भास्कर/ भोपाल, रविवार को बड़े तालाब का नजारा कुछ अलग ही था। हमेशा सैलानियों से भरे रहने वाले तालाब के किनारों पर आज उन लोगों की भीड़ थी जिनमें तालाब की सफाई के लिए जज्बा और जुनून था। यह लोग बड़े तालाब से गाद निकालने के लिए दैनिक भास्कर द्वारा किए गए आह्वान पर वोट क्लब के समीप जुटे थे।
जल ही जीवन है यह नारा रविवार को बड़े तालाब की सूखी पड़ी भूमि पर साकार हो उठा। राजधानी के 37 सरकारी व गैर सरकारी संस्थान के 15 हजार से अधिक लोगों ने यहां कुदालें चला कर पानी के लिए पसीना बहाया।
लोगों की हौसला अफजाई के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी साधना सिंह ने भी डेढ़ घंटे तक शहरवासियों के कंधे से कंधा मिला कर श्रमदान किया। उनके साथसांसद कैलाश जोशी, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर, महापौर सुनील सूद समेत अन्य राजनीतिज्ञ और शासन के आला अफसर मौजूद थे। बड़े तालाब के किनारों पर रविवार को माहौल विशाल मेले जैसे था और लोगों में तालाब की खुदाई के प्रति अपार उत्साह था।
श्रमदान करने वालों में हर आयु वर्ग की महिला और पुरुष शामिल थे। इस दौरान खोदी गई गाद को नगर निगम और जनसहयोग से लाए गए डम्पर के माध्यम से राजधानी के विभिन्न पार्र्को में डलवाया गया। सुबह सात बजे से बोट क्लब के समीप जीवन वाटिका पार्क के पास श्रमदान के लिए लोगों की भीड़ जुटना शुरू हुई और लोगों का जत्थों के रूप में आने का सिलसिला सुबह 11 बजे तक जारी रहा।
मुख्यमंत्री अपने पूर्व निर्धारित समय सवा नौ बजे यहां पहुंचे और उन्होंने भूमि पूजन के बाद श्रमदान शुरू किया। मुख्यमंत्री ने पौने ग्यारह बजे तक श्रमदान किया। मुख्यमंत्री श्रमदान के लिए कितने गंभीर थे इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि वह आज अपने परंपरागत परिधान कुर्ता-पयजामा को त्याग कर श्रमदान स्थल पर ट्रैक सूट पहन कर पहुंचे जिससे उन्हें श्रमदान में परेशानी नहीं हो। इस दौरान उन्होंने अलग संस्थाओं द्वारा की जा रही खुदाई में कुदाल चलाकर सहयोग किया। निगम ने श्रमदान करने वाली संस्थाओं का पूर्व में रजिस्ट्रेशन किया था और उन्हें अलग-अलग स्थानों पर श्रमदान के लिए जगह उपलब्ध कराई। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल से जाने के बाद भी लोगों में उत्साह बना रहा और शाम तक श्रमदान जारी रहा।
मुख्यमंत्री के साथ यहां विधायक ध्रुवनारायण सिंह, विश्वास सारंग, जितेन्द्र डागा, बीडीए के अध्यक्ष सुरेन्द्रनाथ सिंह, नगर निगम अध्यक्ष रामदयाल प्रजापति, रमेश शर्मा, अशोक पांडे, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुरेन्द्र सिंह, नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव राघव चंद्रा, मुख्यमंत्री के सचिव अनुराग जैन, जनसंपर्क आयुक्त मनोज श्रीवास्तव, संभाग आयुक्त पुखराज मारू, निगमायुक्त मनीष सिंह समेत अन्य आला आफसरों ने भी श्रमदान किया।
मुख्यमंत्री हर रविवार करेंगे श्रमदान
मुख्यमंत्री ने प्रति रविवार श्रमदान करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यदि वह भोपाल में रहे तो बड़े तालाब में और प्रदेश में यदि किसी अन्य शहर में रहे तो वहां श्रमदान करेंगे। इसके अलावा उन्होंने बड़े तालाब की सफाई के लिए एक माह का वेतन जनसहयोग के रूप में दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के तालाबों पर अतिक्रमण हो रहे हैं जिसकी वजह से उनमें पानी नहीं पहुंच पा रहा है। अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नर्मदा परियोजना के विषय में मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 सितंबर को हर हाल में नर्मदा का पानी भोपाल पहुंचा दिया जाएगा लेकिन जनता को भी न्यूनतम बिल देने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सड़क, बिजली और पानी की स्थिति सुधारना सरकार की प्राथमिकता है।
महापौर ने दिया एक माह का मानदेय
