आधे से अधिक राज्यों में सूखे से जल विद्युत उत्पादन घटा


नई दिल्ली @ पत्रिका ब्यूरो सूखे ने देश के आधे से अधिक राज्यों को अपनी चपेट में ले लिया है। इस सूखे का असर जहाँ एक ओर जल संकट के रूप में सामने आया है, वहीं दूसरी ओर इस सूखे ने देश में जल विद्युत के उत्पादन को घटा दिया है। केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय ने यह स्वीकार किया है कि सूखे के कारण जल विद्युत उत्पादन घटा है। हालाँकि यह भी सही है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित दस राज्यों में उत्पादन अपने निर्धारित लक्ष्य से अधिक हुआ है, लेकिन दूसरी ओर मध्य प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों में विद्युत उत्पादन घटा है। केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय के अनुसार 2015-16 में देश में जल विद्युत का उत्पादन देश के कुछ हिस्सों में कम बारिश के कारण जल विद्युत का उत्पादन घटा है। मुख्यतया हिमालय क्षेत्र कम बारिश के कारण नदियों का जल प्रवाह कम हो जाने के कारण देश में जल विद्युत का उत्पादन घट गया है।

नदी बेसिन की औसत जल संसाधन क्षमता प्रभावित


केन्द्र सरकार ने यह भी स्वीकारा है कि पूर्व में जल की अधिक मात्रा का उपयोग करने वाली व्यावसायिक फसलों के उत्पादन के कारण देशभर की अधिकांश नदी बेसिन की औसत जल संसाधन क्षमता प्रभावित हुई है। इनमें प्रमुख नदी बेसिन सिंधु, गंगा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, महानदी, पेन्नार, माही, साबरमती, नर्मदा, ताप्ती, ब्रम्हपुत्र व बराक नदी शामिल हैं। केन्द्रीय एकीकृत जल संसाधन विकास आयोग ने बताया कि जल की उपलब्धता और उसके उपयोग का अंतर लगातार बढ़ रहा है। इसे कम करना आवश्यक है। आयोग ने एक आँकलन किया है कि वर्ष 2025 में 8.43 और 2050 में 118.0 बीसीएम जल की वार्षिक आवश्यकता होगी। जल की उपलब्धता और उपयोग के अंतर को कम करने के लिये राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर तमाम उपाय कर रही हैं।

जलाशयों में औसत भण्डारण क्षमता कम


देश में जल की अनुमानित औसत वार्षिक उपलब्धता 186.9 बीसीएम बिलियन क्यूबिक मीटर है। केन्द्रीय जल आयोग देशभर के प्रमुख 91 जलाशयों की निगरानी करता है।

राजस्थान के तीन, छत्तीसगढ़ के दो, पश्चिमी बंगाल के दो, गुजरात के दस, तमिलनाडु के छह जलाशयों में पिछले दस सालों में औसत भण्डारण क्षमता लगातार कम हो रही है। जबकि मध्य प्रदेश के छह जलाशयों में औसत भण्डारण क्षमता अधिक रही है। जलाशयों में औसत जल भण्डारण की क्षमता का उपयोग करने के लिये आयोग ने राज्य सरकारों को एक सलाह जारी की है। इसके अलावा सूखा प्रभावित राज्यों को केन्द्र की ओर से आर्थिक मदद भी जारी की है।

 

जल संचयन के लिये मास्टर प्लान

केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड ने कुल 8.5 बीसीएम जल संचय करने के लिये देशभर में 1.11 करोड़ वर्षाजल संचयन के लिये मास्टर योजना तैयार की है। इसके माध्यम से घरेलू, औद्योगिक और सिंचाई उद्देश्यों के लिये जल की उपलब्धता बढ़ेगी। यह योजना देश के सभी राज्य सरकारों के पास भेज दी गई है। इसके अलावा केन्द्र सरकार ने जल संरक्षण, जल की बर्बादी कम करने, एकीकृत जल संसाधन विकास और प्रबन्धन के माध्यम से राज्यों में जल का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय जल मिशन शुरु किया है। साथ ही केन्द्र सरकार ने जल संरक्षण के लिये एक राष्ट्रीय जल नीति का मसौदा भी तैयार किया है, जिसमें जल के बेहतर प्रबन्धन के लिये सिफारिशें की गई हैं। यही नहीं देशभर में आगामी दो सालों के लिये जलक्रान्ति अभियान भी शुरू किया गया है।

 



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