पिछले वर्ष 4 जुलाई को मॉन्टिसेलो, इंडियाना, अमेरिका, की एक, दो पुत्रियों की मां 35 वर्षीया एशली समर्स अधिक पानी पीने के कारण मर गई। एशली अपनी छुट्टियां बिताने परिवार के साथ 'लेक फ्रीमैन' पर गई थी। वहां पर वह झील पर नौकायन कर रही थी। उसे सर में दर्द हुआ, उसे चक्कर आए और उसे प्यास लगी। उसने बहुत सारा पानी एक साथ पी लिया। उसने लगभग 20 मिनट में 2 लीटर पानी पी लिया। घर पहुंच कर वह बेहोश हो गई, उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मृत्यु हो गई। मृत्यु का कारण उसके दिमाग में सूजन आना पाया गया।
चिकित्सकीय प्रैक्टिस में इस प्रकार की केस कभी-कभी देखने को मिलते हैं। कम समय में अधिक पानी पीने के कारण हुई ऐसी मृत्यु को वाटर टॉक्सीसिटी या वाटर इनटॉक्सीकेशन कहते हैं। इसका कारण हमारे शरीर का क्रिया-विज्ञान है। हमारा शरीर अपना एक उपयुक्त आन्तरिक वातावरण बनाए रखता है। इसे होम्योस्टैसिस कहते हैं। मान लीजिए कि हाम्यास्टासस कहते है। मान लीजिए कि किसी ने 2 लीटर पानी पी लिया और यह आंतों द्वारा अवशोषित होकर सारा खून में मिल जाए और उसी में रह जाए, तो जो खून महिलाओं में लगभग 4.50 लीटर और पुरुषों में लगभग 5 लीटर होता है, वह बढ़ कर 7 लीटर आयतन का हो जाएगा। यह बढ़ा हुआ आयतन अनेक प्रकार से हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव डालेगा।
खून का आयतन सही रखने के लिए हमारे गुर्दे अतिरिक्त पानी को मूत्र के रूप में शरीर के बाहर निकाल देते हैं। लेकिन एक तो इस बाहर निकालने की एक सीमा होती है। गुर्दे प्रति घंटे 0.8-1 लीटर पानी को बाहर निकाल सकते हैं। इससे अधिक पानी पीने पर वह खून में रह कर उसका आयतन बढ़ाता है।
इसके अतिरिक्त मूत्र में पानी के साथ-साथ थोड़ा सोडियम और कुछ मात्रा में पोटैशियम भी बाहर निकल जाता है। हम जितना अधिक पानी पिएंगे, उतना ही अधिक मूत्र बनेगा और उतना ही सोडियम शरीर के बाहर निकल जाएगा। सोडियम के शरीर के अधिक मात्रा में बाहर निकल जाने पर उसकी शरीर में कमी हो जाती है। इस स्थिति को हाइपोनेट्रीमिया कहते हैं। इसी प्रकार पोटेशियम की कमी को हाइपोकैलीमिया कहते हैं।
सोडियम और पोटैशियम हमारे शरीर में सोडियम और पोटैशियम हमारे शरीर में तंत्रिकाओं में संवेदनाओं के चलने के लिए आवश्यक होते हैं। इनकी कमी होने पर हमारा तंत्रिका तंत्र, हमारी मांसपेशियां और हमारा मस्तिष्क ठीक काम नहीं कर पाते हैं।
इसके अतिरिक्त हमारे खून में इन तत्वों की कमी होने पर और खून में पानी की मात्रा बढ़ जाने पर खून पतला पड़ जाता है। इसे निम्न ऑस्मोलैरिटी कहते हैं। इस स्थिति में ऑस्मोसिस के कारण हमारे खून से पानी निकल कर हमारे शरीर की कोशिकाओं के बीच में और उनके अंदर पहुंच जाता है। ऐसा होने पर उनमें सूजन आ जाती है। मस्तिष्क और फेफड़ों जैसे महत्वपूर्ण अंगों में सूजन आने के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। शरीर में सोडियम और पोटैशियम के कम होने और मस्तिष्क में सूजन के लक्षणों में जी मिचलाना, सिरदर्द, हाथों-पैरों में दर्द, बदन में झटके आना आदि हो सकते हैं। इसके बाद की स्थिति में बेहोशी और फिर मृत्यु हो सकती है।
इसमें इतना घबराने की आवश्यकता नहीं है। एक स्वस्थ व्यक्ति के साथ ऐसा होने की संभावना बहुत कम होती है। अनेक कारणों से एथलीट्स में, महिलाओं, बच्चों और गुर्दों के रोगियों में ऐसा होने की संभावना अधिक होती है। ऐसा होने पर मृत्यु एकदम से आम तौर पर नहीं होती है। यह तभी हो सकती है जब 10-15 लीटर पानी कम समय में पी लिया जाए अथवा व्यक्ति अनेक दिनों से ज्यादा पानी पी रहा हो और साथ में सोडियम और पोटैशियम की पूर्ति न कर रहा हो अथवा उसे गुर्दों का कोई रोग हो अथवा वह अधिक रक्तचाप के कारण अधिक पेशाब लाने और सोडियम को शरीर से बाहर निकालने की दवाएं खा रहा हो।
हमारा शरीर हमें बता देता है कि हमें कितने पानी की आवश्यकता है। हमारे शरीर में ग्लूकोस की कमी को हमारे मस्तिष्क के रिसेप्टर्स समझ लेते हैं और ऐसी संवेदनाएं जारी करते हैं जिससे हमें भूख लगती है। इसी प्रकार हमारे मुंह की श्लेष्मा के सूखने पर और हमारे खून का आयतन कम हो जाने पर और उसके गाढ़ा पड़ जाने पर हमारा मस्तिष्क उसे समझ जाता है और हमें प्यास लगती है। ऐसे ही, शरीर में सोडियम और पोटैशियम की कमी हो जाने पर हमारी नमक खाने की इच्छा होती है। कुछ जानवर अपने शरीर में कैल्शियम और सोडियम आदि की पूर्ति के लिए दीवारों को चाटते हैं। गर्भावस्था में कुछ विशेष चीजों को खाने की इच्छा भी हमारे शरीर के इस क्रिया-विज्ञान के कारण ही होती है। हां, यदि किसी का मस्तिष्क काम नहीं कर रहा है जैसे यदि वह कोमा में है तो इन चीजों की कमी होने पर भी उसे भूख और प्यास का अनुभव नहीं हो पाएगा। तब कृत्रिम रूप से इनकी पूर्ति न किए जाने पर उसकी मृत्यु हो जाएगी।
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