![श्यामसर तालाब](https://farm4.staticflickr.com/3899/14986432332_8331b9ba1c_o.jpg)
कसबे के बीच से तंग गलियों से गुजरकर हम लोगों से पूछते-पूछते श्यामसर तालाब पंहुचे। समृद्ध जल परंपरा वाले हरियाणा में जिस तरह ऐतिहासिक तालाबों ने दम तोड़ा है, उनमें से सबसे अधिक दर्दभरी कहानी है चरखी दादरी के श्यामसर तालाब की।दादरी कस्बे के एकदम बीच स्थित इस तालाब पर हम स्नान करने की उम्मीद से कतई नहीं गए थे।
लेकिन सेठों-साहूकारों के दादरी का तीर्थस्थल श्यामसर अब कूड़ाघर होगा इसकी हमें तनिक भी आशंका नहीं थी। और वह इसलिए भी नहीं थी कि श्यामसर के चारों तरफ मंदिर ओर 8 कुएं हैं। फोगाट गौत्र के जाटों के 12 और उनके भाईचारे के 7 गांव आज भी अपने दुधारू पशु का दूध या दही सबसे पहले यहां चढ़ाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जिसने भी इसका पालन नहीं किया, उसका पशु दूध नहीं देता। यहां भारतीय कैलेंडर के हिसाब से बारहों मास मेले लगते हैं। गूगा, हनुमान और बाबा स्वामीदयाल के मेलों में एक लाख से अधिक लोग जुटते हैं। लेकिन श्यामसर तालाब में अब कई टन कचरा पड़ा है और सब धौंक मारकर मुंह फेरकर चले जाते हैं।
लगभग 40 फुट गहरे इस तालाब में 25 फुट तक सड़ांध मारता पानी खड़ा है। हमारे आग्रह पर कड़ी धूप में तालाब दिखाने वाले रिंपी फोगाट बताते हैं, शहर के कई मोहल्लों की नालियों का कचरा अब सीधा इस तालाब में गिरता है। यहां तक कि नगरपालिका ने अपने कई सीवेज का मुंह श्यामसर में कर रखा है।
![श्यामसर तालाब](https://farm6.staticflickr.com/5566/14800236167_6eaa241321_o.jpg)
श्यामसर की चारदीवारी अब धीरे-धीरे खत्म होने लगी है। दीवारें इतनी चौड़ी हैं कि इन पर मारुति कार दौड़ सकती है। इसकी दीवारों में कलियाणा पहाड़ का नीला और कई जगह भूरे रंंग का पत्थर लगा है। इसके चारों ओर बने आठ कुओं में से 7 जवाब दे चुके हैं। एकमात्र अनुसूचित जनजाति की ग्वारिया बस्ती के सामने वाला कुआं बचा है और यह भी यहां के लोगों की बदौलत, जो रोज इससे सैकड़ों बाल्टी पानी रोज निकालते हैं।
तालाब के चारों ओर स्थित मंदिरों के भीतर बने चार कुओं में से तीन का पता ही नहीं। परशुराम ब्राह्मण भवन में एक कुआं भवन के रूप में ज्यों-का-त्यों हैं। रिंपी बताते हैं, ‘इनमें से एक गणेश मंदिर के निकट वाला कुआं पाट दिया गया है। इसके पानी का बड़ा हिस्सा तकरीबन 7-8 किलोमीटर दूर कलियाणा पहाड़ से आता था। पहाड़ से तालाब तक पानी आने के लिए कच्चा रास्ता था।’ बुजुर्ग रणधीर सिंह बताते हैं, ‘पहाड़ के ऊपर से आने वाले पानी में देसी जड़ी-बूटियों का रस घुला होता था। इसीलिए यहां का पानी बहुत सारी बीमारियों का इलाज भी करता था।’
सरोवर का इतिहास कितना पुराना है, इसका कोई प्रामाणिक रिकार्ड नहीं हैं। श्यामसर तालाब के निकट रहने वाले 60 साल के हरिसिंह के मुताबिक, उनके दादा बताते थे, इस तालाब का इतिहास भी उतना ही पुराना है जितना कि यहां फोगाट गोत्र के जाटों के बसने का। इस तालाब का निर्माण दिल्ली का सीताराम बाजार बनाने वाले लाला सीताराम ने किया था।
![श्यामसर तालाब](https://farm6.staticflickr.com/5559/14800172658_2e29a4c624_o.jpg)
नरक जीते देवसर (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें) | |
क्रम | अध्याय |
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3 | पहल्यां होया करते फोड़े-फुणसी खत्म, जै आज नहावैं त होज्यां करड़े बीमार |
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6 | |
7 | |
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11 | जिब जमीन की कीमत माँ-बाप तै घणी होगी तो किसे तालाब, किसे कुएँ |
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16 | सबमर्सिबल के लिए मना किया तो बुढ़ापे म्ह रोटियां का खलल पड़ ज्यागो |
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20 | पाणी का के तोड़ा सै,पहल्लां मोटर बंद कर द्यूं, बिजली का बिल घणो आ ज्यागो |
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Post By: Shivendra