षेत्र के शहरी इलाके के 17 अन्य हिस्से)। 1995 में उसे सांता फे प्रांत (रोजारियो, सांता फे और 13 अन्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण नगर, केवल विनादो त्यूरेतो अपवाद था जहां इस कंपनी के लिए मुनाफा कमाने से पहले निवेश करना जरूरी था) और 1997 में कोरदोबा (कोरदोबा प्रांत की राजधानी) मिल गया। यहां यह उल्लेखनीय है कि विनादो त्यूरेतो शहर के जल संजाल को एक स्थानीय सहकारिता ने सांता फे प्रांत के अन्य 15 शहरों में स्वेज की एक सहायक कंपनी (अगुअस प्रोविंसिएल्स दे सांता फे एस.ए.) ने जितना समय लगाया था उससे कहीं कम समय में स्थापित कर दिया और उसका प्रबंधन भी कहीं कम दर पर किया।

पानी की एक और बड़ी अंतर्राष्ट्रीय कंपनी वेओलिआ (पहले इसका नाम विवेन्डी था) भी इस काम में लगी है हालांकि उसका कार्यक्षेत्र छोटा है। वेओलिआ को कैटामार्का प्रांत में जल रियायतें प्राप्त हैं लेकिन यह कंपनी फेडरल कैपिटल तथा ब्यूनिस आयर्स प्रांत के 17 अन्य जिलों में स्वेज द्वारा नियंत्रित कम्पनी अगुआस अर्जेंटीनस एस.ए. में एक छोटी हिस्सेदार भी है। (निवासियों की संख्या के मद्देनजर यह विश्व की सबसे बड़ी जल रियायत है)। इससे पता चलता है कि पानी के बाजार में प्रतिद्वंद्विता की बात एक छलावा है।

अर्जेंटीना में निजीकरण के अनेक अनुबंध रद्द किये जा चुके हैं। उदाहरण के लिए तुकुमान प्रांत में विवेंडी/वेओलिआ को मिली रियायतें। एक अन्य उदाहरण है ब्यूनिस आयर्स प्रांत में मिली अंतर्देशीय रियायत का खात्मा। पहले यह सेवा अब ध्वस्त हो चुके महाकाय निगम एनरॉन की पानी और सफाई शाखा आजुरिक्स द्वारा चलाई जा रही थी। (देखें ‘‘अर्जेंटीना : एनरान के बाद के परिदृश्य पर मजदूरों की सहकारिता का नियंत्रण’’)। कुछ अन्य स्थानीय निजी कम्पनियां भी यहां काम कर रही हैं जैसे कि रिओजा, साल्ता और कोरिएंतेस प्रांतों में कार्यरत कम्पनियां।

अर्जेंटीना में सहकारिता आंदोलन


बीसवीं सदी के दौरान अर्जेंटीना का बहुत शक्तिशाली कृषीय सहकारिता आंदोलन सार्वजनिक सेवाओं जैसे अन्य क्षेत्रों में भी पहुंचा। ऐसा प्रायः शहरों के रूप में विकसित होने वाले गांवों की बदलती जरूरतों के कारण हुआ।

पानी और सफाई सहकारिताएं 1960 और 1970 के दशक में बहुत शक्तिशाली ढंग से विकसित हुईं और अब अर्जेंटीना के 50000 से कम आबादी वाले अधिकतर शहरों में पानी और सफाई सेवाओं की जिम्मेदारी इन्हीं सहकारिताओं पर है। शहरों में पानी की आपूर्ति का 60 प्रतिशत निजी हाथों में है (इनमें से अधिकतर का संचालन अंतर्राष्ट्रीय निगम करते हैं) जबकि क्रमशः 20 प्रतिशत और 11 प्रतिशत (जिसका अर्थ है 40 लाख से ज्यादा लोग) की आपूर्ति नगरपालिका की सार्वजनिक सेवाओं और सहकारिताओं द्वारा होती है। शेष पानी की आपूर्ति प्रांतीय संस्थाओं और विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता संघों द्वारा की जाती है।

