नेपाली किशोरियाँ भूकम्प से बचीं तो सेक्स रैकेट के चंगुल में फँस गर्इं। आगरा में ऐसी ही तीन मजबूर लड़कियों को पुलिस ने मुक्त कराया तो मानव तस्करी का भेद खुल गया।
आगरा का कश्मीरी गेट। अचानक पुलिस के ताबड़तोड़ छापे पड़ते हैं। तीन कोठों से 10 लड़कियाँ पकड़ी जाती हैं, जिनमें किशोरवय उम्र की तीन नेपाली बालाएँ हैं। उनकी आप बीती सुन कठोर हृदय पुलिस अधिकारियों की आँखें भी नम हो चलीं। वे बताती हैं कि कैसे भूकम्प पीड़ित परिवारों को मदद का झाँसा देकर लड़कियों की तस्करी की जा रही है।नेपाल में भूकम्प के बाद कई शहरों में अभी तक मदद नहीं पहुँच पाई है। हजारों परिवार कैम्प में रह रहे हैं। शिविरों में आगरा समेत कई जगहों से दलाल पहुँचते हैं, जो पहले राहत सामग्री देते हैं, फिर उन्हें झाँसे में लेते हैं। वे बताते हैं कि उनके पास 14 से 20 साल की लड़कियों के लिये बच्चों की देखभाल करने जैसे कई काम हैं। रहने को घर भी मिलेगा। झाँसे में आकर बेघर नेपाली लोग अपनी लड़कियों को भेज देते हैं। नौकरी दिलाने के नाम पर नेपाल से छह लड़कियों को आगरा लाया गया और उन्हें जबरन देह व्यापार के नर्क में धकेल दिया गया।
कोठों से मुक्त कराई गर्इं ये किशोरियाँ नेपाल के नुआकोठ और सिंधुपाल चौक की रहने वाली हैं और इन दोनों जिलों में भूकम्प से भारी तबाही हुई है। भारतीय पुलिस की सख्ती से निष्क्रिय पड़े मानव तस्कर और दलाल नेपाल में 25 अप्रैल के प्रलयंकारी भूकम्प के बाद फिर सक्रिय हो गए। सामाजिक संस्था रेस्क्यू फाउंडेशन की दिल्ली शाखा के जाँच अधिकारी संतोष सेधाई ने ऐसी ही छह नेपाली लड़कियों को बेचे जाने की सूचना आगरा पुलिस को दी थी, जिस पर पुलिस ने कार्रवाई की। बाकी तीन लड़कियों का अब भी कोई पता नहीं है। आशंका है कि छापेमारी की सूचना पर उनको दूसरे कोठों पर भेज दिया गया। संस्था के पास दिल्ली, मुम्बई के साथ उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और मेरठ में भी नेपाली लड़कियों को बेचे जाने की सूचना है, जिन्हें यूपी के सोनौली (महाराजगंज), बिहार के रकसौल के साथ नेपाल के बहरवा और वीरगंज की सीमा से भारत लाया गया है।
भारत और नेपाल की 1,751 किलोमीटर लम्बी सीमा में यूपी के बहराइच की 110 किमी खुली सीमा मानव तस्करों और दलालों के लिये सर्वाधिक मुफीद साबित हो रही है। पीड़ित परिवार रोजगार की तलाश में बहराइच के जरिए लखनऊ, दिल्ली, मुम्बई आदि शहरों में पलायन कर रहे हैं, जिसका फायदा उठाने के लिये 17 मानव तस्कर सक्रिय हो उठे हैं। बाल अधिकारों के लिये काम कर रही संस्था डेवलपमेंट एसोसिएशन फॉर ह्यूमन एडवांसमेंट (देहात) ने इन तस्करों के नाम व पूरी जानकारी पुलिस को सौंपी है, जिसके मुताबिक रामगाँव में छह, गोंडा में चार, रुपईडीहा में दो और नानपारा, मुर्तिहा, दरगाह, खैरीघाट व छोटी बाजार में एक-एक मानव तस्कर सक्रिय है। एक रिपोर्ट के मुताबिक मानव तस्कर नेपाल से करीब 500 बच्चों को मुम्बई और दिल्ली में बेच चुके हैं। अधिकारियों के अनुसार ये तस्कर नेपाली लोगों को यह झाँसा दे रहे हैं कि भारत सरकार कई योजनाएँ चला रही है और इन स्कीमों में ही उनके बच्चों को नौकरी दिलाई जाएगी।
