अनशन को ‘आत्महत्या का प्रयास’ बताना लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण - राजेन्द्र सिंह

स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंदपत्रकारिता जगत के मित्रों! अभिवादन्। ‘जन-जल जोड़ो अभियान’ के तहत पिछले कई दिनों से मैं दक्षिण भारत की यात्रा पर हूं। दक्षिण के राज्यों ने इस अभियान के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उन पर चर्चा कभी फुर्सत में। फिलहाल एक आपात महत्व के मसले पर मैं आप सभी के जरिए अपना निवेदन पानी-प्रकृति प्रेमियों तक पहुंचाना चाहता हूं।

आप जानते हैं कि स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के नए नामकरण वाले प्रो जी डी अग्रवाल गंगा संरक्षा की अपनी मांग को लेकर गत 13 जून से मातृसदन, हरिद्वार में अनशनरत हैं। आज सुबह मुझे सूचना प्राप्त हुई कि स्थानीय प्रशासन द्वारा धारा 309 ए के तहत उन पर आत्महत्या के प्रयास का केस दर्ज किया गया है। कल दिनांक 02 अगस्त को प्रातः करीब चार बजे तीन पुलिस कर्मियों की निगरानी में उन्हें नई दिल्ली लाया गया। फिलहाल उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ‘एम्स’ की आठवीं मंजिल पर आई सी यू में रखा गया है।

जिस अनशन और सत्याग्रह को राष्ट्र आजादी दिलाने वाले महत्वपूर्ण औजार के रूप में प्रतिष्ठित किया, जिस अनशन और सत्याग्रह के प्रयोग के कारण महात्मा गांधी को आज राष्ट्र ‘राष्ट्रपिता’ और दुनिया ‘अहिंसा पुरुष’ के रूप में पूजती है... उसी अनशन और सत्याग्रह को ‘आत्महत्या का प्रयास’ करार देना लोकतांत्रिक मूल्यों से गिर जाना है। यह इस बात का संकेत है कि मात्र साढ़े छह दशक में हमारा लोकतंत्र... लोकतंत्र की मूल अवधारणा से कितनी दूर चला गया है। यह इस बात का भी संकेत है कि हमारा शासन-प्रशासन स्वस्थ चुनौती व सत्य स्वीकारने की शक्ति खो बैठा है। एक आई ए एस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने यमुना से रेत के अवैध खनन पर लगाम लगाने की हिम्मत जुटाई, तो बजाय इसके कि सत्य का आग्रह करने के लिए उसकी पीठ थपथपाई जाती; उसे निलंबित कर दिया। स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने गंगा संरक्षा के लिए अनशन की हिम्मत जुटाई, तो उन पर आत्महत्या के प्रयास का केस दर्ज कर दिया। ये कदम अन्यायपूर्ण हैं। मैं इनका विरोध करता हूं और देशभर के पानी प्रेमियों से अपील करता हूं कि वे इनका विरोध करें।

सरकारों से मेरी हाथ जोड़कर अपील है कि यदि देश के पानी व नदियों को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकती, तो कम से कम सजग शक्तियों को सत्य का आग्रह करने से तो न रोके। मैं मांग करता हूं कि दुर्गा शक्ति नागपाल का निलबंन और स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद पर दर्ज आत्महत्या के प्रयास का केस तुरंत वापस हो।

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