1990 के दशक के बीच के वर्षों की निजीकरण प्रक्रिया में सहकारिता आंदोलन को न केवल एक विकल्प के रूप में भागीदारी करने की संभावना से वंचित किया गया बल्कि उसे प्रभावशाली ढंग से बाहर कर दिया गया। प्रभावित शहरों के उपयोगकर्ताओं और स्थानीय अधिकारियों के विचारों पर कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। मौजूदा कम्पनियों के पुनर्गठन और उनके नवीनीकरण की संभावना पर विचार ही नहीं किया गया। वस्तुतः, सांता फे प्रांत में निजीकरण के 11.220 अधिनियम का अनुच्छेद 18 कहता है कि ‘‘रियायत पाने वाले के चयन के लिए अधिनियम 10.798 के अनुच्छेद 31 की वरीयताएं लागू नहीं होतीं।’’ इसका अर्थ था कि व्यवहार में नगरपालिका, समुदाय, सहकारिताओं, उपयोगकर्ताओं अथवा जल संघों और छोटी जल कम्पनियों को खारिज कर दिया गया था।

निजीकृत जल रियायतों वाले अनेक शहरों की सीमा ऐसे शहरों से लगी हुई है जहां बढ़िया काम करने वाली ऐसी जल और स्वच्छता सहकारिताएं कार्यरत हैं जो इन शहरों की इन सेवाओं को भी बखूबी चला सकती थीं। अवेलानेदा शहर, जिसकी सीमा एक ओर से सांता फे प्रांत के उत्तर में स्थित रेकनक्विस्ता से मिलती है, ऐसा एक उदाहरण है जहां सरकार ने स्पष्ट रूप से एक अकेली अंतर्राष्ट्रीय कम्पनी स्वेज को फायदा पहुंचाने को प्राथमिकता दी। निजीकरण की दिशा में एक कदम के रूप में स्थानीय राजनीतिक अधिकारियों द्वारा अनेक सहकारिताओं को सेवा प्रदान करने से रोका गया है (उदाहरण के लिए रोजारियो के निकटवर्ती फ्यूनेस शहर में), और कुछ अन्य सहकारिताओं को, जो बिजली या टेलीफोन जैसी सेवाएं प्रदान करने का काम पहले से कर रही थीं, पानी और सफाई सेवाएं भी शामिल कर सकने के लिए अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करने की अनुमति कभी नहीं दी गयी।

फिर भी, जल सहकारिताएं और स्थानीय समुदाय तथा निकटवर्ती क्षेत्रों द्वारा संचालित सुविधाएं निजीकरण की नीतियों के रास्ते में अवरोध बन सकीं, इसके दो कारण हैं। पहला, बड़ी कम्पनियों को जिस पैमाने पर अपने मुनाफे चाहिए (अपने मूल देशों की तुलना में अन्य देशों में यह पैमाना बहुत ऊँचा होता है) उसकी उत्पादन बढ़ा कर लागत घटाने वाली अर्थव्यवस्थाएं, और दूसरा, छोटे समुदायों द्वारा उन सुविधाओं को छोड़ने के लिए मजबूर किये जाने पर किया गया बहुत जबर्दस्त प्रतिरोध, जिनका निर्माण उनके संयुक्त प्रयासों से हुआ था और जिन पर जनता अपना स्वामित्व समझती थी।

प्रांत के विभिन्न हिस्सों से लगभग 2000 जल सहकारिताएं अक्टूबर 2000 में ब्यूनिस आयर्स में मिलीं और मार्च 2001 में उन्होंने ब्यूनिस आयर्स प्रांत की पेयजल सहकारिताओं के महासंघ (एफ ई डी ई सी ए पी)2 की स्थापना की। इसके तुरंत बाद प्रांतीय सरकार ने कर्मचारियों की सहभागिता के साथ उस जल सुविधा पर फिर से नियंत्रण स्थापित कर लिया जिसे पहले एनरॉन द्वारा नियंत्रित कंपनी अजुरिक्स चला रही थी (देखें ‘‘अर्जेंटीनाः एनरान के बाद के परिदृश्य पर मजदूरों की सहकारिता का नियंत्रण’’)। ये घटनाएं सार्वजनिक क्षेत्र और सामाजिक नियंत्रण की वापसी की दिशा में बढ़ाये गये एक मजबूत कदम की प्रतिनिधि हैं।