कार्यक्रम के दौरान महापौर सुनील सूद ने कहा कि बड़े तालाब से गाद निकालने के लिए नगर निगम को श्रमदान के साथ धन की भी जरूरत है। इसलिए मैं अपना एक माह का मानदेय दे रहा हूं। इसके बाद नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर, निगम अध्यक्ष रामदयाल प्रजापति ने भी एक माह का वेतन सहयोग राशि के रूप में दिया।
अल्पवर्षा, अतिक्रमण, प्रदूषण की मारी राजधानी की बड़ी झील की दुर्दशा को देख आखिरकार लोगों का दिल पसीज गया.. भास्कर द्वारा झील को बचाने के लिए किए गए आह्वान पर रविवार को लोगों ने गहरीकरण के कार्य में हाथ बढ़ाए.. नेता, स्कूल-कॉलेजों के विद्यार्थी, कर्मचारी, अधिकारी, शहर और प्रदेश के सामाजिक व अन्य संगठनों ने उत्साह से मिट्टी निकालकर श्रमदान किया।
पेश है इस अभूतपूर्व सामूहिक श्रमदान का आंखों देखा हाल
दलदली भूमि से हुई परेशानी
श्रमदान के दौरान लोगों को दलदली भूमि होने की वजह से परेशानी हुई। एक बार कुदाल मारने पर वह जमीन में फंस रही थी। इसी तरह जिन डम्परों से मिट्टी ढो कर ले जाई जा रही थी उनमें से एक दलदल में फंस गया। इसे निकालने के लिए थ्रीडी मशीन की मदद ली गई तो वह भी फंस गई। फिर अन्य डम्परों की मदद से दोनों को निकाला गया।
रैम्प की ऊंचाई भी बनी परेशानी का कारण
तालाब से मिट्टी निकालने के लिए बनाए गए रैम्प की ऊंचाई बीस फुट से ज्यादा थी और उसका ढाल कम था। खड़ी चढ़ाई होने की वजह से डम्पर को रैम्प पर चढ़ाने के लिए थ्रीडी मशीन का सहारा लेना पड़ा।
ट्रैफिक व्यवस्था बनी बाधक
श्रमदान के लिए पहुंचने वालों को श्यामला हिल्स पर पॉलीटैक्निक चौराहे के समीप रोक लिया गया। यहां से आगे वाहनों का प्रवेश निषेध था। यहां से श्रमदान स्थल तक पहुंचने के लिए लोगों को लगभग डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। जिससे कई लोग वापस लौट गए।
72 सेक्टर बनाए थे निगम ने
श्रमदान के लिए नगर निगम ने 72 सेक्टर बनाए थे और प्रत्येक सेक्टर पर इस बात का उल्लेख किया गया था कि दो फुट से ज्यादा गहरा गड्ढा नहीं खोदा जाए। इससे ज्यादा गहराई तक खोदने पर पानी निकलने की संभावना है।
डाक्टर भी करेंगे हर रविवार को श्रमदान
मध्यप्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ के प्रांताध्यक्ष ललित श्रीवास्तव ने बताया कि बड़े तालाब में श्रमदान के बाद संघ की एक बैठक बुलाई गई जिसमें निर्णय लिया गया कि 30 जून तक लगातार प्रत्येक रविवार को चिकित्सकों के दस परिवार बड़े तालाब जा कर श्रमदान करेंगे। यह लोग अपने साथ श्रमिकों को भी ले जाएंगे।
इन संस्थाओं ने किया श्रमदान
दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान टाइम्स, सांध्य प्रकाश, भारतीय स्टेट बैंक, रोटरी क्लब, एडीबी, नगर निगम की प्रोजेक्ट शाखा, मधुजा संस्था, होटल रंजीत लेकव्यू, भोपाल होटल एसोसिएशन, भोपाल ट्रांस्पोर्ट एसो., नगर निगम कांट्रेक्टर्स, पीएनबी, इलाहाबाद बैंक, देना बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सिटीजन फोरम, इंदौर बैंक, सिंडीकेट बैंक, बीडीए, मलेरिया उन्मूलन विभाग, लोक निर्माण विभाग खंड 1, 2, ई एंड एम, एनएच व न्यू डिवीजन, सीपीए, वन विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, कृषि विभाग, पंचायत एवं समाज सेवा, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, जल संसाधन विभाग, मत्स्य विभाग, श्रम विभाग आदि।
मानसून तक जारी रहेगा श्रमदान
तालाब की गाद निकालने के अभियान के पहले दिन रविवार को सुबह से शाम तक श्रमदान कर लोगों ने 250 डंपर मिट्टी निकाल दी। इससे तालाब में साढ़े बारह लाख लीटर जलग्रहण क्षमता बढ़ गई। तालाब से निकाली गई मिट्टी नगर निगम ने डंपर के माध्यम से राजधानी के विभिन्न पार्को में डलवाई है। निगम के रिकार्ड के अनुसार रविवार को शाम तक बोट क्लब के पास स्थित जीवन वाटिका पार्क के समीप से 250 डंपर मिट्टी निकाली गई। श्रमदान व थ्रीडी मशीनों से मिट्टी निकालने का क्रम आगामी मानसून तक जारी रहेगा।
साभार - भास्कर न्यूज
/articles/ao-saarae-jhaila-bacaaen