बिहार के पूर्वी चम्पारण जिले के वरिष्ठ श्रम अधिकारी संजीव कुमार बताते हैं, ‘हमने 20 दिनों में मानव तस्करों के चंगुल से 26 बच्चों को मुक्त कराया है।’ कोलकाता भी महिलाओं की खरीद-फरोख्त का बड़ केन्द्र बना हुआ है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर से नेपाली युवतियों को बेहतर नौकरियों का लालच देकर लाया जा रहा है नेपाल सरकार के भारत को सूचित करने के बाद उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने अलर्ट जारी किया है।
दरअसल, भारत के दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, लखनऊ और पटना जैसे कई बड़े शहरों में घरेलू काम के लिये नेपाली महिलाओं और बच्चों की भारी माँग है। कई प्लेसमेंट एजेंसियाँ भी इस गैरकानूनी काम में लगी हैं। एजेंट माता-पिता को पढ़ाई, बेहतर जिन्दगी और पैसों का लालच देकर उनके बच्चों को लाते हैं, मगर उन्हें स्कूल भेजने के बजाय र्इंट भट्टों पर, कारपेंटर, घरेलू नौकर या छोटे कारखानों में काम करने के लिये बंधुआ मजदूरी की सुरंग में धकेल देते हैं।
नेपाली लड़कियों को उन क्षेत्रों में शादी के लिये भी मजबूर किया जाता है, जहाँ लड़कियों का लिंगानुपात लड़कों के मुकाबले बहुत कम है। महिला आयोग की एक रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख है कि इन महिलाओं और लड़कियों की गरीबी का फायदा उठाकर काम देने के नाम पर 20-25 हजार रुपए में उनका सौदा किया जाता है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के एक अधिकारी कहते हैं, ‘सीमापार से आने वाली महिलाओं को देखकर यह पता लगाना मुश्किल है कि कौन घुसपैठिया है और किसको तस्करी के जरिए यहाँ लाया जा रहा है।’ कई गैर सरकारी संगठनों की रिपोर्ट कहती है कि नेपाल और भारत में सर्वाधिक मानव व्यापार वेश्यावृत्ति के धंधे के लिये हो रहा है और इसमें 60 प्रतिशत 14 से 16 साल की किशोरियाँ हैं।
यूपी के दर्जन भर से अधिक संवेदनशील जिलों में महिला एवं बाल विभाग द्वारा किये गए अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि नेपाल से सटे इलाके धीरे-धीरे महिलाओं की खरीद-फरोख्त का अड्डा बनते जा रहे हैं।
भारत मानव तस्करी का बड़ा बाजार
संयुक्त राष्ट्र संघ की मानव तस्करी शाखा में काम कर चुके एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार नशीली दवाओं और हथियारों के कारोबार के बाद मानव तस्करी विश्व भर में तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है। दुनिया भर में 80 प्रतिशत से ज्यादा मानव तस्करी यौन शोषण के लिये की जाती है और बाकी बंधुआ मजदूरी के लिये। भारत को एशिया में मानव मस्करी का गढ़ माना जाता है।
केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) के एक अधिकारी के मुताबिक देश भर में करीब एक हजार लिस्टेड गैंग मानव तस्करी के धंधे में सक्रिय हैं, हालांकि केन्द्रीय गृह मंत्रालय 225 मानव तस्कर गिरोहों की ही सक्रियता की पुष्टि करता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट कहती है कि 50 हजार से अधिक बच्चे हर साल लापता होते हैं, लेकिन उनमें से 10 हजार का ही पता लग पाता है।
मानव तस्करी पर अंकुश लगाने के लिये अन्तरराष्ट्रीय सीमा से सटे जनपदों में नेपाल से आने वाले लोगों पर पैनी नजर रखने के निर्देश जारी किये गए हैं... देबाशीष पांडा, प्रमुख सचिव गृह, उत्तर प्रदेश
सीमावर्ती जिलों में पुलिस, एसएसबी और जीआरपी मिलकर काम करेंगी। आईजी, डीआईजी को मानव-व्यापार निरोधी अभियान के निर्देश दिये गए हैं… अरविंद पांडे, अपर पुलिस महानिदेश, बिहार
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