दूसरी ओर, सांता फे प्रांत में स्वच्छता सेवाओं को नियंत्रित करने वाले विनियामक निकाय (एनरेस) का रुख 114 जल सहकारिताओं, आठ नगरपालिका सुविधाओं और 76 समुदाय कम्पनियों के प्रति बहुत कठोर और दुराग्रह भरा था जबकि इनमें से अनेक निजीकृत कम्पनियों के मुकाबले बेहतर गुणवत्ता वाली सेवाएं उनसे कम दाम पर प्रदान करती हैं। एनरेस निजीकृत कम्पनियों के जुर्माने माफ कर और शुल्कों की दर बढ़ाकर निजीकृतकम्पनियों के हित साधने के लिए दृढ़संकल्प लगता है। निरीक्षणकर्ता निकाय जल सहकारिताओं पर बहुत दबाव डालते हैं ताकि ये सहकारिताएं मजबूर होकर आपूर्ति की वे ही शर्तें मान लें जिन्हें निजीकृत कम्पनियां मानती हैं। इससे उनके प्रमुख तुलनात्मक लाभों में से एक यानी उपभोक्ताओं के प्रति एक अधिक सामाजिक रवैये को नुकसान पहुंचता है। सहकारिताओं पर इस बात का दबाव है कि वेः

• नये कनेक्शनों का दाम बढ़ायें अब तक सहकारिताएं निजी कम्पनियों की तुलना में नया कनेक्शन कम दाम पर देती रही हैं।
• अनिवार्य कनेक्शन और खाली जगहों व घरों के लिए भी भुगतान लेने की नीति लागू करें। अब तक अनेक सहकारिताएं ऐसा नहीं करती थीं अथवा इसके लिए केवल प्रतीकात्मक दरें लेती थीं।
• बिल की कुल धनराशि बढ़ायें। इसके लिए चाहे वे प्रति क्यूबिक मीटर पानी का दाम बढ़ायें अथवा एक दाम तय करें।
• भुगतान के तरीकों का मानकीकरण करें। सहकारिताओं में भुगतान के तरीके अधिक लचीले हैं।

ऐसा ही दबाव ये विभिन्न निकाय निजीकृत कम्पनियों पर नहीं डालते कि वे पानी और सफाई सबको उपलब्ध कराने के लक्ष्य को पूरा करें। निजीकृत कम्पनियां सूक्ष्ममापन (माइक्रो-मेजरमेंट) का विरोध करती हैं क्योंकि उनका मुनाफा तब और ज्यादा होता है जब वे क्यूबिक मीटरों की राशि पर आधारित अनुमानित उपभोग के अनुसार बिल बनाना जारी रखती हैं।

1990 के दशक की नवउदारवादी विचारधारा ने सहकारिता आंदोलन को सीधे तौर पर भी प्रभावित किया। कुछ सहकारिताओं ने बाजार प्रतिद्वंद्विता की शर्तों के अनुरूप बनने के लिए भाईचारे और सहयोग के बुनियादी विचारों को ही बदल दिया। ऐसा या तो अपना अस्तित्व बचाने के लिए हुआ या फिर बस सत्ताधारी नेतृत्व के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए। यह नेतृत्व कुछ मामलों में परंपरागत राजनीतिक दलों तथा उस नवउदारवादी चिंतन द्वारा सहयोजित कर लिया गया था जो बहस में हावी था। अन्य सहकारिताओं ने अपनी गतिविधियां अन्य क्षेत्रों की ओर मोड़ दीं और सहकारिता आंदोलन के बुनियादी सिद्धांतों को छोड़े बिना अपनी स्थिति मजबूत कर ले गयीं तथा फली-फूलीं।

आगे की चुनौतियां


पानी सहित सभी प्राकृतिक संसाधनों पर प्रांतों का अधिकार है और ये संसाधन उन कानूनी ढांचों से शासित होते हैं जो सभी क्षेत्रों में अलग-अलग हैं। यह बात पानी और सफाई कम्पनियों को अलग-अलग कर दिये जाने के साथ जुड़कर जल संसाधनों के कुशल और टिकाऊ प्रबंधन के सामने गंभीर चुनौतियां पेश करती है। पानी को बिकाऊ वस्तु बनाने की निजीकरण की प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए बनाये गये विधान में भिन्नताएं परस्परविरोधी हैं। उदाहरण के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में गुणवत्ता के मानक अलग-अलग हैं। अंततः यह अर्जेंटीनावासियों को प्रथम श्रेणी (जिनका गुणवत्ता स्तर यूरोप अथवा अमेरिका के स्तर जैसा है) और द्वितीय श्रेणी के नागरिकों में बांट देता है।

जल सहकारिताएं पानी की गुणवत्ता सम्बंधी समस्याओं का सामना करती हैं जैसे आर्सेनिक प्रदूषण जो ब्यूनिस आयर्स के उत्तर में, कोरदोबा के उत्तरी भाग में तथा सांता फे के दक्षिण में बहुत आम समस्या है। अन्य समस्याओं में है कृषि से आने वाला प्रदूषक तत्व जहां कीटनाशकों का और कठोर जल का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसके अतिरिक्त, अनेक सहकारिताओं के लिए बेकार पानी का संग्रह और द्वितीयक शोधक केंद्रों के बुनियादी ढांचों के लिए वित्त प्रबंधन भी एक बड़ी बाधा है। अनेक सहकारिताओं ने छोटे, रिवर्स आस्मोसिस संयंत्र रखना पसंद किया है जिनसे वे घरेलू इस्तेमाल के लिए बैरलों में परिवार का कोटा वितरित कर सकते हैं और संजाल के पानी को अन्य इस्तेमाल के लिए बचा कर रख सकते हैं। मुख्य नदियों से निकाली गयी कृत्रिम जल प्रणालियां बनाना ही इन समस्याओं का एकमात्र समाधान है।

सहकारिताएं अपने विस्तार के लिए सार्वजनिक धन पर निर्भर हैं। इतने वर्षों के दौरान उन्हें इंटर अमेरिकन डेवलपमेंट बैंक (आईएडीबी) का सहारा भी मिलता रहा है, पहले तथाकथित स्पार (ग्रामीण पेयजल और स्वच्छता के लिए प्रांतीय सेवा) के माध्यम से और अभी हाल में इनोहसा (पानी और स्वच्छता कार्यों के लिए राष्ट्रीय निकाय) से जो फेडरेल कौंसिल फॉर सैनिटेशन के साथ मिलकर तकनीकी और वित्तीय सहायता देता है।

निष्कर्ष


नवउदारवाद के 15 वर्षों के बाद अब अर्जेंटीना में एक सार्वजनिक क्षेत्र का पुनर्निर्माण करने में लंबा समय लगेगा। निजीकरण का हमारा विकल्प है सार्वजनिक स्वामित्व वाली और सार्वजनिक प्रबंधन वाली जल सुविधाएं, जहां निर्णय करने में उन लोगों की भागीदारी हो जो पानी का इस्तेमाल करते हैं। यह विकल्प विविध रूप ले सकता है जिसमें सहकारिताएं भी शामिल हैं।

अर्जेंटीना की जल सहकारिताएं इस क्षेत्र को बिकाऊ माल बना दिये जाने के मुकाबले एक यथार्थवादी वैकल्पिक मॉडल प्रस्तुत करती हैं। साफ तौर पर, सहकारिताओं को बहुत आदर्श रूप नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसे उपयोगकर्ताओं की संख्या, जो भागीदारी के विकल्प का इस्तेमाल वास्तव में करते हैं, प्रायः कम होती है। फिर भी, वे बड़ी, निजी कम्पनियों की तुलना में औसत नागरिक के काफी करीब और लोकतांत्रिक नियंत्रण और दबाव के अधीन हैं।

सहकारिताओं ने प्रदर्शित कर दिया है कि 50 हजार से कम आबादी वाले शहरों में वे कुशलतापूर्वक सेवाएं प्रदान कर सकती हैं, उनकी सेवाएं उत्कृष्ट कोटि की हैं और उनकी कीमतें अधिक पहुंच में हैं। वे अब तक हाशिये पर रखी गयी हैं लेकिन आशा है कि भविष्य में बड़े नगरों में एक गंभीर विकल्प के रूप में उन पर विचार किया जायेगा।

अल्बर्टों डी. म्यूनोज उपयोगकर्ता और उपभोक्ता संघ (यूनियन दे यूजुअरिओस य कंजूमिदोरस) तथा पानी के अधिकार के लिए प्रांतीय सभा (अजाम्बिलया प्रोविंसियल पोर एल देरेको अल अगुआ), रोजारियो, सांता फे, अर्जेंटीना के साथ कार्यरत हैं।

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